गर्भाशय (Uterus ) का Cancer आज देश में तेजी से महिलाओं में फैलती जा रही है. इसकी वजह पहले दिखाई नहीं पड़ती और महिलाएं खुद के बारें में इतना नहीं सोचती. भारत में गर्भाशय के कैंसर की घटना 3.8 से बढ़कर एक लाख में 5 महिलाओं को होता है. यह डेटा गर्भाशय के कैंसर को महिलाओं में 5वां सबसे आम कैंसर बताता है. इस बारें में चेन्नई की अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर की स्त्री रोग ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. कुमार गुब्बाला कहती है कि भारत में यह डेटा गर्भाशय के कैंसर की महिलाओं में 5वां सबसे आम कैंसर की श्रेणी में आता है. अधिकांश गर्भाशय के कैंसर के कारणोंका पता लगाना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ ऐसे कारक है, जो इसे विकसित होने के जोखिम को बढ़ाते है.यह अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब और पेरिटोनियम से उत्पन्न होने वाले कैंसर की एक बड़ी संख्या है. यह आमतौर पर 75 प्रतिशत रोगियों में विकसित अवस्था में दिखाई देता है, क्योंकि तब ये अन्य अंगो में भी फ़ैल गया होता है.
गर्भाशय के कैंसर बढ़ने की वजह
- जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, गर्भाशय के कैंसर होने का खतरा बढ़ता जाता है. गर्भाशय के कैंसर के ज्यादातर मामले उन महिलाओं में होते है, जिनका मासिक धर्म आना बंद हो चुका होता है.
- आनुवंशिक दोषपूर्ण जीनगर्भाशय के कैंसर के कारण होते है, जो एक महिला के जीवन के दौरान विकसित होते हैऔर विरासत में नहीं मिलते है, लेकिन 100 में से 5 से 15 गर्भाशय के कैंसर 5 से 15 प्रतिशतआनुवंशिक दोषपूर्ण जीन के कारण होते है. विरासत में मिले दोषपूर्ण जीन जो गर्भाशय के कैंसर के खतरे को बढ़ाते है, उनमें BRCA1 और BRCA2 शामिल है, ये जीन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ाते है.
- गर्भनिरोधक गोली लेना, बच्चे पैदा करना और स्तनपान कराना.
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प्रारंभिक लक्षण
अक्सर गर्भाशय के कैंसर के लक्षण अन्य बीमारियों की तरह दिखता है, लेकिन सूक्ष्म परिक्षण के द्वारा इसे पता लगाया जा सकता है.
सबसे आम लक्षण सूजन, पेट में दर्द, मासिक धर्म में बदलाव, दर्दनाक संभोग, खाने में परेशानी या जल्दी से पेट भरा हुआ महसूस करना, थकान आदि है, जिसे समय रहते किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ले और इलाज करवाएं.
गर्भाशय के कैंसर के प्रकार
एपिथेलियल गर्भाशय कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है. दुर्लभ प्रकारों में जर्म सेल ट्यूमर,स्ट्रोमल ट्यूमर और सार्कोमा शामिल है. प्राथमिक पेरिटोनियल कैंसर गर्भाशय के कैंसर की तरह होता है और उसी तरह से इलाज किया जाता है.
जांच
अल्ट्रा साउंड स्कैन, सीए 125 ब्लड टेस्ट, एमआरआई, सीटी या पैट सीटी स्कैन ये 4 प्रकार के टेस्ट से इस कैंसर का पता लगाया जा सकता है. दरअसल इसके ग्रोथ चार चरण में होता है,पहली चरण में अगर कैंसर अंडाशय तक सीमित है, चरण 2में पेट के निचले हिस्से में कैंसर होना,3 और 4होने पर कैंसर का पेट के अन्य अंगों में फैल जाना है.
गर्भाशय के कैंसर का इलाज
इसके आगे डॉ. कुमार गुब्बाला कहती है कि गर्भाशय के कैंसर के निदान और उपचार के लिए एक अनुशासनिक टीम की आवश्यकता होती है, जो मुख्य डॉक्टर के साथ मीटिंग कर उस टीम का साथ देती है. इसके अलावा उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कहाँ, कितना बड़ा, शरीर में कहीं दूसरी जगह पर फैल गया है या नहीं और रोगी की सामान्य स्वास्थ्य पर उसका प्रभाव क्या है.
अगर गर्भाशय द्रव्यमान (mass) को हटाने और निदान के लिए, गर्भाशय के कैंसर के संदेह के लिए जो पेट के अन्य भागों में फैल चुका हो,जिसमें ओमेंटम, पेरिटोनियम, लिम्फ ग्रंथियों को हटाना शामिल होता है, तब ऑपरेशन की आवश्यकता होती है, जहाँ आंत के करीब या उसके पास काम करना पड़ सकता है.
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यदि कोई व्यापक बीमारी है या ऑपरेशन के बाद सर्जरी से पहले कभी-कभी कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है. पहले कीमोथेरेपी का उपयोग करने की वजह कैंसर की मात्रा को कम करना है और ऑपरेशन के बाद कैंसर सेल की थोड़ी भी मात्रा शरीर में न रहे न रहे को न छोड़ने के इरादे से कम व्यापक ऑपरेशन करना संभव बनाना है.सही और समय पर इलाज से लगभग 90 प्रतिशतरोगी ठीक हो सकते है.
गर्भाशय के कैंसर का पता चलने के बाद लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं कम से कम 5 साल तक बीमारी से जीवित रहती है. प्रारंभिक स्टेज में पता चलने पर20से 40 प्रतिशत महिलायें, जो एडवांस स्टेज में इलाज होने पर जीवित रहती है, जबकि थोड़ी देर में कैंसर का पता चलने पर एडवांस की तुलना में 90 प्रतिशत महिलाएं कम से कम 5 साल तक जीवित रहती है.