इन दिनों कितने ही आधुनिक कपल्‍स अपने-अपने पेशेवर जीवन में इतने व्‍यस्‍त होते हैं कि वे पैरेंट्स बनने का फैसला लंबे समय तक टालते रहते हैं लेकिन आखिरकार जब वे ऐसा करने के लिए तैयार होते हैं तो बढ़ती उम्र एक बड़ी बाधा के रूप में उनकी चुनौतियां बढ़ाती है।

वर्ल्‍ड हैल्‍थ ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार, भारत में करीब 3.9 से 16.8 प्रतिशत कपल्‍स को प्राइमरी इन्‍फर्टिलिटी की समस्‍या पेश आती है। नतीजा यह होता कि ये आधुनिक कपल्‍स जब गर्भधारण की ओर बढ़ते हैं, तो उनकी परेशानियों के समाधान के लिए कई नई तकनीकें और आधुनिक फर्टिलिटी इलाज पद्धतियां जैसे कि आईवीएफ, आईयूआई, एम्‍ब्रयो फ्रीज़‍िंग और ऍग फ्रीज़‍िंग वगैरह उनके सामने विकल्‍प के तौर पर उपलब्‍ध होते हैं। ये उपचार उन कपल्‍स के लिए जोखिम-मुक्‍त विकल्‍प साबित होते हैं जो देरी से पैरेंटहुड की तरफ कदम बढ़ाना चाहते हैं।

डॉ रम्‍या मिश्रा, सीनियर कंसल्‍टैंट – इन्‍फर्टिलिटी एवं आईवीएफ, अपोलो फर्टिलिटी (लाजपत नगर, नई दिल्‍ली) का कहना है-

हाल के समय में ऍग फ्रीज़ करवाने का विकल्‍प काफी लोकप्रिय हो चुका है। अब कई महिलाएं उम्र के उस मोड़ पर ही अपने ऍग्‍स फ्रीज़ करवाना पसंद करती हैं जब वे रिप्रोडक्टिव उम्र में होती हैं और गर्भधारण का फैसला बाद के लिए छोड़ देती हैं ताकि वे तब उसे चुन सकें जब वे इसके लिए तैयार हों। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि सामाजिक कारणों की वजह से बहुत सी महिलाएं अपने ऍग फ्रीज़ नहीं करवा पाती हैं, कुछ ऐसा मेडिकल कारणों के चलते करती हैं। कई बार कैंसर के उपचार के लिए इस्‍तेमाल होने वाली कुछ थेरेपी जैसे कि कीमोथेरेपी और रेडिएशन वगैरह महिलाओं के डिंबों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए भविष्‍य में गर्भधारण को आसान बनाने के लिए महिलाओं को कैंसर उपचार शुरू करने से पहले ही भविष्‍य के लिए अपने डिंबों को सुरक्षित करवाने की सलाह दी जाती है।

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