आज की भागमभाग वाली जिंदगी में इंसान सबकुछ होते हुए भी कभीकभी नितांत अकेलापन महसूस करता है. चिंता, अवसाद व तनाव से घिर कर वह अनेक प्रकार की बीमारियों से जकड़ा जा रहा है. हर समय मोबाइल पर बतियाना या एसएमएस करना दिनचर्या का अभिन्न अंग बनता जा रहा है. ऐसे में यदि मोबाइल के सिमकार्ड की वैलिडिटी खत्म हो जाए तो व्यक्ति खुद को असहाय व सब से कटा हुआ महसूस करता है. सिमकार्ड से कई गुना अधिक जीवन का मोल है, इसलिए जिंदगी की वैलिडिटी की चिंता ज्यादा जरूरी है. जिंदगी की वैलिडिटी बढ़ती रहे, इस के लिए हमें स्वयं ही कुछ प्रयास करने पड़ेंगे. मसलन :

गमों को कहें अलविदा

समाजसुधारक दयानंद का कहना है कि इंसान खुद ही अपनी जिंदगी के सुखदुख का जिम्मेदार होता है तो क्यों न हर समय गमों या दुख के समय को याद करने के बजाय सुख वाले समय को याद करें. इस से मनोबल बढ़ेगा, मन हलका रहेगा. यदि कोई समस्या आए भी तो उस का उचित हल ढूंढ़ें, न कि उस से चिंतित हो कर मन को गमगीन बना लें. यदि मन हमेशा पिछली बातों, दुखों या गमों से घिरा रहेगा तो वह आने वाली खुशियों का स्वागत नहीं कर पाएगा. सो, कंप्यूटर की भाषा में गमों को सदैव डिलीट करते चलें और खुशियों को सेव. यदि अच्छा समय सदैव नहीं रहता तो बुरा समय भी बीत जाएगा.

दोस्ती को डाउनलोड करें

दोस्ती ऐसा अचूक मंत्र है जिस से समस्याएं कभीकभी चुटकी बजाते हल हो जाती हैं. सो, ऐसे दोस्तों की संख्या बढ़ाएं जो सुखदुख में आप के भागीदार बन सकें. दोस्ती से प्यार बढ़ता है तो जीवन में बहार बनी रहती है. प्यार, उत्साह, उमंग तीनों ही प्रवृत्तियां दोस्ती में ही पनपती हैं. शुष्क व नीरस जीवन भारी लगने लगता है. सो, अच्छे व सच्चे मित्रों की संख्या बढ़ाएं, जो सही माने में आप के हितैषी हों.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...