बांझपन प्रजनन तंत्र की एक समस्या है जो आपको महिला को गर्भवती करने से रोकती है। आज 7 में से एक कपल को बांझपन की समस्या है, इसका अर्थ है कि पिछले 6 महीने या सालभर में गर्भधारण करने के प्रयास में वे सफल नहीं रहे। इनमें आधे से भी ज्यादा मामलों में पुरुष बांझपन की एक अहम भूमिका होती है. डॉ रत्‍ना सक्‍सेना, फर्टिलिटी एक्‍सपर्ट, नोवा साउथेंड आईवीएफ एंड फर्टिलिटी, बिजवासन की बता रही हैं इसके लक्षण और उपाय.

पुरुष बांझपन के क्या लक्षण होते हैं?

बांझपन अपने आपमें ही लक्षण है। हालांकि, गर्भधारण का प्रयास कर रहे दंपति के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक नकारात्मक प्रभावों के बारे में बता पाना काफी मुश्किल है। कई बार, बच्चा पैदा करना उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य होता है। बच्चे की चाहत रखने वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही अवसाद, क्षति, दुख, अक्षमता और असफलता की भावना आम होती है।

दोनों में से कोई एक या दंपति, जो ऐसी किसी भी भावना से गुजर रहे हैं उन्हें चिकित्सकों जैसे थैरेपिस्ट या साइकेट्रिस्ट से प्रोफेशनल मदद लेनी चाहिए, ताकि वे जीवन के इस मुश्किल दौर से उबर पाएं।

हालांकि, कुछ मामलों में, पहले से मौजूद समस्या, जैसे कोई आनुवंशिक डिस्‍ऑर्डर, हॉर्मोनल अंसतुलन, अंडकोष के आस-पास की फैली हुई नसें या शुक्राणु की गति को रोकने वाली कोई समस्या हो तो उसके संकेत तथा लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

1.यौन इच्छा का कम हो जाना या इरेक्शन बनाए रखने में समस्या होना (इरेक्टाइल डिसफंक्शन)
2.अंडकोष में दर्द, सूजन या गांठ होना
3. लगातार श्वसन संक्रमण होना
4.खुशबू ना आना
5.शरीर के बालों या चेहरे के बालों का कम हो जाना, साथ ही क्रोमोसोमल या हॉर्मोनल असामान्यताएं
6.स्पर्म काउंट का सामान्य से कम होना

पुरुष बांझपन के क्या कारण हैं
कई सारे शारीरिक और पर्यावरण से जुड़े कारक हैं जोकि आपके प्रजनन पर प्रभाव डाल सकते हैं। उन कारकों में शामिल हो सकते हैं:

एजुस्पर्मिया: शुक्राणु कोशिकाओं का उत्पादन करने में असमर्थता के कारण बांझपन।
ओलिगोस्पर्मिया: कम गुणवत्ता वाले शुक्राणु का उत्पादन।
आनुवंशिक रोग: क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, मायोटोनिक डिस्ट्रोफी, माइक्रोडिलीशन, हेमोक्रोमैटोसिस।
विकृत शुक्राणु: ऐसे शुक्राणु जो अंडे को निषेचित करने के लिये पर्याप्त समय तक जीवित नहीं रह सकते।
बीमारियां: डायबिटीज, ऑटोइम्यून रोग और सिस्टिक फाइब्रोसिस
वैरिकोसेले: एक ऐसी समस्या हैं, जहां आपके अंडकोष की नसें सामान्य से बड़ी होती हैं। इसकी वजह से उसकी गर्मी बढ़ जाती है, जो आपके द्वारा उत्पादित शुक्राणुओं के प्रकार या मात्रा को बदल सकता है।
कैंसर का इलाज: कीमोथैरेपी, रेडिएशन
लाइफस्टाइल से जुड़े विकल्प: शराब, धूम्रपान और नशीली दवाओं के उपयोग सहित मादक द्रव्यों का सेवन।
हॉर्मोनल परेशानियां: हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथियों को प्रभावित करने वाली समस्याएं
प्रोस्टेटेक्टोमी – प्रोस्टेट ग्रंथि को सर्जिकल रूप से हटाना, जो बांझपन, नपुंसकता और असंयम का कारण बनता है।
एंटीबॉडीज – एंटीबॉडीज जो शुक्राणु की गतिविधि को रोकते हैं, उससे अपने साथी के अंडे को निषेचित करने की शुक्राणु की क्षमता कम हो जाती है।

