महिलाओं को कई बार अचानक अपने ब्रेस्ट साइज में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है. दरअसल, अचानक से यदि ब्रेस्ट का साइज बढ़ने लगे, तो महिलाएं शर्मिदा होने लगती है, लेकिन ये शर्मिदा होने वाली नहीं बल्कि बीमारी का संकेत होता है. मेडिकल की भाषा में इस समस्या को गिगेंटोमैस्टिया या ब्रेस्‍ट हाइपरट्रॉफी कहते हैं. ये एक दुर्लभ कंडीशन है, इसके सिर्फ कुछ ही मामले सामने आते हैं. हालांकि, इसके कारण अभी पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन फिर भी कुछ लक्षण और कारण ऐसे होते हैं, जिनसे इस समस्या का पता लगाया जा सकता है तो जानते हैं ब्रेस्ट के साइज के बड़े होने के कारण और लक्षण, साथ में इलाज को भी जान लेते है

आपको जानकार यह आश्चर्य होगा कि ब्रेस्ट एन्हांसमेंट को एक ब्यूटी समझी जाती है, अधिकतर सेलेब्स इसे करवाकर खुद को आकर्षक और सेक्सी बनाती है, जिसमें शिल्पा शेट्टी, बिपाशा बासु, कंगना रनौत, आयशा टाकिया, सुस्मिता सेन आदि कई अभिनेत्रियाँ है, जो खुद की सुन्दरता को बनाए रखने के लिए इस तरह की सर्जरी करवाती है. हालाँकि इसका ट्रेंड हॉलीवुड से आया है, जहाँ किमकार्दासिया ने ब्रैस्ट एन्हांसमेंट कर अपनी खूबसूरती में 4 चाँद लगवाए, लेकिन अगर जरुरत से ज्यादा स्तन बढने लगे, तो समझ लेना पड़ता है कि ये कोई बीमारी है

मुंबई की 17 साल की रौशनी को कम उम्र में अचानक स्तन का आकार बढ़ने लगा पहले उसने इस पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद उसे इतनी समस्या होने लगी कि वह कॉलेज जाना अवॉयड करने लगी. पहले माँ को समझना मुश्किल था कि वह ऐसा क्यों कर रही है, पर बाद में बहुत पूछने पर पता चला, तो कॉस्मेटिक सर्जन के पास जाने पर डॉक्टर ने बताया कि ये ब्यूटी नही,गिगेंटोमैस्टियाएक बीमारी है, जिसके लिएदवा या सर्जरी करनी पड़ती है.

इसके अलावा, बहुत ज्‍यादा बड़े ब्रेस्‍ट के परिणामस्वरूप मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक समस्याएं हो सकती है.

असल में गिगेंटोमैस्टिया एक दुर्लभ बीमारी है, जो महिलाओं को प्रभावित करती है, जिसमें किशोर, गर्भावस्था और बढते उम्र में स्तन वृद्धि की समस्या दिखाई देती है.गिगेंटोमैस्टिया एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है, जहां ब्रेस्ट बहुत अधिक बढ़ जाते है. अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के ब्रेस्ट सर्जन डॉ. नीरजा गुप्ता ने ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी ने मेडिकल लिटरेचर में अभी तक इसके केवल 200 मामले ही दर्ज किए गए है, ज्यादातर यह हार्मोन के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता के कारण होता है और कई बार गर्भावस्था के बाद स्तन वापस सामान्य आकार में नहीं आते है.कुछ लक्षण निम्न है,

लक्षण

  • ब्रेस्‍ट में दर्द
  • सिरदर्द
  • कंधे, पीठ और गर्दन में दर्द
  • खराब पोश्चर
  • ब्रेस्‍ट के नीचे त्वचा पर चकत्ते, संक्रमण या फोड़े
  • ब्रेस्‍ट एसिमिट्री (जब एक ब्रेस्‍ट दूसरे से बड़ा होता है)
  • अस्थायी या स्थायी नर्वस डैमेज
  • खेल खेलने या एक्‍सरसाइज करने में कठिनाई

