मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली कीर्ति कुल्हारी ने फिल्म ‘खिचड़ी: द मूवी’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. मुंबई की रहने वाली कीर्ति ने कई सफल फिल्में और वैब सीरीज कर अपनी अलग पहचान बनाई. कीर्ति हमेशा अर्थपूर्ण फिल्मों में काम करना पसंद करती हैं और उन में 100% मेहनत करती हैं. एक मौडलिंग के दौरान कीर्ति का परिचय ऐक्टर साहिल सहगल से हुआ और फिर उन्होंने 2016 में शादी कर ली.
कीर्ति की वैब सीरीज ‘क्रिमिनल जस्टिस बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स’ हॉटस्टार स्पैशल्स पर रिलीज होने वाली है, जिसे ले कर वे बहुत उत्साहित हैं, पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ खास अंश:
सवाल- इस फिल्म को करने की खास वजह क्या थी?
3 चीजों ने मु झे इस प्रोजैक्ट को करने के लिए प्रेरित किया. पहली सीजन क्रिमिनल जस्टिस का काफी सफल प्रोजैक्ट था. उस शो को मैं ने बहुत पसंद किया था. सीजन 2 में कहानी क्या होगी, क्या कहना चाहेगी, इस की उत्सुकता मेरे अंदर थी, लेकिन मैं ने पाया कि यह कहानी ऐसी है, जिसे सभी को देखने की आवश्यकता है, क्योंकि मैं ने अपने किरदार में उस दुनिया का दर्द, डार्कनैस आदि सब महसूस कर बताने की कोशिश की है, जो रियल में होता है.
असल में कोई भी किरदार निभाने से पहले मैं यह देखती हूं कि कहानी कहना क्या चाहती है और वही चीज मु झे उस प्रोजैक्ट से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है. इस में अनुराधा चंद्रा की भूमिका अपनेआप में जटिल चरित्र है. उसे सब के बीच में लाना मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है. इस के अलावा कई बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करने का भी मौका इस में मिला.
सवाल- इस में आप की भूमिका क्या है?
मेरी भूमिका अनुराधा चंद्रा की है,जो एक सफल और नामचीन परिवार से है, जिस की एक बेटी और पति है, लेकिन बाहर से परफैक्ट दिखने वाली इस दुनिया में एक राज छिपा है, जिस की वजह से एक दिन अनुराधा अपने पति को चाकू मार देती है. सीरीज देखते वक्त धीरेधीरे इस का पता लगता है.
अनुराधा को देखने से ऐसा लगता है कि वह जिंदगी से टूट चुकी है और जीना नहीं चाहती, क्योंकि उस के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है. उस ने जो सहन किया है, उसे सम झने वाला कोई नहीं है.
उस से बारबार सवाल पूछे जाते हैं कि वह अपनी बात खुल कर कहे, लेकिन वह कहना नहीं चाहती, क्योंकि वह शायद अंदर से सहतेसहते मर चुकी है. इन सब इमोशंस को कहानी में लाना आसान नहीं था.
सवाल- इस भूमिका को करने में क्याक्या समस्याएं आईं और क्याक्या तैयारियां करनी पड़ीं?
कहानी के भाव घूमफिर कर एकजैसे ही होते हैं, इसलिए किसी भी भूमिका को करते समय यह नहीं लगता कि यह मु झ से अलग है. जो इमोशन अनुराधा चंद्रा की सीरीज में है, उस से हम सब किसी न किसी रूप में गुजरते हैं. कलाकार इन इमोशंस को सम झ कर, उन्हीं के अनुरूप अभिनय करता है.
इस के अलावा मैं ने कोई खास तैयारी नहीं की है. जटिल चरित्र होने की वजह से मैं एक मनोचिकित्सक से मिली और 2 घंटे बातचीत की. पतिपत्नी के बीच बंद दरवाजे के पीछे क्या चल रहा होता है, उसे कोई तीसरा नहीं सम झ सकता. पतिपत्नी के रिश्ते और प्यार के नाम पर एकदूसरे को कंट्रोल करना आदि सम झने की कोशिश की है.
सवाल- पूरे विश्व में डोमैस्टिक ऐब्यूज होता है, लेकिन महिलाएं इस से बाहर निकल कर कहने से डरती क्यों हैं? किस तरह कदम उठाने की जरूरत है? आप की सोच इस बारे में क्या है?
