अपनी पहचान खुद बनाएं
कुछेक प्रयास से अपनी विशिष्टता और प्रभाव बरकरार रखने में सफल हो सकते हैं:
- मातापिता या बुजुर्गों के अलावा किसी के भी सामने बच्चे अथवा बेचारे बनने से बचें.
- हर किसी के सामने अपनी छवि अनभिज्ञ व असहाय न होने दें. यदि आप स्वनिर्भर व सक्षम हैं तो अन्य व्यक्ति के सलाह देने पर ‘न’ कहना सीखें और न ही दूसरे को बातबात पर सलाह देते रहें.
- यदि कुछ सम झ नहीं आए तभी दूसरे की सलाह लें और अमल करें, बातबात पर सदैव ऐसा न होने दें. स्वच्छ छवि ऐसी हो कि आप की उम्र व बड़प्पन झलके ताकि हरकोई आतेजाते आप को नासम झ मानने की भूल न करे.
- स्वयं पर भरोसा व आत्मविश्वास रखते हुए जिंदगी के साथ कदम दर कदम बनाते हुए आगे बढ़ें, खुदबखुद रास्ते निकलेंगे मंजिल मिलेगी. जिंदगी आप की अपनी मरजी से जीएं, छोटेबड़े फैसले खुद करें. दूसरे का हस्तक्षेप न होने दें. यदि आवश्यकता महसूस हो तब कभीकभार दूसरों की राय ली जा सकती है, किंतु सुनें सब की करें मन की.
- बेवजह औरों की राय ले कर स्वयं के आत्मसम्मान व आत्मविश्वास को कम न होने दें. इसी में आप का हित है, अच्छाई है.
सु चि अपने लिए लोकल मार्केट से ड्रैस ले ही रही थी कि अचानक उसे पीछे से किसी ने आवाज दी. सुचि ने पलट कर देखा तो रीमा थी. रीमा को अचानक वहां
देख कर सुचि का मूड औफ हो गया, क्योंकि उसे पता था कि अब वह जबरदस्ती उसे सही ड्रैस चुनने के टिप्स देने लगेगी जैसे खुद बड़ी फैशन की ज्ञानी हो. यह कैसा ले लिया, यह तो अब ट्रैंड में भी नहीं इत्यादि बताबता कर सिर खा जाएगी. खैर दोस्त थी तो मुंह पर मना भी नहीं कर सकती थी.