प्रैगनैंसी के दौरान बौडी में तमाम तरह के हारमोनल बदलाव होते हैं, जिन का प्रभाव बौडी पर अलगअलग तरह से पड़ता है. इन बदलाव का सब से ज्यादा प्रभाव स्किन पर पड़ता है, जिस की वजह से झंइयां, स्ट्रैच मार्क्स और पिंपल्स भी पड़ जाते हैं. मगर इन्हें ले कर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. बच्चे के जन्म के बाद कुछ समय के अंदर यह परेशानी खुद दूर हो जाती है. कई बार स्किन पर होने वाले कुछ बदलाव जैसे झंइयां और स्ट्रैच मार्क्स का प्रभाव स्किन पर रहता है. इस से बचने के लए प्रैगनैंसी के दौरान कुछ केयर करनी जरूर है. इस संबंध में अमरावती अस्पताल, लखनऊ की स्किन और हेयर स्पैशलिस्ट डाक्टर प्रियंका सिंह कहती हैं, ‘‘प्रैगनैंसी जीवन का बहुत खूबसूरत एहसास होता है. इस में स्किन से जुड़ी कुछ परेशानियां होती हैं. मगर इन्हें ले कर किसी तरह का तनाव लेने की जरूरत नहीं होती है. थोड़ी सी केयर और डाक्टर की सलाह से इन परेशानियों से बचा जा सकता है.’’

पिंपल्स से डरें नहीं

प्रैगनैंसी का स्किन पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है. इस दौरान स्किन में चमक आती है. पिंपल्स होने से स्किन पर निशान पड़ जाते हैं. किशोरावस्था की तरह कई महिलाओं को प्रैगनैंसी में भी पिंपल्स होने लगते हैं. ऐसा हारमोन का स्तर घटनेबढ़ने के कारण होता है. प्रैगनैंसी के शुरुआती महीनों में ऐसा होने की संभावना ज्यादा रहती है.

अगर पीरियड से पहले या पीरियड के दौरान पिंपल्स होते हैं, तो बहुत संभव है कि प्रैगनैंसी के दौरान भी हों. अत: इन से बचने  के लिए लैक्टिक ऐसिड और ट्री औयल का इस्तेमाल करें. प्रैगनैंसी के दौरान चेहरे और स्किन पर झंइयां और दागधब्बे भी हो सकते हैं. हारमोन बढ़ने के कारण स्किन पर तिल, निप्पल आदि भी ज्यादा गहरे रंग के दिखने लगते हैं. धूप में निकलने से यह समस्या और बढ़ सकती है. वैसे तो कुछ महिलाओं में डिलिवरी के बाद ये धब्बे अपनेआप हलके हो जाते हैं, मगर कुछ के साथ ऐसा नहीं होता. अत: जब भी वे बाहर निकलें तो कम से कम 30 एसपीएफ का सनस्क्रीन लगाना न भूलें.

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