धारावाहिक ‘कुमकुम भाग्य’ और फिल्म ‘लव सोनिया’ से चर्चा में आने वाली मौडल और अभिनेत्री मृणाल ठाकुर महाराष्ट्र के धुले से हैं. उन्होंने हिंदी के अलावा मराठी फिल्मों और धारावाहिकों में भी काम किया है. उन के कैरियर में उन के मातापिता का पूरा सहयोग रहा है. उन्होंने मृणाल को अपनी पसंद का काम करने की आजादी दी. मृणाल को बचपन से फिल्में देखना और उन के बारे में सोचना अच्छा लगता था. आज वे वह अपनी जर्नी से खुश हैं. लौकडाउन के बाद वे कई फिल्मों के काम खत्म करने में जुटी हैं.
हंसमुख और विनम्र मृणाल ने ‘गृहशोभा’ के लिए खास बात की. पेश हैं, कुछ अंश:
इन दिनों आप क्या कर रही हैं?
लौकडाउन के बाद मैं अपनी फिल्मों को पूरा करने में लगी हूं. मैं हमेशा से अलगअलग प्रोजैक्ट पर काम करना चाहती थी. जब से मेरी फिल्में ‘लव सोनिया,’ ‘सुपर 30’ और ‘बाटला हाउस’ रिलीज हुई हैं, अच्छीअच्छी स्क्रिप्ट्स मेरे पास आ रही हैं. अच्छे चरित्र निभाने का मौका मिल रहा है. फिल्म ‘तूफान’ रैडी है और इसे थिएटर हौल में रिलीज किया जाएगा. कोरोना संक्रमण कम होने का इंतजार हो रहा है. अभी मैं चंडीगढ़ में फिल्म ‘जर्सी’ की शूटिंग कर रही हूं. इस के अलावा ‘प्रियास मास्क’ जो इंडिया की पहली ऐनीमेटेड फिल्म 90 बच्चों के लिए बनी है, यह कोविड-19 के बारे में बच्चों को जागरूक करती है. उस में मैं ने प्रिया की आवाज दी है.
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अभी अधिकतर फिल्में ओटीटी पर रिलीज हो रही हैं, आप की राय इस बारे में क्या है?
ओटीटी छोटी और कम बजट की फिल्मों के लिए एक अच्छा प्लेटफौर्म है, पर मेरी फिल्में थिएटर में ही रिलीज होने वाली हैं ताकि दर्शक फिल्म का आनंद ले सकें. मेरी दोनों ही फिल्में खेल पर आधारित लव स्टोरी हैं, पर मेरी भूमिका दोनों में अलग है. दर्शकों को भी इन्हें देखने में मजा आएगा.
क्या कभी आप बचपन में खेल से जुड़ी रहीं?
हां, मैं एक खिलाड़ी हूं. मैं ने बास्केटबाल जिला स्तर पर और फुटबाल भी खेला है.
अभिनय में आने की प्रेरणा कैसे मिली?
परिवार में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं था. जब भी मैं कोई फिल्म देखती थी, तो हैंगओवर हो जाता था और इस से निकलने में एक सप्ताह लगता था. मैं ने फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ देखी और उस से मु झे पता चला कि आप वही काम करें, जो आप को पसंद है. यह फिल्म मेरे जीवन की टर्निंग पौइंट बनी, क्योंकि मैं 12वीं में थी और कहां क्या करना है कुछ पता नहीं था. मु झे मैडिकल एंट्रैंस में अच्छे नंबर भी मिले थे. मैं डाक्टर बन सकती थी, पर मैं ने मास मीडिया चुना ताकि अपनी इच्छा पूरी कर सकूं. फिल्में ही मु झे प्रेरित करती है और मैं इन के जरीए लोगों को प्रेरित करना चाहती हूं.
पहली बार पेरैंट को अभिनय की बात कहने पर उन की प्रतिक्रिया क्या थी?
