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आज मानवी की आंख जरा देर से खुली, लेकिन जब वह सो कर उठी तब उस ने एक अजीब सी बेचैनी महसूस की. अपनी बिगड़ी हालत देख कर वह समझ गई कि जरूर उस का गर्भपात हुआ है. तब उस ने अधीरता से रवि को आवाज लगाई, पर उस की आवाज उसे नहीं सुनाई दी.

‘जरूर रवि मेरे लिए चाय बना रहा होगा,’ यही सोच कर वह देर तक आंखें मूंदे बिस्तर पर पड़ी रही, लेकिन जब काफी देर के बाद भी रवि नहीं आया तब मानवी का माथा ठनका.

फिर वह किसी तरह अपनी बची शक्ति समेट कर बड़ी मुश्किल से उठी और धीरेधीरे चलती हुई किचन की तरफ बढ़ गई.

पर यह क्या? रवि तो किचन में भी नहीं था. तभी उस की नजर घर में फैले सामान पर पड़ी. सामने वाली अलमारी का ताला टूटा पड़ा था और उस में रखा सारा कीमती सामान गायब था.

ये सब देख कर मानवी की चीख निकल गई. तब वह धम से सामने पड़े सोफे पर बैठ गई और अनायास ही उस का दिल भर आया.

एक तरफ वह बहुत कमजोरी महसूस कर रही थी तो दूसरी तरफ मानसिक व आर्थिक रूप से भी अक्षम हो चुकी थी.

उसे आज समझ आ रहा था कि उस ने रवि के साथ लिव इन में रह कर कितनी बड़ी भूल की है.

‘कुछ भी ऐसा मत करना मेरी बेटी, जिस से बाद में हमें पछताना पड़े,’ दिल्ली आते समय उस के बाबूजी उस से बोले थे.

‘ओह, बाबूजी... मैं वहां कुछ बनने जा रही हूं, इसलिए कुछ भी ऐसेवैसे की तो गुंजाइश ही नहीं है...’ इतना कह कर उस ने आगे बढ़ कर अपने बाबूजी के चरणस्पर्श कर लिए थे.

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