याद कीजिए अपने दादा या दादी को, जो आंगन में बैठे हाथ से पंखा हिलाते हुए गरमी को मात देने की कोशिश किया करते थे. उस के बाद बिजली का आविष्कार हुआ और हाथ के पंखों की जगह सीलिंग फैंस ने ले ली. इसे एक बड़ा कदम माना गया. वक्त बदला और सीलिंग फैन के साथसाथ कूलर भी गरमी से लड़ने का एक कारगर जरिया बन गए. सूरज की तपिश जब अपने चरम पर होती तो कूलर हमें राहत पहुंचाते. मगर इन के साथ भी एक समस्या रहती. कूलर की हवा अपनी ओर करने के लिए घरों में छोटेमोटे झगड़े होना आम बात थी. लेकिन अब कूलर और सीलिंग फैन भी धीरेधीरे बीते जमाने की बात होते जा रहे हैं और नए जमाने में एअरकंडीशनर गरमी से बचने और लड़ने में इनसान की मदद कर रहे हैं.

एक दौर था जब एअरकंडीशनर सिर्फ धनाढ्य वर्ग के उपभोग तक ही सीमित थे. वे लोग, जो बिजली के लंबेचौड़े बिलों का भुगतान करने में सक्षम थे, वही एसी के बारे में विचार करते थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में यह धारणा पूरी तरह से टूट चुकी है. आज यह अमीरी के दायरे को तोड़ता हुआ जरूरत की श्रेणी में पहुंच चुका है. आज लगभग हर घर के ड्राइंगरूम में एसी एक जरूरत बन गया है. आज हर कोई अपनी जीवनशैली को आरामदायक बनाना चाहता है और इस पर होने वाला खर्च अमीरी नहीं बल्कि जरूरत मान लिया गया है और एसी भी इसी श्रेणी में आता है. भारत में बड़े मध्यवर्गीय बाजार के कारण सभी उपभोक्ता कंपनियां अपने उत्पादों की कीमत इन्हें ध्यान में रख कर तय करती हैं.

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