उपलब्ध परीक्षण
आपके चिकित्सक, आपकी मेडिकल हिस्ट्री का मूल्यांकन करते हैं और एक जांच करते हैं। पुरुष बांझपन से जुड़ी अन्य जांचों में शामिल हो सकता है:
सीमन का विश्लेषण- दो अलग-अलग दिनों में स्पर्म के दो नमूने लिए जाते हैं। चिकित्सक, किसी प्रकार की असामान्यता की जांच करने के लिये उस सीमन और स्पर्म तथा एंटीबॉडीज की उपस्थिति की जांच करेंगे। आपके स्पर्म की मात्रा, उसकी गतिशीलता और आकार की भी इस आधार पर जांच होगी।
ब्लड टेस्ट: हॉर्मोन के स्तर को जांचने और अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिये ब्लड टेस्ट किए जाते हैं।
टेस्टीक्युलर बायोप्सी: अंडकोष (टेस्टिकल्‍स) के भीतर नलियों के नेटवर्क की जांच करने के लिये एक महीन सुई और एक माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है ताकि यह देखा जा सके कि उनमें कोई शुक्राणु है या नहीं।
अल्ट्रासाउंड स्कैन- प्रजनन अंगों की इमेजिंग देखने के लिये अल्ट्रासाउंड स्कैन किए जाते हैं, जैसे कि प्रोस्टेट ग्रंथि, रक्त वाहिकाएं और स्‍क्रॉटम के अंदर की संरचनाएं।

कौन-कौन से उपचार होते हैं
वेसेक्टॉमी रिवर्सल: इस प्रक्रिया में, सर्जन आपके वास डिफरेंस को फिर से जोड़ देता है, जो स्‍क्रोटल ट्यूब होती है जिसके माध्यम से आपका शुक्राणु आगे बढ़ता है. उच्च क्षमता वाले सर्जिकल माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखते हुए, सर्जन सावधानी से वास डिफरेंस के सिरों को वापस एक साथ सिल देता है।

वासोपिडीडिमोस्टोमी: ब्लॉकेज को हटाने की इस प्रक्रिया के लिये, आपके वास डिफरेंस को सर्जरी की मदद से दो हिस्सों में कर दिया जाता है और ट्यूब के आखिरी हिस्से को एक बार फिर जोड़ दिया जाता है. काफी सालों पहले जब सामान्य पुरुष नसबंदी की जाती थी तो इंफेक्शन या इंजुरी की वजह से एपिडीडिमिस या उपकोष में एक अतिरिक्त ब्लॉकेज हो जाता था। उसकी वजह चाहे कोई भी हो, आपके सर्जन एपिडीडिमिस ब्लॉकेज की बायपासिंग करके इस समस्या को सुलझा देंगे.

इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई): कृत्रिम प्रजनन तकनीकें उस बिंदु तक आगे बढ़ गई हैं जहां एक एकल शुक्राणु को एक अंडे में शारीरिक रूप से इंजेक्ट किया जा सकता है। इंट्रासाइटोप्लाज्मिक शुक्राणु इंजेक्शन (आईसीएसआई) में, शुक्राणु को एक विशेष कल्चर माध्यम में एक अंडे में इंजेक्ट किया जाता है। पुरुष के शुक्राणु को गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से उसके साथी के गर्भाशय में डालने से पहले एकत्रित किया जाता है, धोया और केंद्रित किया जाता है। इस प्रक्रिया ने पुरुष बांझपन के गंभीर कारकों के उपचार के विकल्पों को भी बदल दिया है। इस तकनीक की वजह से 90% बांझ पुरुषों के पास अब अपनी आनुवंशिक औलाद पाने का मौका है।

इन-विट्रो-फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) – पुरुष बांझपन से जूझ रहे कुछ दंपतियों के लिये इन-विट्रो-फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक पसंदीदा उपचार है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान, गर्भाशय को इंजेक्शन योग्य प्रजनन दवाओं से स्टिम्युलेट किया जाता है, जिसकी वजह से कई सारे अंडे परिपक्‍व होते हैं। जब एग्स पर्याप्त रूप से परिपक्‍व हो जाते हैं तो फिर उन्हें एक सरल प्रक्रिया के द्वारा निकाल लिया जाता है। एक कल्चर डिश में या फिर सीधे हर परिपक्‍व एग में एक सिंगल स्पर्म को इंजेक्ट करके फर्टिलाइजेशन को अंजाम दिया जाता है। इस प्रक्रिया को इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ऊपर देखें) के नाम से जाना जाता है। फर्टिलाइजेशन के बाद, गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से डाले गए एक छोटे कैथेटर के माध्यम से दो से तीन भ्रूणों को गर्भाशय में रखने से पहले तीन से पांच दिनों तक भ्रूण के विकास की निगरानी की जाती है।

पीईएसए: यदि आपकी सर्जरी असफल हो जाती है तो एक और सर्जिकल प्रक्रिया, पर्क्यूटेनियस एपिडीडिमल स्पर्म एस्पिरेशन (पीईएसए) की जाती है। इसमें लोकल एनेस्थेसिया देकर एक पतली सुई को एपिडीडिमिस में डाला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, स्पर्म को निकाला जाता है और तुरंत ही आईसीएसआई के लिये इस्तेमाल किया जाता है या आगे इस्तेमाल के लिये फ्रीज कर दिया जाता है।

हॉर्मोनल दवाएं- मस्तिष्क में पिट्यूटरी ग्रंथि गोनैडोट्रोपिन हॉर्मोन स्रावित करती है, जो अंडकोष को शुक्राणु पैदा करने के लिए उत्तेजित करती है। कुछ मामलों में इन गोनैडोट्रोपिन के अपर्याप्त स्तर के कारण पुरुष बांझपन होता है। इन हॉर्मोन्स को दवा के रूप में लेने से शुक्राणु उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

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