गर्मियों में अगर कहीं घूमने का मन बनाते है तो सबसे पहले याद आती है, हसीन वादियां और खुबसूरत मौसम, जो बिना कुछ कहे ही सबको आकर्षित करती है. ऐसी ही खुबसूरत वादियों से घिरा हुआ है, महाराष्ट्र के सतारा जिले का महाबलेश्वर, जहाँ तापमान पूरे साल खुशनुमा रहता है. 1438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पर्यटन स्थल को महाराष्ट्र के हिल स्टेशन की रानी कहा जाता है. दूर-दूर तक फैली पहाड़ियां और उन पर हरियाली की छटा देखते ही बनती है. मुंबई से 264 किमी दक्षिण-पूर्व और सतारा के पश्चिमोत्तर में सह्याद्री की पहाड़ियों में अवस्थित इस स्थान की एक झलक पाने के लिए पर्यटक साल भर लालायित रहते है. कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले साल और इस साल करीब 30 प्रतिशत पर्यटक ही आ रहे है, जिससे यहाँ के व्यवसाय को काफी नुकसान हुआ है.
कोविड टेस्ट है जरुरी
महाबलेश्वर के रहने वाले सोशल वर्कर गणेश उतेनकर कहते है कि जब से कोविड 19 शुरू हुआ है, यहाँ पर्यटक के आने का सिलसिला बहुत कम हुआ है, पिछले साल यहाँ 4 या 5 व्यक्ति को कोरोना संक्रमण हुआ था, जिन्हें इलाज कर ठीक कर दिया गया. यहाँ न तो कोविड है और न ही यहाँ आने वाले को कोविड 19 होने का डर रहता है, महाबलेश्वर अभी जीरों कोविड जोन के अंतर्गत है. कोरोना संक्रमण के डर से आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी होने की वजह से यहाँ के होटल और मार्केट के व्यवसाय में बहुत कमी आ गई है, जो चिंता का विषय है. यहाँ आने वाले सभी पर्यटक का कोविड टेस्ट किया जाता है. इसके लिए ग्राम पंचायत की एक ऑफिसर की ड्यूटी लगाई गई है. वह पर्यटक का आरटी पीसीआर टेस्ट करवाने के बाद ही होटल जाने की अनुमति देता है. अगर कोई ट्रेवल करने के 72 घंटे पहले कोविड टेस्ट करवा लेता है, तो उसे देखकर आगे भेजा जाता है. अभी वैक्सीनेशन चल रहा है, ऐसे में वैक्सीन लगाए हुए व्यक्ति की सर्टिफिकेट और कोविड टेस्ट दोनों जरुरी है. पर्यटक इस समय आसानी से यहाँ आ सकते है.
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यहाँ की आकर्षक जगहें
महाबलेश्वर के टूरिस्ट कंपनी चलाने वाले राजेश कुमार कहते है कि महाबलेश्वर में सालों से पर्यटक आते रहे हैं, जो केवल भारत के ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी आते है. यहाँ देखने के लिए 30 से अधिक स्थल है, जिसे पर्यटक अपने बजट के हिसाब से घूमते है. यहाँ की जंगल, घाटियाँ, झरने और झीलें इतनी सुंदर है कि व्यक्ति की थकान यहाँ आने से ही दूर हो जाते है. इसके अलावा यहाँ की ख़ास जगहें एल्फिस्टन, माजोरी, नाथकोट, बॉम्बे पार्लर, सावित्री पॉइंट, आर्थर पॉइंट, विल्स पॉइंट, हेलेन पॉइंट, लॉकविंग पॉइंट और फोकलेक पॉइंट काफी मशहूर है. महाबलेश्वर जाने पर प्रतापगढ़ का किला देखना बहुत जरूरी है, जो वहां से करीब 24 किलोमीटर की दूरी पर है. इसकी कहानी बड़ी रोचक है कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने ताकतवर योद्धा अफज़ल खान को नाटकीय तरीके से मारकर किले पर फतह हासिल की थी. जहाँ से मराठा साम्राज्य ने निर्णायक मोड़ लिया था. पानघाट पर स्थित यह किला शिवाजी महाराज के 8 प्रमुख किलों में से एक है.
सोशल वर्कर गनेश उतेकर आगे कहते है कि महाबलेश्वर में लोग वीकेंड पर अधिक आते है. दो दिन और दो रात यहाँ ठहरने पर इस स्थान को घूमा जा सकता है. सन राइज पॉइंट को ख़ास देखने की जरुरत है जहाँ से आप सूर्योदय का आनंद ले सकते है.
