लेखक- नरेश कुमार पुष्करना
अप्रैल की पहली तारीख थी. चंदू सुबह से ही सब से मूर्ख बननेबनाने की बातें कर रहा था. इसी कशमकश में वह स्कूल पहुंचा, लेकिन स्मार्टफोन पर बिजी हो गया. हमेशा गैजेट्स की वर्चुअल दुनिया में खोया रहने वाला चंदू स्मार्टफोन से व्हाट्सऐप पर गुडमौर्निंग के मैसेजेस कौपीपेस्ट कर रहा था कि अचानक व्हाट्सऐप पर एक मैसेज आया. इस मैसेज को पढ़ने और इंप्लीमैंट करने के बाद जो नतीजा उस के सामने आया उस से वह ठगा सा रह गया. दरअसल, किसी ने उसे अप्रैल फूल बनाया था. वह खुद पर खिन्न था लेकिन तभी उसे खुराफात सूझी. अत: उस ने भी अपने सभी दोस्तों को अप्रैल फूल बनाने की सोची और अपने सभी कौंटैक्ट्स पर उस मैसेज को कौपी कर दिया.
उस के कौंटैक्ट्स में उस की क्लास टीचर अंजू मैडम का नंबर भी था, सो मैसेज उन के नंबर पर भी फौरवर्ड हो गया. मैसेज में लिखा था, ‘क्या आप किसी अमित कुमार को जानते हैं? वह कह रहा है कि वह आप को जानता है. उसे आप का फोन नंबर दूं या आप को उस का फोटो सैंड करूं. मेरे पास उस का फोटो है. आप बोलें तो दूं नहीं तो नहीं.’
संयोग से मैडम के वुडबी का नाम भी अमित था, सो उन्हें बड़ी हैरानी हुई. उन्होंने आननफानन में रिप्लाई किया कि फोटो भेज दो और उन्हें मेरा नंबर भी दे दो, लेकिन जवाब में चंदू ने उन्हें फोटो भेजा तो वे ठगी रह गईं. फिर नीचे लिखे मैसेज को पढ़ कर हैरान हुईं. लिखा था ‘अप्रैल फूल बनाया.’ उस फोटो में अंगरेजी फिल्म ‘द मम्मी’ के प्रेतात्मा वाले करैक्टर का भद्दा चित्र था. मैम को चंदू पर बहुत गुस्सा आया. सो उन्होंने उसे सबक सिखाने की सोची. ‘अपने से बड़ों से मजाक करता है. इसे सबक सिखाना ही होगा.’ लेकिन साथ ही वे संदेश भी देना चाहती थीं कि मजाक हमउम्र से ही करे.
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