सोनू एक हँसमुख बच्चा है पर बीते कुछ दिनों से वो बहुत चुप और उदास रहने लगा था न जाने किस सोच में गुम रहता . माँ सीमा को तब चिंता हुई जब उसका खाना भी अचानक कम हो गया ऐसे में उसे डॉक्टर को दिखाया गया तब पता लगा कि सोनू डिप्रेशन में है और उसे काउंसलिंग की आवश्यकता है .सीमा और समीर सोच में पड़ गए कि इतना स्वस्थ्य वातावरण देने पर भी ये कैसे हुआ ?
काउंसलिंग पर पता लगा कि स्कूल बस में बच्चे उसके नाम का मजाक बना बना कर उसे चिढ़ाते थे इसी से उसे मानसिक चोट पहुँची और किसी से शेयर न करने से वो डिप्रेशन की स्थिति तक पहुँच गया. ऐसे ही एक किस्से में दादा दादी के घर वापस लौट जाने से 8 साल की रिया डिप्रेशनग्रस्त हो गई जिसे काफी इलाज के बाद सामान्य किया जा सका. उपरोक्त उदाहरणों से हम समझ सकते हैं कि डिप्रेशन वयस्कों की तरह बच्चों में भी हो सकता है बस कारण अलग अलग हो सकते हैं.यदि कोई बच्चा लगातार दुखी या चिढचिढा है तो जरूरी नहीं कि वो डिप्रेशनग्रस्त हो .किंतु वो बार बार उदास रहता है लोगों से बात करने में हिचक रहा है खाने या नींद पर असर है तो हो सकता है वो डिप्रेशन में हो.अगर आपको भी लगता है कि बच्चों में डिप्रेशन नहीं हो सकता तो इन बातों पर गौर करें.
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
चिढ़चिढ़ाहट और क्रोध आना, लगातार दुख या निराशा लगना
लोगों से संवाद करना बंद हो जाना
अस्वीकृत होने का भय रहना, भूख में कमी या अधिकता
नींद में कमी या अधिकता
रोने का मन होना, एकाग्रता में कमी
थकान और ऊर्जा में कमी
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बिना कारण पेट दर्द या सिरदर्द रहना
कुछ भी काम करने का मन न होना
अपराधबोध से ग्रसित होना
आत्महत्या जैसे घातक विचार आना.
क्यों होता है बच्चों में डिप्रेशन
कई बच्चों को स्कूल में दूसरे बच्चों द्वारा बहुत ज्यादा परेशान किए जाने पर वो डिप्रेशनग्रस्त हो सकता है. स्कूल में बच्चे को चिढ़ाये जाने पर उसके आत्म-सम्मान में कमी आती है और लगातार तनाव में रहने के कारण वो डिप्रेशन की स्थिति में पहुंच जाता है. वहीं लगातार पड़ रहे किसी भी दबाव के कारण भी बच्चा इस स्थिति में पहुंच सकता है. अब ये दबाव पढ़ाई का भी हो सकता है और भावनात्मक भी.
अनुवांशिक कारण
जिन बच्चों के परिवार में किसी सदस्य को पहले डिप्रेशन हुआ हो, उनमें बाकी बच्चों की तुलना में डिप्रेशनग्रस्त होने का खतरा ज्यादा रहता है. वहीं ऐसा आवश्यक नहीं है कि जिन बच्चों में डिप्रेशन का कोई पारिवारिक इतिहास न हो, उन्हें कभी डिप्रेशन हो ही नहीं सकता है. अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्चे में डिप्रेशन का खतरा है तो जरा करीब से उसके क्रियाकलापों, भावनाओं और व्यवहार पर ध्यान दें.
लाइफ स्टाइल में बदलाव
वयस्कों की तरह बच्चे जल्दी किसी परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं. नए घर या स्कूल में जाना, पैरेंट्स का अलगाव देखना या भाई-बहन का बिछड़ना, या दादा-दादी से दूर होना, ये सभी चीजें बच्चे के मन मस्तिष्क पर नकारात्मक छाप डालती हैं. अगर आपको लग रहा है कि इन चीजों के कारण आपका बच्चा प्रभावित हो रहा है तो जितना जल्दी हो सके, उससे इस बारे में बात करें. यदि किसी हादसे के बाद बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन दिख रहा है तो आपको तुरंत डिप्रेशन की पहचान कर उसका इलाज शुरू करवा देना चाहिए.
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रासायनिक असंतुलन
कुछ बच्चों में शरीर के अंदर रसायनों के असंतुलन के कारण डिप्रेशन हो जाता है. हार्मोनल परिवर्तन और वृद्धि होने के कारण ये असंतुलन हो सकता है लेकिन ऐसा कुपोषण या शारीरक गतिविधियां कम करने की वजह से भी हो सकता है. बच्चे का विकास ठीक तरह से हो रहा है या नहीं, इसकी जांच के लिए नियमित चेकअप करवाते रहें. इस तरह बच्चों को डिप्रेशन की स्थितियों से बचाया जा सकता है .