मुंबई की 27 वर्षीय चंद्रिका राव के पैरों तले की जमीन तब खिसक गई जब उसे पता चला कि उस के दोनों स्तनों में कैंसर की गांठें हैं. वह एक बड़ी कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत है. पहले तो उसे इसका पता नहीं चला क्योंकि उस का नियमित मासिकधर्म बंद हो चुका था. वह अपने फैमिली डाक्टर के पास गई. उन्होंने दवा दी और मासिकधर्म नियमित हो गया. लेकिन धीरेधीरे उस की खानपान में रुचि कम होने लगी.
एक दिन नहाते वक्त चंद्रिका को अपने स्तन के दाहिने भाग में गांठ का अनुभव हुआ. वह तुरंत डाक्टर के पास गई. उन्होंने फिर मसल्स की गांठ समझ कर दवा दे कर भेज दिया. इस तरह कई महीने बीते.
जब कुछ फर्क नहीं पड़ा तो कैंसर की जांच और मैमोग्राफ्री की गई जिस में दोनों स्तनों में कैंसर की गांठें पाई गईं. फिर चंद्रिका अपनी मां माधुरी के साथ राहेला हौस्पिटल गई जहां उस का सफल इलाज हुआ. आज वह खुश है कि उसे नई जिंदगी मिली है.
जानें क्या है स्तन कैंसर
स्तन कैंसर असामान्य कोशिकाओं की एक प्रकार की अनियमित वृद्धि है जो स्तन के किसी भी हिस्से में पनप सकता है. यह निपल में दूध ले जाने वाली नलियों में दूध उत्पन्न करने वाले छोटे कोशों और ग्रंथिहीन टिशुओं में भी हो सकता है. स्तन कैंसर का प्रकोप महिलाओं में अधिक है खासकर शहरी महिलाओं में स्तन कैंसर के मरीज अधिक हैं जबकि गांव की महिलाओं में कम.
महाराष्ट्र के मुंबई में हर 1 लाख महिलाओं से 27 स्तन कैंसर से ग्रस्त पाई जाती हैं, जबकि गांव में 1 लाख महिलाओं में केवल 8 महिलाए इस रोग की शिकार हैं. आजकल इस की आयु सीमा भी कम हो रही है. पहले अधिकतर महिलाएं 40 वर्ष के बाद इस का शिकार होती थीं, जबकि आज 30 वर्ष या इस से भी कम उम्र में भी. इस रोग की शिकार हो रही हैं. इस की वजह यह है कि महिलाएं आजकल अधिकतर रोजगार के लिए घर से बाहर जाती हैं, जिस से कई रिस्क फैक्टर उन के लिए तैयार रहते हैं.