लेखिका-सोनिया राणा
वर्किंग मदर्स की बात करें तो सभी के मन में सब से पहले सुबह से रात तक एक व्यस्त रूटीन में बंधी महिलाएं आती हैं, जो सुबह उठ कर सब से पहले अपने परिवार का नाश्ता तैयार करतीं, फिर पूरे दिन की तैयारी कर खुद काम पर जातीं. जब दफ्तर से वापस आतीं तो परिवार में मातापिता को भी वक्त देतीं और अपने बच्चों के साथ भी क्वालिटी टाइम स्पैंड करतीं.
पहले से ही दिन के 24 घंटों में वर्किंग मदर्स खुद के लिए चंद मिनट भी नहीं निकाल पाती थीं और अब कोविड-19 महामारी ने उन की मुश्किलों को और कई गुणा बढ़ा दिया है. अब महत्त्वाकांक्षी महिलाओं को अपने कैरियर के साथसाथ घर वालों की सेहत के साथ ही घर को भी सुरक्षित बनाए रखने के लिए साफसफाई पर अतिरिक्त समय बिताना पड़ता है.
जो कामकाजी मां पहले दिन में कुछ पल अपने लिए निकालने के लिए जद्दोजहद करती थी उसे अब सांस लेने की भी फुरसत नहीं मिलती. लेकिन आप का यह रूटीन आप के परिवार के लिए भले जरूरी हो, लेकिन आप के लिए भविष्य में मुश्किल पैदा कर सकता है.
एक महिला परिवार की नींव होती है. अब सोचिए हम अपनी नींव पर इतना वजन दे देंगे तो पूरे घर का क्या होगा. इसलिए वर्किंग मदर हो या घरेलू महिला यह मुद्दा अब जोर पकड़ने लगा है कि उन का खुद का खयाल रखना कितना महत्त्वपूर्ण है.
बात फिर चाहे शारीरिक फिटनैस की हो या मानसिक सेहत की, डाक्टर्स भी महिलाओं को खुद की देखभाल करने की सलाह देते हैं.