लेखक- अशोक कुमार चौहान

बदलते मौसम खासकर शीतऋतु में गुलदाऊदी के रंगबिरंगे फूल न केवल आप के आसपास के माहौल को खुशनुमा बनाते हैं बल्कि आप के आशियाने और बगिया को भी गुलजार करते हैं. इस की सुंदरता से आप का घर कैसे खिलखिलाए, बता रहे हैं अशोक कुमार चौहान.

शीतऋतु आते ही सब से पहले गुलदाऊदी के पौधों पर भिन्नभिन्न रंगों के फूल खिलते हैं. पाश्चात्य जगत ने इसे गुलदाऊदी यानी ‘सुनहरा फूल’ की संज्ञा दी है. गुलदाऊदी के फूल घर की सजावट में चारचांद लगाते हैं. इस की सफेद, पीली, बसंती, गुलाबी, बैगनी आदि रंगों की किस्में विकसित की जा चुकी हैं.

गुलदाऊदी के फूलों को कई वर्गों में बांटा गया है. पुष्पों का वर्गीकरण उस की पंखड़ी की आकृति व आकार पर निर्भर होता है. गुथे हुए गोल गेंदनुमा फूल को ‘इनकर्व्ड’, आधा खुला आधा गोल फूल को इंटरमीडिएट, बाहर की ओर बिखरी पंखड़ी वाले को रिफ्लैक्स्ड, तंतुनुमा सूर्यकिरणों जैसे फूल को स्पून कहते हैं. छोटे फूलों वाली किस्में एनीमोन, कोरियन पोम्पान, वटन आदि भी पाई जाती हैं.

गुलदाऊदी के फूलों को बगीचे या गमलों में उगाने के लिए काफी समय पहले से तैयारी करनी पड़ती है. इस के लिए पिछले वर्ष के पौधों से अंकुरित नई जड़ें, जिन्हें सर्कस कहते हैं, निकाल कर नए पौधे तैयार करने पड़ते हैं या पुराने पौधों की शाखाओं के शीर्ष भाग से 3 से 4 पत्तियों वाली कटिंग काट कर उन्हें रेत में लगा कर गुलदाऊदी के नए पौधे तैयार किए जाते हैं. कटिंग की लंबाई 3 इंच होनी चाहिए और सुबह के वक्त कटिंग को काटना अच्छा रहता है. कटिंग से जल्दी जड़ें निकलें, इस के लिए नीचे के कटे भाग को रुटेक्स के पाउडर से उपचारित कर लें.

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