समीरा की बेबी अभी मात्र डेढ़ माह की है. लेकिन समीरा की स्थिति देख कर पूरे परिवार के लोग काफी उल झन में हैं. उस के पति विमल को आफिस से छुट्टी ले कर घर बैठना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, स्थिति यहां तक आ गई कि हार कर उसे गांव से अपनी मां को भी बुलाना पड़ गया. बच्ची की देखभाल का जिम्मा उन्हीं के कंधों पर है. करीब 2 साल पहले जब समीरा का अचानक गर्भपात हो गया था तब भी इसी तरह की परेशानी हुई थी. तब गोद में बच्चा नहीं था, लेकिन इस बार परेशानी थोड़ी ज्यादा है. करीब 2 सप्ताह से समीरा मानसिक परेशानी और अवसाद के दौर से गुजर रही है और हमेशा अपनेआप में खोई रहती है, सदा चिंतित व परेशान तो रहती ही है खानेपीने की भी कोई सुध नहीं. रात को ठीक से सो भी नहीं पाती, मन ही मन कुछ न कुछ बुदबुदाती रहती है. नन्ही बिटिया की ओर तो वह ताकती तक नहीं.

ऐसी बात भी नहीं कि प्रसव से पहले या बाद में उसे किसी तरह की परेशानी हुई हो. डिलीवरी भी शहर के अच्छे प्राइवेट नर्सिंगहोम में हुई थी, बिना किसी कंप्लीकेशन के. लड़की होने पर वह काफी खुश हुई थी. उस की इच्छा भी थी कि लड़की हो. लेकिन अब वह एकदम से सुधबुध खो बैठी है. जब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा तो विमल उसे ले कर उसी अस्पताल में गया, जहां उस की डिलीवरी हुई थी. जांच करने के बाद पति से डाक्टर ने कहा कि समीरा पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार हो गई है. इसी कारण वह इस तरह का व्यवहार कर रही है. लेकिन घबराने की कोई बात नहीं, सब कुछ ठीक हो जाएगा. हां, थोड़े दिनों तक मां तथा बच्ची दोनों की निगरानी रखने की जरूरत पड़ेगी.

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