महाबलेश्वर के पूर्व मेयर डी एम बावलेकर कहते है कि यहाँ की हर पॉइंट ख़ास है. एलिफैंट हेड पॉइंट में पत्थरों की बनावट हाथी के सिर के आकार में है जो देखने लायक है. जबकि बॉम्बे पॉइंट से पहले पूरी मुंबई दिखाई पड़ती थी, जो अब केवल साफ़ मौसम में ही दिखता है. इसके अलावा लिंग्माला वाटर फॉल, वेन्ना लेक, पुराना महाबलेश्वर मंदिर, हेरेसन फॉल, कमलगढ़ का किला आदि सभी देखने योग्य है, लेकिन वेन्ना लेक में अवश्य जाएँ, क्योंकि वहां पर आप पैडल बोट, रोइंग बोट, रंग-बिरंगी मछलियाँ पकड़ना, घुड़सवारी करना आदि सभी का आनंद आप परिवार के साथ ले सकते है.
महाबलेश्वर की डॉ. सरोज शेलार कहती है कि यहाँ अब कई नए पर्यटन स्थल विकसित हुए है जिसमें तपोला स्थान खास है, इसे मिनी कश्मीर भी कहा जाता है. यहाँ एग्रो टूरिज्म का विकास अधिक हुआ है. इसके अंतर्गत बड़े पैमाने पर स्ट्राबेरी की खेती होती है, यहाँ से पर्यटक ताजी-ताजी स्ट्राबेरी का आनंद ले सकते है, लेकिन इस साल कोविड की वजह से पर्यटकों के आने में कमी आई है.
महाबलेश्वर की पूर्व नगरसेविका सुरेखा प्रशांत आखाडे कहती है कि महाबलेश्वर के सभी वाटरफाल्स नेचुरल है. जिसमें से एक लिंगमाला वाटर फॉल में पर्यटक फोटोग्राफी और प्राकृतिक दृश्यों का खूब आनंद उठाते है. ये एक ख़ास पिकनिक स्पॉट भी है. वहां से पंचगनी केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर है, जो टेबल लैंड पर बना हुआ खुबसूरत स्थल है.
इन जगहों पर जरूर खाएं
महाबलेश्वर में आने वाले पर्यटकों के हिसाब से भोजन रखा गया है. शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन यहाँ मिलते है. राजेश कुमार कहते है कि यहाँ आने वाले 75 प्रतिशत पर्यटक गुजराती होते हैं, इसलिए यहाँ पर उनकी पसंदीदा कढ़ी खिचड़ी, दाल खिचड़ी हर रेस्तरां और होटल में मिलती है. शहर के बीचो-बीच बिजी मार्केट एरिया में ‘ग्रेपवाइन होटल’ काफी लोकप्रिय है. इसके अलावा ‘होटल राजेश’ भी खाना खाने के लिए अच्छा होटल है. विदेशी पर्यटक के लिए यहाँ चायनिस और कॉन्टिनेंटल फ़ूड भी मिलते है. अगर ओल्ड महाबलेश्वर जाते है, तो ‘टेम्पल व्यू’ रेस्तरां में खाना जरुर खाएं.
गनेश कहते है कि ‘होटल सनी’ और ‘होटल ड्रीमलैंड’ की थालियाँ स्वादिष्ट और सस्ती है.जहाँ पर्यटक अधिकतर भोजन करना पसंद करते है. इसके अलावा वेन्ना लेक के पास का दृश्य बहुत कुछ जुहू चौपाटी की तरह है. जहाँ आसपास वडा पाव, मक्का पेटिस,स्वीट कॉर्न, आलू और प्याज के पकौड़े, मकई के पकौड़े, अलग-अलग तरह के भेल,छोटी- छोटी दुकानों में मिलते है. यहाँ साइकिल पार्लर भी है, जिसमें लोग घर के बने हुए स्ट्राबेरी और लीची के आइसक्रीम बेचते है. इसके अलावा बगीचा कॉर्नर और शिवनेरी रेस्तरां भी बहुत प्रसिद्द है.
डी एम् बावलेकर के हिसाब से वहां की थाली बहुत खास है, जिसमें 50 तरह की शाकाहारी और मांसाहारी अलग-अलग व्यंजन के साथ थालियाँ मिलती है. ये स्वादिष्ट होने के साथ-साथ किफायती भी है, जिसमें परोसी गयी मक्के और बैगन की सब्जी खास होती है, जिसे अवश्य चखें.
