दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान के सब से पास गंगा गढ़मुक्तेश्वर में बहती है और लंबे समय से यह भक्तों की डुबकी लगाने की या मृतकों को फूंकने की जगह है. पर अब सरकार और मंदिरवादियों के जबरदस्त प्रचार के कारण यहां का भी धंधा देश के दूसरे तीर्थों की तरह फूलफल रहा है. इस बार जेठ दशहरा पर 12 लाख से अधिक अंधभक्तों ने जम कर मैली गंगा में स्नान किया और पहले व बाद में दान में करोड़ों रुपए दिए. गंगा को और ज्यादा गंदा किया वह अलग क्योंकि हर भक्त एक दोने में फूलपत्ती, दीए रख कर बहाता है.
इस बार इस दिन मेन सड़क पर जाम न होने पर पुलिस वाले अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं. पुलिस ने जेठ दशहरे के लिए हफ्तों पहले प्लानिंग शुरू कर दी. सड़कों पर बीच की पटरी में कट बंद किए गए. खेतों में पार्किंग बनाई गई. मेरठ और मुरादाबाद मंडल के अफसरों ने कईकई मीटिंगें कीं और हर बार आनेजाने पर पैट्रोल फूंका ताकि भक्तों और हाईवे इस्तेमाल करने वालों का पैट्रोल बेकार न जाए.
जहां पुलिस के मैनेजमैंट की तारीफ की जानी चाहिए, वहीं यह सवाल भी पूछा जाना चाहिए कि आखिर इस जेठ दशहरे पर डुबकी लगाने से भक्तों का कौन सा व्यापार चमक उठता है? कौन सी नौकरी में प्रमोशन मिल जाती है? किस के ऐग्जाम में ज्यादा नंबर आ जाते हैं? किस की बीमारी ठीक हो जाती है? कहां रिश्वतखोरी बंद हो जाती है? कौन सा सरकारी दफ्तर अच्छा काम करने लगता है? किस के खेत की उपज बढ़ जाती है? किस कारखाने में प्रोडक्ट ज्यादा बनने लगते हैं?
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