पूर्व करियर काउंसलर और ह्यूमन रिर्सोस एवं रिक्रूमेंट स्पेशलिस्ट कंपनी रैंडस्टैड के मालिक स्टीव शेपहर्ड कहते हैं, ‘भले कई जगह स्त्रियोचित या फेमिनिन इमेज के कुछ फायदे होते हों मसलन पार्टी आदि में ‘पहले आप पहले आप’ का सम्मान मिलता हो,लेकिन करियर में इसका फायदा नहीं मिलता उल्टे नुक्सान होता है.’ महिलाओं की करियर काउंसलिंग करते हुए वह इसीलिये बार बार विशेष रूपसे जोर देकर कहते हैं, ‘बी प्रोफेशनल’. उनकी बात को हम इस तरह भी समझ सकते हैं कि जैसे न्याय मिलना ही नहीं चाहिए बल्कि मिलते हुए दिखना भी चाहिए,ठीक उसी तरह आपको महज हार्ड वर्कर ही नहीं होना चाहिए बल्कि दफ्तर में प्रोफेशनल भी दिखना चाहिए तभी प्रमोशन आसानी से मिलता है.

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन[एपीए] भी इस राय से सहमत है. एपीए के मुताबिक यूरोप और अमरीका में तीन पुरुषों के मुकाबले सिर्फ एक महिला को प्रमोशन मिलता है,तो उसके पीछे सबसे बड़ी वजह महिलाओं का दफतर में कम प्रोफेशनल होना और दिखना होता है. ऐसा तब भी हो सकता है जब वह पुरुषों से ज्यादा मेहनती हों. दरअसल कई महिलाएं जिम्मेदारी की पोस्ट पर पहुंचकर भी अपनी फेमिनिन इमेज से बाहर नहीं आतीं. ऐसी ही महिलाओं को आमतौर पर अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में प्रमोशन देर से मिलता है,या नहीं भी मिलता अथवा वो जितना डिजर्व करती हैं,उतना नहीं मिलता. क्योंकि ये महिलाएं मेहनती होने के बावजूद प्रोफेशनल नहीं होतीं. दफ्तर में रहते हुए भी दफ्तर के मूल्यों को व्यवहार में नहीं अपनातीं.क्योंकि ऐसी महिलाएं अपने महिला होने की परंपरागत छवि से मुक्त नहीं हो पाती हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...