अपने अनुभव के बारें में डॉ. नीरजा कहती है कि गिगेंटोमैस्टिया नामक इस दुर्लभ बीमारी से स्तन के बढ़ने के कारण दिल्ली में रहनेवाली एक 40 उम्र के निशा अरोड़ा को चलने में दिक्कत आ रही थी. 40 वर्षीय महिला के स्तन का आकार बढता जा रहा था. 5 साल पहले डिलिवरी के बाद यह समस्या अधिक होने लगी थी, लेकिन महिला ने इसे नजरअंदाज किया, बढते स्तन के कारण महिला को गर्दन और पीठ दर्द, कंधे में दर्द और चलने में कठिनाई होने लगी थी.डॉ गुप्ता आगे कहती है कि “गिगेंटोमैस्टिया एक जेंटल यानि सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) स्थिति है. यह बिमारी यौवन या फिर गर्भावस्था के दौरान हो सकती है. यह एक ऐसी स्थिती है, जिसमें स्तन का आकार बढता जाता है. यह एक या दोनों स्तनों को प्रभावित कर सकता है. स्तनों के बढ़ने से महिला का आत्मविश्वास कम होने लगता है.

कुछ कारण निम्न है,

  • फीटस की खराब वृद्धि
  • सहज गर्भपात
  • मास्टिटिस (ब्रेस्‍ट संक्रमण)

इलाज

डॉ गुप्ता ने कहा, “गिगेंटोमैस्टिया के इलाज के लिए सबसे प्रभावी तरीका दवा और सर्जरी है, लेकिन इसमें सर्जरी फायदेमंद साबित हो सकती है. सर्जरी करने से पहले मैमोग्राम, यूएसजी, स्तनों का एमआरआई, सीरम थायरॉयड फंक्शन टेस्ट, सीरम प्रोलैक्टिन, ऑस्ट्राडियोल और टेस्टोस्टेरोन का स्तर की जाँच करना जरूरी है. सर्जरी द्वारा 40 साल के महिला के दोनों तरफ से लगभग 1000 ग्राम निकाला गया हैं. यह सर्जरी 4.5 घंटे तक चली. मरीज के सेहत में सुधार देखकर सर्जरी के अगले दिन उसे डिस्जार्च दिया गया हैं.

अनुभव

असल में निशा अरोड़ा की दूसरे बच्चे की डिलीवरी के बाद स्तन का बढ़ना शुरू हुआ.स्तन बढ़कर नाभि के नीचे तक आ गया था. स्तन का वजन उन पर आ गया था, बढते स्तन के कारण ब्रा खरीदना, पीठ के बल सोना और सामान लेने के लिए नीचे झुकना काफी मुश्किल हो गया था. इस बीमारी ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित किया था. स्तन दर्द, पीठ दर्द, आत्मसम्मान खोना, कंधे और गर्दन में दर्द, थकान, सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी. शर्म के कारण मैं घर में बाहर नही निकलती थी. असामान्य स्तनोंके साथ अकेले रहना बिलकुल भी आसान नहीं था.शर्मिंदगी और अपमान का शिकार होना पड़ता था. मैंने डॉक्टर की परामर्श से इलाज करवाने पर अब बहुत राहत है 40 बी से अब 32 बी साइज़ की ब्रा का उपयोग कर रही हूँ. मैं अब चल सकती हूं और खुलकर सांस ले सकती हूँ मैंने अपनी दैनिक गतिविधियों को आसानी से करना शुरू कर दिया है.

समय से करवाएं इलाज

गिगेंटोमैस्टिया यह आनुवंशिक बिमारी नही है.इस बिमारी का इलाज जोखिम भरा नहीं हैं, लेकिन निदान व इलाज समय रहते नही हुआ, तो यह शारीरिक, मनोसामाजिक और शरीर की छवि से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता हैं. हार्मोनल असंतुलन के कारण स्तन का आकार बढता जाता हैं. इसपर सर्जरीही एकमात्र उपचार हैं, लेकिन सर्जरी के बाद सावधानियां बरतनी काफी जरूरी हैं, जैसे बार-बार स्तन की जांच करवाना, स्तन के आकार में कुछ बदलाव दिखाई पड़े तो डॉक्टर के पास जाना आदि इस इलाज के बाद व्यक्ति साधारण तरीके से अपनी जिंदगी गुजार सकता है.

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