अगर आप पहली बार मां बनी हैं तो आप के मन में अपने बच्चे को ले कर काफी उत्साह होगा, जोकि स्वाभाविक भी है, लेकिन बच्चे को पालना, उस की देखभाल ठीक तरह से हो, इस को ले कर चिंताएं भी कम नहीं होती हैं. अगर परिवार में कोई बुजुर्ग है तो फिर कोई बात नहीं, लेकिन आजकल परिवार छोटे होते हैं, न्यूक्लियर फैमिली. ऐसे में बच्चे की छोटीमोटी बातों की जानकारी आमतौर पर नई मां को नहीं होतीं. ऐसी मांओं को नवजात बच्चों को दूध पिलाने को ले कर बहुत सारी उलझनें होती हैं.

कैसे दूध पिलाया जाए

कोलकाता की जानीमानी डाक्टर संयुक्ता दे इस बारे में कहती हैं कि आमतौर पर नई मांएं समझती हैं कि दूध पिलाने में क्या रखा है. यह मामला स्वाभाविक है, इसीलिए बड़ा आसान भी है. लेकिन इस के लिए केवल शारीरिक नहीं, मानसिक तैयारी की भी जरूरत पड़ती है. ये दोनों तैयारियां अगर न हों तो पहली बार स्तनपान कराने में कुछ समस्याएं आ सकती हैं.

पहली बार कब

स्वाभाविक प्रसव के मामले में शिशु को बहुत जल्दी ब्रैस्ट फीड कराना संभव हो जाता है. स्पाइनल कौर्ड में इंजेक्शन लगा कर सीजर करने के मामले में भी मां उसी दिन ब्रैस्ड फीड करा सकती है. लेकिन पूरी तरह से बेहोश कर के सीजर करने पर कम से कम 2 दिनों के बाद ब्रैस्ट फीड कराया जा सकता है.

निप्पल के आकार की समस्या

कुछ महिलाओं के स्तन के निप्पल का आकार सही नहीं होता. ऐसे स्तन से दूध पीने में बच्चों को तकलीफ होती है. इसीलिए मां बनने की तैयारी के साथ स्तन की देखभाल जरूरी है. अगर स्वाभाविक निप्पल नहीं है, तो रोज सुबहशाम औलिव औयल उंगलियों के पोरों में लगा कर दबे निप्पल को बाहर लाने की कोशिश करना जरूरी है. कुछ दिनों में यह स्वाभाविक हो जाएगा. ऐसी समस्या के लिए प्रसूति विशेषज्ञ व गाइनाकौलोजिस्ट से भी सलाह ली जा सकती है.

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