अग्निपथ स्कीम की चर्चा के दौरान भारतीय सेनाओं के अफसरों की चर्चा न के बराबर हो रही है. जहां लाखों युवा आम्र्ड फोसर्स में नौकरी पाने के अवसर खोने पर पूरे देश में ट्रेनें, बसें, भाजपा कार्यालय, सरकारी संपत्ति जला रहे हैं, करीब 1 लाख अफसरों वाली सेना योग्य व कर्मठ अफसरों की कमी से जूझ रही है.
छठे व 7वें सैंट्रल पे कमीशन में अफसरों के वेतन काफी बढ़ गए हैं और बहुत ही सुविधाएं भी आम्र्स फोर्र्सेस के अफसरों की मिल जाती है जो वेतन में नहीं गिनी जातीं, अफसरों में कमी सरकार के लिए एक चिंता बनी है.
अफसरों को लगता है कि वे जो जोखिम लेते हैं, जिस तरह उन के बच्चों को तबदिलों की वजह से भटकना पड़ता है, सेना को औफिस लाइफ क्लालिटी युवा सेवा में नौकरी पाने को बेचैन नहीं दिखते. जहां आम रोजमर्रा के लिए लाखों युवा कस कर मेहनत करते दिखते हैं, पढ़ेलिखे परिवारों के बच्चे आईआईटी, नीट, क्लैट, एमबीए आदि की तैयारी में लगे रहते हैं. भारतीय जनता पार्टी अपनी सोच पर बहुत गरूर करती है पर उस के नेताओं में अपने बच्चों को सेना में भेजने की रूचि न के बराबर है.
अग्निवीर योजना का एक लाभ जरूर है कि जो युवा 21 से 25 साल तक रिटायर होंगे उन की शादी हुई ही नहीं होगी और सैनिक विडोज तो कम दिखेंगे. जो सेना में रह जाएंगे उन की औरतें विधवा होने का पूरा रिस्क लेती है क्योंकि सेना जिंदगी भर की पेंशन देने का वादा करती हैं.
अफसरों के लिए आज भारी क्वालिकेशन की जरूरत है क्योंकि सेना भी अब आधुनिक होती जा रही है और जो समान विदेशों से खरीदा जहा रहा है, चाहे हवाई जहाज हो, सब मेरीम हो, टैंक हों, उन में कंप्यूटरों की जरूरत होती है. आज की लड़ाई में चाहे अफसर पीछे रहें, जोखिम बराबर का बना रहता है और पढ़ेलिखे कमीशंड औफिसर बच्चे की कोई रूचि नहीं दिखा रहे.
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