बचपन से अभिनय का शौक रखने वाले अभिनेता और प्रोड्यूसर अभय देओल ने इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. स्वभाव से स्पष्टभाषी अभय की चर्चित फिल्म ‘देवडी’ थी. इसके बाद उन्होंने कई अलग-अलग तरह की फिल्मों में अभिनय किया, जिसमें ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा, राँझणा,अहिस्ता-अहिस्ता, एक चालीस की लास्ट लोकल आदि कई है. वे फिल्मों के मामले में चूजी है और सोच समझकर ही फिल्मों को चुनते है.उनकी हॉट स्टार स्पेशल्स सीरीज ’1962 द वार इन दहिल्स’ रिलीज पर है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?

इसकी फिलोजोफी मुझे पसंद आई, क्योंकि जंग से किसी को कुछ हासिल नहीं होता. वॉर में जीतने के बाद भी एक ट्रेजिडी रहती है. इसकी कीमत दोनों देश को चुकाना पड़ता है.इसके अलावा जंग में जाने पर उस फौजी की पत्नी और बच्चों की मानसिक दशा पर क्या गुजरती है, उसे दिखाने की कोशिश की गयी है. किसी भी तरफ से जंग लड़ने पर उस फौजी को कुछ नहीं मिलता, पर वे देश की खातिर शहीद हो जाते है. कहानी दोनों तरफ की एक ही होती है,  मुझे ये चीजें बहुत पसंद आई और मैंने हां कहा.

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सवाल- फौजी की भूमिका आप पहली बार कर रहे है, कितनी तैयारी करनी पड़ी?

तैयारी एक तरह की ही होती है, सिर्फ एक्शन पर अधिक ध्यान देना पड़ता है. इस सन्दर्भ में मैं कहना चाहता हूं कि एक्टर्स हमेशा फिट रहते है.अधिकतर काम कहानी पर करना पड़ा, जिसमें उसका ग्राफ, कहानी कैसे जा रही है, कहाँ कैसे ख़त्म हो रही है आदि, क्योंकि एक कलाकार का ग्राफ कहानी के साथ-साथ ही चलता है.

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