यदि आप किसी ऐसी जगह घूमने जाना चाहते हैं, जहां भीड़भाड़ से दूर शांत समुद्री किनारा हो, घने जंगल हों तथा पारंपरिक वास्तुकला के प्रतीकों की भी भरमार हो तो आप को ओडिशा जाना चाहिए. प्राचीन कला और परंपरा की विरासत से, संपन्न इस राज्य के निवासी बहुत ही मिलनसार और भले हैं.

ओडिशा के 3 प्रमुख स्थान भुवनेश्वर, पुणे तथा कोणार्क पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं. भुवनेश्वर की ख्याति सिर्फ इसलिए नहीं है कि यह ओडिशा की राजधानी है, बल्कि इसलिए भी है कि यह अपनी वास्तुकला का महत्त्वपूर्ण केंद्र है. सदियों पूर्व कोटिलिंग नाम से पहचानने वाला यह नगर मंदिरों, तालाबों और  झीलों का शहर ही कहा जाता है.

भुवनेश्वर नगर के 2 भागों में बांट कर देखा जा सकता है. प्रथम आधुनिक भुवनेश्वर और द्वितीय प्राचीन भुवनेश्वर. आधुनिक भुवनेश्वर वह है जो हाल के दशकों में राजधानी के रूप में निखर कर सामने आया है और प्राचीन भुवनेश्वर वह है जो इस आधुनिक भुवनेश्वर से थोड़ा अलग दिखता है. प्राचीन भुवनेश्वर में ही ओडिशा की संस्कृति सुरक्षित व संरक्षित देखने को मिलती है. आधुनिक भुवनेश्वर अन्य प्रदेशों की अन्य राजधानियों जैसा ही है.

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सब से बड़ा मंदिर है. इसे भुवनेश्वर मंदिर भी कहते हैं. इस का कारण यह है कि इस मंदिर में विशाल शिवलिंग है. मंदिर के प्रांगण में भगवती का भी एक मंदिर है. मंदिर का विशाल शिवलिंग ग्रेनाइट पत्थर का बना है. स्थापत्य कला की दृष्टि से यह मंदिर बेजोड़ है.

नंदन कानन पार्क

भुवनेश्वर में नंदन कानन पार्क भी है. 400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह हराभरा पार्क है जिस में छोटी सी  झील, चिडि़याघर व अभयारण्य है.

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