फूलों सी नाजुक उस लड़की से कोई तो रिश्ता है मेरा वरना उसे देखते ही दिल इतना बेचैन क्यों होता है उस की आंखों में मैं अपना अक्स क्यों ढूंढने लगता हूं ? एक अजनबी लड़की के होठों से अपना नाम क्यों सुनना चाहता हूं ? मेरा दिल कह रहा था एक बार उस से अपने दिल की बात कह दूं. मैं मौके की तलाश में था.
उस दिन वह कॉलेज कैंटीन में अकेली बैठी कुछ पढ़ रही थी. कैंटीन उस वक्त खाली सा था. मैं उस के सामने वाली चेयर पर जा कर बैठ गया और गला साफ करते  हुए कुछ कहने की हिम्मत जुटाने लगा. मगर उस का ध्यान मेरी तरफ नहीं था. वह नौवल पढ़ने में मशगूल थी.
मैं ने फिर से अपना गला साफ किया और टेबल पर रखे उस के हाथ थाम कर कहना शुरू किया," आज तक मैं ने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नहीं किया जैसा आप के लिए करता हूं. यह प्यारी बोलती सी आंखें, ये घुंघराले बाल, यह मासूम सा चेहरा मेरी आंखों में बस गया है. सोतेजागते, पढ़तेलिखते हर वक्त आप ही नजर आती हो. यू आर माय फर्स्ट लव एंड द फर्स्ट लव विल बी द लास्ट लव. डू यू लाइक मी?"
माया एक हल्की मुस्कान लिए मेरी नजरों में देख रही थी. उस ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैं थोड़ा असहज हो गया," देखिए मैं दूसरे लड़कों की तरह नहीं हूं. आई रियली लव यू. रूह की गहराइयों से प्यार करता हूं आप को. "
वह अब भी मुझे वैसे ही देखती रही. एक बार फिर कोई जवाब न पा कर मैं ने उस के हाथ छोड़ दिए और आंखें नीची कर ली.
तब जैसे वह होश में आई और तुरंत बोली," एक्चुअली आई डोंट नो व्हाट डिड यू
से. मैं ने सुना नहीं. मेरे कान खराब हैं न. "
मैं हतप्रभ रह गया. मेरी इतनी मेहनत बेकार गई थी. इतनी फीलिंग्स के साथ मैं ने इतना कुछ कहा और वह तो कुछ सुन ही नहीं सकी. बहरी है बेचारी. मन में अफसोस हुआ. इशारे से कुछ कहती हुई वह बैग खोलने लगी और मैं सॉरी कह कर वहां से उठ गया.
"अरे सुनो. रुको तो. कहाँ जा रहे हो?" वह पुकार रही थी. मगर मैं अपनी ही धुन में बाहर निकल आया.
मेरे पहले प्यार का पहला प्रपोजल सुना ही नहीं गया था. पर मैं ने हिम्मत नहीं आ हारी और वही सब बातें एक कागज पर लिख कर फिर से उस के पास पहुंचा और उसे कागज थमा दिया. मैं ने यह भी लिख दिया था कि आप बहरी हैं यह जान  कर बहुत दुख हुआ. मगर आप के अंदर इतनी खूबियां हैं कि है एक कमी कोई मायने नहीं रखती.
कागज पढ़ कर वह मुस्कुरा उठी और सहजता से बोली," आई रियली लाइक यू. कल तुम क्या कह रहे थे यह मैं ने कानों से तो नहीं सुना मगर तुम्हारे दिल में क्या है यह अच्छी तरह महसूस किया था. जब तुम मेरे पास आ कर बैठे थे उसी पल मैं ने तुम्हें अपना दिल दे दिया था. तुम दूसरे लड़कों से बहुत अलग हो. जैसा मैं चाहती थी बिल्कुल वैसे हो. तुम्हें यह भी बता दूं कि मैं बहरी नहीं, बस सुनाई कम देता है. यह हियरिंग ऐड न लगाऊं तो हल्की आवाज कान तक नहीं पहुंचती. जब कोई चिल्ला कर बोले तभी सुनाई देता है. पर यह हियरिंग ऐड लगाते ही सब कुछ क्लियर सुन सकती हूं. कल मैं इसे निकालने के लिए ही बैग खोल रही थी. तब तक तुम चले गए. मुझे लगा बहरी समझ कर तुम दोबारा नहीं आओगे. मगर आज तुम फिर से वापस आए तो मुझे यकीन हो गया है कि तुम्हारा प्यार सच्चा है. "
" प्यार तो रूह से होता है. एक जुड़ाव जो तुम्हारे लिए महसूस किया, कभी
किसी और के लिए नहीं किया, " मैं ने कहा.