उन्होंने पहले मना कर दिया. उन के हिसाब से मेरी किसी भी प्रकार की पब्लिसिटी उन्हें नहीं चाहिए, और वे इंडस्ट्री से डरते थे. उन के हिसाब से मु झे एक सुरक्षित जौब करनी चाहिए, क्योंकि फिल्म आज है कल नहीं. मु झे जब टीवी का काम मिला, तो मैं ने उन्हें बुला कर शूटिंग से संबंधित सारी चीजें दिखाई. इस से उन्हें मेरे काम के बारे में पता चला और उन्होंने फिर कभी मना नहीं किया. मैं ने अपने कई दोस्तोंको देखा है कि उन्हें अपने पसंदीदा काम करने के लिए अपने मातापिता से लड़ना पड़ता है. मु झे पढ़ाई की भूलभुलैया में नहीं फंसना पड़ा, क्योंकि मातापिता ने साथ दिया. केवल किताबों से ही नहीं, आप को बाहर की दुनिया से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है. समाज में एक अच्छा नाम हो, उस की कोशिश करनी चाहिए. मैं एक साधारण परिवार से हूं और बहुत हिम्मत कर इस क्षेत्र में कदम रखा है.
पहला ब्रेक कैसे मिला?
मैं मुंबई के एक कालेज में थी. तब मेरे एक दोस्त ने औडिशन के बारे में बताया. मैं वहां गई और उस मोनोलोग के लिए मैं चुन ली गई. मेरे काम को सभी ने पसंद किया और मु झे आगे भी काम मिलने लगा. मेरी हिंदी साफ नहीं थी, क्योंकि मैं मराठी हूं. इस के लिए मैं ने बहुत मेहनत कर उसे ठीक किया. इस के बाद मैं ने एक मराठी फिल्म की, इस से मेरी हिंदी फिल्मों में काम करने की इच्छा हुई. मैं ने कोशिश की और मैं आगे धारावाहिक और फिल्मों में काम करने लगी.
क्या आउटसाइडर होने पर इंडस्ट्री में अच्छा काम मिलना मुश्किल होता है?
मु झे कभी भेदभाव महसूस नहीं हुआ, क्योंकि मैं खुद को आउटसाइडर नहीं बौलीवुड इंडस्ट्री का पार्ट सम झती हूं. मेरी जर्नी बहुत अच्छी रही है. मेरे हिसाब से अगर आप में काबिलीयत है और आप खुद पर विश्वास रखते हैं, तो कोई भी चीज आप को हासिल करने में मुश्किल नहीं होगी.
किस शो ने आप की जिंदगी बदली?
धारावाहिक ‘कुमकुम भाग्य’ से मेरी जिंदगी बदली है. इस शो से मैं ने बहुत कुछ सीखा है. लोग कहते हैं कि फिल्में करनी हैं, तो टीवी में काम नहीं करना चाहिए, लेकिन मेरा लर्निंग प्रोसैस टीवी ही है. मेरे हिसाब से नए कलाकार को टीवी में काम अवश्य कर लेना चाहिए, क्योंकि इस से वह बहुत कुछ सीख सकता है.
तनाव होने पर क्या करती हैं?
सोशल मीडिया पर ऐक्टिव हूं, लेकिन उस से दूर रहती हूं, क्योंकि कई बार बहुत ट्रोलिंग होती है, जिस से मेरी मैंटल हैल्थ खराब होती है. काम को ले कर तनाव होने पर मातापिता से बात करती हूं.
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क्या कभी रिजैक्शन का सामना करना पड़ा?
बहुत बार करना पड़ा. मैं ने उस समय अपने पेरैंट्स से बात की, जिस से सब नौर्मल हो गया. असल में हम सब को जीत की खुशी का पता होता है, लेकिन हार को कैसे लेना है, यह सिखाया नहीं जाता. मैं चाहती हूं कि स्कूल में ऐसी पाठ्यक्रम को शामिल करने की जरूरत है ताकि बच्चे किसी भी हालत में तनावग्रस्त न हों.
फिल्म में इंटिमेट सीन करने में कितनी सहज है?
मैं जब स्क्रिप्ट पढ़ती हूं, तो देखती हूं कि इस में अंतरंग दृश्य जरूरी है या नहीं. लव स्टोरी में इंटिमेट सीन होने पर कर सकती हूं, लेकिन बिना जरूरत के कोई भी इंटिमेट सीन करता.
क्या कोई मैसेज देना चाहती हैं?
मातापिता से कहना चाहती हूं कि वे अपने बच्चे की इच्छा को सम झें और उसे उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए पे्ररित करें. उस पर अपनी इच्छाएं न थोपें.