ऐब्यूज केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक भी होता है. कई बार ऐब्यूज होने का पता तक नहीं चलता, क्योंकि व्यक्ति उस के आदी हो कर अपना बैलेंस खो देते हैं. लगातार ऐब्यूज से व्यक्ति पागल भी हो सकता है. मनोचिकित्सक और काउंसलर के पास आज भी लोग जाने से घबराते हैं, क्योंकि यह एक बड़ा टैबू है.
बड़े शहरों में फिर भी महिलाएं अपनी बात आगे आ कर कह सकती हैं, लेकिन छोटे शहरों और गांवों में कोई महिला शर्म और अपराधबोध की वजह से कुछ भी नहीं कह सकती. कानून में मैरिटल रेप को जायज ठहराया गया है, जो गलत है. अगर 2 लोग रिश्ते में हैं, तो दोनों की मरजी कुछ भी होने से पहले जरूरी है.
पुरुषों को यह बात सम झ में क्यों नहीं आती? समाज और परिवार में भी किसी लड़की के लिए अपने पति को खुश रखना और उस रिश्ते को निभाना उस का काम माना जाता है. मैं ने कई ऐसी घटनाएं मनोचिकित्सक से पतिपत्नी के रिश्ते के बारे में सुनीं तो दंग रह गई. हमारे देश में इसे तवज्जो ही नहीं दी जाती. इन चीजों पर कानून को गौर करने, बदलने और सख्ती से पालन होने की दिशा में काम करने की जरूरत है, क्योंकि यह ऐब्यूज अमीर से ले कर गरीब और पढ़ेलिखे और अनपढ़ सभी घरों में होता है.
मैं ने अभिनय करते हुए एक महिला के हर पहलू को नजदीक से महसूस किया है. इस के अलावा ऐसे ऐब्यूज को कम करने की दिशा में परिवार की भी महत्वपूर्ण भूमिका है, जो शादी के बाद बेटी पर ध्यान देना छोड़ देता है. पेरैंट्स का सहयोग ही बेटी को आगे बढ़ कर कुछ कहने की हिम्मत देता है.
सवाल- यह वैब सीरीज क्या मैसेज देती है?
यह कहानी इंसानों के लिए है. ऐब्यूज केवल महिलाओं के साथ ही नहीं पुरुषों के साथ भी होता है, लेकिन महिलाओं के साथ यह हमेशा से अधिक होता आया है. इस के अलावा यह वैब सीरीज पुरुषों को अपने बारे में क्या सही, क्या गलत है, सोचने पर मजबूर करेगी. शादी के नाम पर पत्नी को सम्मान देना, सीमा का तय होना, स्पेस देना आदि कितना जरूरी है, इसे बताने की कोशिश की गई है.
सवाल- आप शादीशुदा हैं और एक अच्छी जिंदगी बिता रही हैं, आप काम के साथ और परिवार के साथ कैसे तालमेल बैठाती हैं तथा पति का कितना सहयोग रहता है?
फिल्म ‘पिंक’ रिलीज होने के 3-4 महीने पहले मेरी शादी हुई थी. शादी के बाद मेरा कैरियर ऊपर ही गया है. मैं ने कई अलगअलग काम किए और बोल्ड निर्णय लिए, लेकिन उन में मेरे पति और अन्य परिवार के सदस्यों सभी ने दिल से सहयोग दिया. परिवार प्रोग्रैसिव विचार वाला है. सभी मेरे काम को सम झते हैं और हमेशा प्रोत्साहित करते हैं.
सवाल- नए साल में महिलाओं को क्या मैसेज देना चाहती हैं?
मैं महिलाओं से कहना चाहूंगी कि यदि आप के साथ कुछ गलत हो रहा है, तो अपने लिए आवाज उठाना बहुत जरूरी है. इस में कोई शर्म नहीं करनी चाहिए. अगर आप अपने लिए खड़ी नहीं होती हैं, तो कोई भी आप के लिए आगे नहीं आएगा. अपने अंदर से हिचकिचाहट निकालें. अपने रिश्ते को सम झें और समस्या को किसी से शेयर करें. अपनी सीमाएं खुद तय करें.