‘‘औफिस के लिए तैयार हो गईं?’’ इतनी सुबह रजत का फोन देख कर सीमा चौंक पड़ी.

‘‘नहीं, नहाने जा रही हूं. इतनी जल्दी फोन? सब ठीक है न?’’

‘‘हां, गुडफ्राईडे की छुट्टी का फायदा उठा कर घर चलते हैं. बृहस्पतिवार की शाम को 6 बजे के बाद की किसी ट्रेन में आरक्षण करवा लूं?’’

‘‘लेकिन 6 बजे निकलने पर रात को फिरोजाबाद कैसे जाएंगे?’’

‘‘रात आगरा के बढि़या होटल में गुजार कर अगली सुबह घर चलेंगे.’’

‘‘घर पर क्या बताएंगे कि इतनी सुबह किस गाड़ी से पहुंचे?’’ सीमा हंसी.

‘‘मौजमस्ती की रात के बाद सुबह जल्दी कौन उठेगा सीमा, फिर बढि़या होटल के बाथरूम में टब भी तो होगा. जी भर कर नहाने का मजा लेंगे और फिर नाश्ता कर के फिरोजाबाद चल देंगे. तो आरक्षण करवा लूं?’’

‘‘हां,’’ सीमा ने पुलक कर कहा.

होटल के बाथरूम के टब में नहाने के बारे में सोचसोच कर सीमा अजीब सी सिहरन से रोमांचित होती रही. औफिस के लिए सीढि़यां उतरते ही मकानमालिक हरदीप सिंह की आवाज सुनाई पड़ी. वे कुछ लोगों को हिदायतें दे रहे थे. वह भूल ही गई थी कि हरदीप सिंह कोठी में रंगरोगन करवा रहे हैं और उन्होंने उस से पूछ कर ही गुडफ्राईडे को उस के कमरे में सफेदी करवाने की व्यवस्था करवाई हुई थी. हरदीप सिंह सेवानिवृत्त फौजी अफसर थे. कायदेकानून और अनुशासन का पालन करने वाले. उन का बनाया कार्यक्रम बदलने को कह कर सीमा उन्हें नाराज नहीं कर सकती थी.

सीमा ने सिंह दंपती से कार्यक्रम बदलने को कहने के बजाय रजत को मना करना बेहतर समझा. बाथरूम के टब की प्रस्तावना थी तो बहुत लुभावनी, अब तक साथ लेट कर चंद्र स्नान और सूर्य स्नान ही किया था. अब जल स्नान भी हो जाता, लेकिन वह मजा फिलहाल टालना जरूरी था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...