आप अपने घर की चारदीवारी में क्या हैं, कैसे रहते हैं, क्या पढ़ते हैं, क्या जमा करते हैं, क्या पहनते हैं, क्या खाते हैं, ये सब बातें समाज ही नहीं सदियों से सामाजिक वैज्ञानिक और कानूनी विशेषज्ञ कहते रहे कि आप का अधिकार है. एक घर चाहे जितना कमजोर हो, दरवाजा कितना ही पापड़ सा हो, छत कितनी ही पतली हो, सरकार कानून व समाज की दृष्टि से आपका किया है, एक अभेद किला.
अफसोस की बात है कि बहुत से लोग इस किले के राज को राज रखना नहीं जानते और आज यह आम है कि पुलिस वाले जब चाहे घरों में घुस कर कैसे रहते हैं, क्या करते हैं जानने का हक रखने की बात करते हैं.
अपने राज्यों के प्रति.....न रहने का एक कारण अपने निजी क्षणों, अपने कमरे, अपने रहनसहन के फोटो फेसबुक, व्हाट्सएप पर बांटना है. आज मैं ने पो......विद खास खाया दिखाने के लिए अपनी क्रोकरी दिखाते हैं और आज नई साड़ी पहनी दिखाने के लिए चोरी ड्रेस नायाब का फोटो डालते हैं. शौर्य वीडियो प्लेटफौर्सों पर तो घरों के दोनों दुनिया भर के लिए खोल दिए गए हैं. लोगों को अपनी निजता के अधिकार की लेथ भर की ङ्क्षचता नहीं रह गई. जराजरा सी बात पर वीडियो काल कर के लड़कियां अपने कमरे की पूरी ज्योग्रौफी दुनिया में बांट देती हैं. आप का किला शीशे का बन कर गया है जिस की सारी खिड़कियां परदे खुले हुए हैं.
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यही आदत आज निजता के अधिकार को खत्म कर रही है. उत्पादक ही नहीं सरकार भी हर नागरिक का पूरा प्रोफाइल बनाने में लगी हुई है. दुनिया भर में लोगों को चेहरों से पहचानने की तकनीक तो ढूंढी जा रही है, उन के बाथरूम तक कैमरों की नजरों में रिकार्ड हो रहे हैं और अमेरिका के विधन डेरा सेंटरों में जमा हो रहे हैं.
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