पंचगनी के आर्किटेक्ट डेव्लपर नितिन शांताराम भिलारे कहते है कि पंचगनी में महाराष्ट्र की ऑथेंटिक फ़ूड वरन भात,झुणका भाखर बहुत प्रसिद्द है.इसके अलावा वहां की फ़ूड कोर्ट लकी कैफे एंड बेकरी काफी लोकप्रिय है, वहां का बन मस्का का आनंद जरुर लें.
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डॉ. सरोज के अनुसार यहाँ छोटे-छोटे दुकानों में हैण्ड मेड नेचुरल स्ट्राबेरी आइसक्रीम मिलते है, जिसे आप अपनी पसंद के अनुसार बनवाकर खा सकते है. इसके अलावा दुकानों में तरह-तरह के चूरन मिलते है, जिसे आप चखकर अपने स्वाद के हिसाब से खरीद सकती है.
सुरेखा का कहना है कि महाबलेश्वर में कई छोटे-छोटे बंगलों को होटल में परिवर्तित कर दिया गया है. वहां घर जैसा खाना मिलता है, जिसे पर्यटक काफी पसंद करते है.
कहाँ से और क्या करें खरीदारी
डी एम् बावलेकर कहते है कि यहाँ की स्ट्राबेरी, गुजबेरी और मल्बेरी पूरे देश में प्रसिद्ध है. ये सीजनल होते है, लेकिन अच्छी क्वालिटी की प्रचुर मात्रा में होने की वजह से इसका उद्योग खूब फैला है जिसमें महिलाएं कार्यरत है. इन फलों से बने जैम, जेली, जूस, सिरप और चॉकलेट फ्रेश, सस्ता होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होते है. ये केवल महाराष्ट्र में ही नहीं, पूरे भारत में बिकता है.
सुरेखा के अनुसार यहाँ का मेप्रो मार्केट खरीदारी के दृष्टिकोण से काफी लोकप्रिय है. यहाँ हर तरह के बैग, पर्स, जूते चप्पल के अलावा जैम, जेली, चिक्की और भूनी हुई चने के कई वेरायटी मिलते है. इसी तरह वहां की सरोज बताती है कि महाबलेश्वर में लकड़ी के खिलौने, जूट के बैग और सजावट की वस्तुएं भी किफायती दाम पर मिलते है. यहाँ के पुरुष चप्पलें बनाते है,जो नए डिजाईन और फैशन के साथ-साथ बहुत सुंदर होते है, जिसके लिए कच्चा माल ये लोग आगरा, दिल्ली और कानपुर से लाते है,ये चप्पलें सस्ती और सुंदर होती है.
ठहरने की सुविधाएं
महाबलेश्वर में ठहरने की व्यवस्था अच्छी है, क्योंकि यही एक ऐसा व्यवसाय है, जो सालों साल वहां की जीविका रही है. गनेश कहते है कि यहाँ 500 से लेकर 5000 रुपये तक का कमरा मिलता है. बजट के हिसाब से कमरे बुक कर सकते है. ऑनलाइन बुकिंग की भी सुविधा है. कीमत के हिसाब से सुविधाएं भी मिलती है. कई बड़े होटल भी आजकल यहाँ है जिसमें अधिकतर विदेशी सैलानी ठहरते है. इन होटलों में स्विमिंग पूल, स्पा और कांफ्रेंस रूम की व्यवस्था है. यहाँ का पूनम होटल काफी लोकप्रिय है.
घूमने का सही समय
गनेश बताते है कि महाबलेश्वर एक हिल स्टेशन है, यहाँ हमेशा पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सबसे अच्छा मौसम यहाँ अप्रैल, मई, जून, अक्तूबर, नवम्बर और दिसम्बर होता है. मानसून में भी यहाँ लोग आते है, लेकिन बहुत अधिक बारिश होने की वजह से यहाँ कोहरे की पर्त जमी रहती है और बादल छाये रहते है, जिससे वे घाटियों की सुन्दरता का लुत्फ़ नहीं उठा पाते. इस बार कोविड की वजह से कम लोग आ रहे है.
सावधानियां है रखनी
सुरेखा बताती है कि पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहाँ टेढ़े मेढ़े रास्ते है. ऐसे में बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत होती है. दिन में ही इन स्थानों पर जायें. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए यहाँ प्लास्टिक ले जाना मना है, ताकि पर्यावरण प्रदूषण से इस रमणीय स्थल को बचाया जा सके.
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