" मेरे आगेपीछे हजारों लड़के घूमते हैं मगर किसी की आंखों में वह प्यार नहीं था जो प्यार तुम्हारी आंखों में है. कितनी सादगी और सरलता से तुमने अपने दिल की बात कह दी. सच तुम्हारी ही तलाश थी मुझे, " वह मुझे चाहत भरी  नजरों से देख रही थी.
इस तरह वह यानी माया मेरी जिंदगी में आ गई. हम साथ हंसते, साथ खातेपीते और साथ ही पढ़ते. वह ऐसी लड़की थी जो जिंदगी पूरी तरह जीना चाहती थी. खुद के साथ दूसरों का भी ख्याल रखती. खूब मस्ती करती और पढ़ाई के समय सीरियस हो कर पढ़ती भी. उसे नोवेल्स पढ़ने का बहुत शौक था. अक्सर नोवेल्स के किरदारों में गुम रहती.
हम ने बेहद खूबसूरत लम्हे साथ बिताए. वह कभी मुझ से बोर हो जाती या झगड़ा होता तो वह अपने हियरिंग ऐड कान से निकाल कर पर्स में रख लेती. फिर मैं कितना भी बोलता रहता उसे फर्क नहीं पड़ता. थोड़ी देर के बाद मुझे याद आता कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा होगा. हम दोनों बाद में इस बात पर बहुत हंसते.
इसी तरह समय बीत रहा था. हम ने ग्रेजुएशन कर लिया. माया और मैं ने अब एमबीए का कोर्स ज्वाइन कर लिया था. इधर कुछ दिनों से मां मेरी शादी की बातें करने लगी थी. मगर मैं अभी माया के मन की थाह लेना चाहता था. हम ने अब तक शादी को ले कर कोई चर्चा नहीं की थी.
एक दिन माया एक नौवेल पढ़ती हुई उस के किरदारों के बारे में बताने लगी, "
जानते हो इस नौवेल के दोनों मुख्य किरदारों ने शादी कहां की ?"
"कहां की?"
" उन्होंने पानी के जहाज पर शादी की," यह बात बताते वक्त उस की आंखों में एक चमक थी. फिर अचानक गंभीर हो कर बोली," अच्छा यह बताओ कि हम अपनी शादी कहां करेंगे?"
मैं मुस्कुरा पड़ा. मेरे दिल को तसल्ली मिली कि माया मेरे साथ पूरी जिंदगी के सपने देख रही है. उस ने फिर से मुझ से पूछा तो मैं ने उस के हाथों को चूम कर कहा," हम आसमान में शादी करेंगे. बादलों के बीच प्लेन में बैठ कर हमेशा के लिए एकदूसरे के बन जाएंगे. "
सुन कर वह खिलखिला उठी और मेरे गले लग गई. बिना कुछ कहे ही हम ने एकदूसरे को शादी के लिए प्रपोज कर लिया था. अगले दिन मैं ने विचार किया कि अब मुझे मां से शादी की बात कर लेनी चाहिए. आखिर मां मेरी शादी को ले कर बहुत सपने देख रही है. दरअसल मैं मां का इकलौता बेटा हूं. बड़ी दीदी की शादी हो चुकी है और पापा 2 साल पहले हमें छोड़ कर जा चुके हैं. सही मायने में मां के सिवा मेरा कोई नहीं था.
मैं ने मां को हर बात सच बताने की ठानी और उन के पास पहुंच गया.
" मां आप काफी समय से पूछ रही थीं न कि मैं शादी कब करूंगा. तो बस आज आप से यही कहने आया हूं कि मैं अब शादी के लिए तैयार हूं. मैं ने आप के लिए बहू भी देख रखी है. "
"अच्छा सच," मां का चेहरा खुशी से खिल उठा था.
 मैं ने मां को माया के बारे में सब कुछ बताते हुए कहा ," मां वह इतनी खूबसूरत है जैसे स्वर्ग की अप्सरा हो, सांचे में ढला हुआ उस का बदन और मन से इतनी भली लड़की है कि क्या बताऊँ. आंखें इतनी प्यारी हैं कि किसी को देख ले तो वह फिर से जी जाए और बाल तो ऐसे कि आप देखोगे न तो आप को लगेगा कि उस के अंदर कुदरत ने केवल खूबसूरती ही भर दी है. पर मां उसे नजर न लग जाए इसलिए कुदरत ने एक छोटी सी कमी भी रख छोड़ी है, " मेरी आवाज थोड़ी धीमी हो गई थी.
" कमी? कैसी कमी बेटा ?" मां ने पूछा.
