जब कोई प्रियजन आपके जीवन से अचानक चला जाता है, जिससे आपकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है, आपकी जिंदगी उसके यादों के इर्द-गिर्द घूमती है,तब केवल एक ही रास्ता आपके जीवन में थोड़ी तसल्ली देती है, वह है गुजरे व्यक्ति की इच्छाओं को पूरा करना. दिल्ली की संस्था ‘उदयन केयर’ की सामाजिक कार्यकर्त्ता और फाउंडर मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. किरण मोदी ऐसी ही एक माँ है, जिन्होंने केवल 21 वर्ष के बेटे को एक दुर्घटना में खो दिया औरअपनी संस्था का नाम उन्होंने खोये हुए बेटे उदयन के नाम पर रखा. डॉ. किरण ने इसमें ‘मेकिंग यंग लाइफ शाइन’ कैम्पेन के द्वारा अनाथ, किसी बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखभाल, महिला सशक्तिकरण को बढ़ाना आदि को ध्यान में रखते हुए हर बच्चे को आत्मनिर्भर बना रही है. शांत और स्पष्टभाषी 67 वर्षीय डॉ.किरण को इस काम के लिए शुरू में बहुत कठिनाई आई, पर वे घबराई नहीं और अपने काम को अंतिम रूप दिया. उनके साथ तीन ट्रस्टी जुड़े है, जो उन्हें पूरी तरह से सहयोग देते है.

किया संस्था का निर्माण

डॉ. किरण कहती है कि आज से 28 साल पहले मेरे जीवन में एक ऐसा मोड़ आया, जिसने मुझे हिला कर रख दिया. फिर मैंने महसूस किया किमुझे कुछ ऐसा करना है, जिससे मेरा दुःख कुछ समय के लिए कम कर सकूँ. मैंने बच्चों के लिए कुछ करने की योजना बनाईऔरयही से मैंने अपनी संस्था बनाई. धीरे-धीरे मेरे साथ अच्छे लोग जुड़ते गए और मेरा काम आसान होता गया. मेरे बेटे का नाम उद्यन था, वह अमेरिका में अकेले रहकर पढ़ाई कर रहा था और वहां उसकी मृत्यु एक दुर्घटना की वजह से हो गयी. जब मैं वहां उसके कमरे में गयी, तो वहां मुझे एक कागज मिला, जिसमे मैंने पाया कि वह किसी को बिना बताएं अफ्रीका और गरीब देशों की बच्चों के लिए अनुदान देता था, ऐसे में मैंने उसके काम को आगे बढ़ने की सोची और अपनी संस्था उदयन केयर बनाई.

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