" मां उस के कानों में समस्या है. सुनने की समस्या."
" यह क्या कह रहा है तू? मेरा इकलौता बेटा एक बहरी लड़की से शादी करेगा? लोग क्या कहेंगे और भला तुझ में कौन सी कमी है जो तुझे ऐसी लड़की लाने की सूझी?"मां एकदम से भड़क उठी.
" अरे मां वह बहरी नहीं है बस ऊंचा सुनती है. मगर हियरिंग ऐड लगा कर सब
कुछ सुन सकती है," मैं ने मां को समझाना चाहा.
मगर मां अड़ गई थीं," अरे बेटा वह हर समय तो मशीन लगा कर नहीं रहेगी न. मान ले जब वह सो रही है या आराम कर रही है और उस ने मशीन उठा कर रखी हुई है उस वक्त अचानक घर में कोई हादसा हो जाए, मैं गिर जाऊं, उस के बच्चे का पैर फिसल जाए या फिर कुछ और हो जाए. तब हम तो चिल्लाते रह जाएंगे न और उसे कुछ सुनाई ही नहीं देगा. बेटे आंखों देखी मक्खी नहीं निगली जा सकती. केवल खूबसूरत होना काफी नहीं. घर भी तो चलाना होगा न. पूरी दुनिया में तुझे एक बहरी लड़की ही मिली थी? नहीं बेटा मैं इस शादी की अनुमति नहीं दे सकती." मां ने अपना फैसला सुना दिया था. इस के बाद मैं ने मां को लाख समझाना चाहा मगर वह नहीं मानी.
मां ने मुझे साफ शब्दों में कहा," सुन ले अगर मां के लिए जरा सी भी मोहब्बत और इज्जत है तो तू उस लड़की से शादी नहीं करेगा. उसे भूल जा या फिर मुझे भूल जा. "
मेरे लिए मां से बढ़ कर कोई नहीं था सो मैं ने मां के बजाय माया को भूलना ही मुनासिब समझा. मैं माया से दूरियां बढ़ाने लगा. वह करीब आने की कोशिश करती तो मैं बहाने बना कर दूर चला जाता. बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.
एक दिन उस ने मेरा हाथ पकड़ कर नम आंखों से पूछा," तुम मुझे अवॉयड क्यों कर रहे हो मनीष? मुझ से शादी नहीं करोगे?"
" नहीं मैं तुम से शादी नहीं कर सकता. तुम किसी और को देख लो.," मैं ने जानबूझ कर बात इतनी खराब अंदाज में कही ताकि उसे बुरा लगे और वह मुझ से दूर हो जाए. सचमुच ऐसा ही हुआ.
माया भड़क उठी," किसी और को देख लो, इस का क्या मतलब होता है मनीष? आज तक
हम ने एकसाथ कितने ही सपने देखे और आज तुम .."
" हां मैं कह रहा हूं कि किसी से भी कर लो शादी और मेरा पीछा छोड़ो ," कह कर मैं उस से हाथ छुड़ा कर घर आ गया और फिर कमरा बंद कर शाम तक रोता रहा.
मैं जानता था अब माया कभी भी मुझ से बात तक नहीं करेगी. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे शरीर से रूह निकाल कर अलग कर दिया हो. मेरे होठों की हंसी छिन गई हो. उस दिन के बाद माया मुझ से बिल्कुल कटीकटी रहने लगी. एक दो महीने बाद ही फाइनल एग्जाम थे सो हमारे कॉलेज में प्रिपरेशन के लिए छुट्टी हो गई. फिर एग्जाम हुए और इस बीच मेरा प्लेसमेंट एक मल्टीनेशनल कंपनी में हो गया. माया ने भी कहीं और ज्वाइन कर लिया था. उस से मेरा कोई संपर्क नहीं रह गया.
इन दिनों में जी तो रहा था मगर जीने की चाह मिट चुकी थी. मां सब समझ रही थीं. फिर भी उन्हें लगता था कि कोई और लड़की मेरी जिंदगी में आएगी तो सब नॉर्मल हो जाएगा. मगर मैं ने दिल के सारे दरवाजे इस कदर बंद कर लिए थे कि कोई और लड़की दिल में आ ही नहीं सकती थी.
मां ने कई खूबसूरत लड़कियों के रिश्ते मुझे सुझाए. एक से बढ़ कर एक लड़कियों के फोटो दिखाए मगर मुझे कोई पसंद नहीं आई. एक तो उन की बहन की रिश्तेदार थी. मां ने उसे घर भी बुला लिया. मगर मुझे कोई रुचि लेते न देख फिर उसे वापस भेज दिया. इस तरह 5 साल बीत गए. मां बीमार रहने लगी थी. वह किसी भी तरह मुझे खुश देखना चाहती थीं .
अंत में एक दिन उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और कहा," बेटा मैं समझ
चुकी हूं कि तू माया के बगैर खुश नहीं रह सकता. देख तो क्या हालत बना ली
है अपनी. जा मैं कहती हूं माया को ही अपना ले. मां हूँ, तेरे चेहरे पर यह
गमी बर्दाश्त नहीं कर सकती. "
मां की बात सुन कर में फूटफूट कर रो पड़ा.," मां अब अनुमति देने से क्या
होगा? 5 साल बीत चुके हैं. उस ने कब की शादी कर ली होगी. मेरा कोई
कांटेक्ट भी नहीं है उस से, " मैं ने बुझे स्वर में कहा..
" बेटा मेरा दिल कहता है, अगर वह भी तुझ से प्यार करती होगी तो उस ने भी
जरूर अब तक शादी नहीं की होगी."
मैं ने मां की बात का मान रखा और अपनी जिंदगी को ढूंढने निकल पड़ा.बड़ी
मुश्किल से उस की सहेली का पता मालूम किया जो ससुराल में थी. मैं ने उस
से माया का पता पूछा तो उस ने कहा कि उसे भी कुछ नहीं पता. शायद माया ने
उस से कुछ भी न बताने का वादा किया लिया होगा. बाद में मैं ने एक दो
दोस्तों से भी बात की मगर किसी को भी उस के बारे में पता नहीं था.
फिर एक दिन अचानक मेरी मुलाकात कॉलेज के एक लड़के से हुई जो दिल ही दिल
में माया को चाहता था. हालचाल पूछने पर उसी ने माया का जिक्र छेड़ा. उस
ने बताया कि वह एक मीटिंग में के सिलसिले में शिमला गया था. वही माया से
मुलाकात हुई थी. वह अपनी कंपनी को रिप्रेजेंट कर रही थी.
" क्या वह शादीशुदा है ?" मैं ने छूटते ही पूछा तो वह हंस पड़ा.
" उस समय तक मतलब करीब 3 महीने पहले तक तो वह अविवाहिता ही थी."
मेरे चेहरे पर सुकून की रेखा खिंच गई. मैं ने जल्दी से उस से माया का
एड्रेस लिया और शिमला पहुंच गया. रास्ते भर में यही सोचता रहा कि माया
कैसी होगी? मुझे देख कर उस का रिएक्शन क्या होगा? कहीं वह मुझ से मिलने
से मना तो नहीं कर देगी? मैं दिए गए एड्रेस पर पहुंचा तो मुझे गार्डन में
एक लड़की खुले बालों में पौधों को पानी देती नजर आई. मैं ने एक पल में
पहचान लिया वह माया ही थी. चेहरे पर वही सादगी भरी मुस्कान और ललाट पर
सूर्य की लाली. बेहद हसीन गजल सा उस का व्यक्तित्व. दिल किया उसे बाहों
में समेट लूँ. 5 सालों से दिल में दफन सारे जज्बात उमड़ पड़ने को बेकरार
से थे.
मगर फिर ठहर गया. इन 5 सालों में आई दूरी कहीं उस के लिए मुझे अजनबी तो
नहीं बना गई? मैं उस के सामने जा कर खड़ा हो गया. वह उन्हीं निगाहों से
मुझे देखने लगी जब पहली बार मैं ने उसे प्रपोज किया था मगर उस ने हियरिंग
ऐड न लगा होने की वजह से सुना नहीं था.
मैं ने एक बार फिर अपने दिल की बात उसी अंदाज में कहनी शुरू की ,"माया
इतने सालों में एक भी लम्हा ऐसा नहीं जब मैं ने तुम्हें याद न किया हो.
मैं ने तुम्हारा दिल दुखाया मगर मैं विवश था. मां नहीं चाहती थी कि तुम
उन की बहू बनो पर मैं तुम्हें मां की रजामंदी के बाद ही अपने घर ले जाना
चाहता था. आज वह दिन आ गया है. मैं इसीलिए आया हूं. बताओ माया क्या मुझ
से शादी करोगी?"
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माया एकटक मुझे देख रही थी. मेरी बात खत्म होने पर उस ने कान की तरफ
इशारा करते हुए कहा कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा. तब मैं ने चिल्ला कर
कहा," माया मुझ से शादी करोगी?"
माया हंस कर हां कहती हुई मेरे सीने से लग गई. आज हमारी इतने सालों की
तपस्या पूर्ण हो गई थी. हम एकदूसरे की बाहों में थे.

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