अलकेश न केवल सगे भाई की पत्नी बल्कि चाचाताऊ के बड़े भाई की पत्नियों को भी फ्लाइंग किस और उन से फ्लर्टिंग करता रहता है. उस की इस आदत का बुरा मानना भी छोड़ दिया है. अपनी हमउम्र भाभी के साथ घंटों मोबाइल पर बात करता है. भाई को शक होता पर मुंह बंद कर लेता वरना जीवन दांव पर लग जाएगा.
मंटी भाभी को खूब उपहार दे कर उन का दिल जीत बैठा है. भाभी भी उस का बहुत ध्यान रखती है. अचानक एक दिन नव दंपती को अलग रहने का फरमान जारी कर दिया गया. जब दोनों ने बहुत पूछा तो मां को कहना पड़ा कि देवरभाभी में कभी भी खिचड़ी पक सकती है. इस की उम्र ही ऐसी है. वह अनजाने बहक सकता है. कामधाम करता नहीं कि उस की भी शादी कर दी जाए. अत: यही विकल्प है. तब दोनों ओर से रिश्तों को ताकीद किया गया तब वे सहज हुए. भाभी ने उचित दूरी बना कर गृहस्थी बना ली.
क्यों होता है ऐसा
हमउम्र या कम उम्र मेें सहज रूप से भी देवरभौजाई में आकर्षण की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में देवर आशिकमिजाज हो तो यह संभावना बहुत अधिक बढ़ सकती है. सदैव देवर जानबूझ कर ही भौजाइयों के प्रति आकर्षण का शिकार नहीं होते अनजाने भी होते हैं. ऐसे में उन्हें समय रहते समझना जरूरी है. भाभी हमारे घर आई ही इस काम के लिए है यह सोच देवर की हो ठीक नहीं है. भाभियों के खुलेपन को भी देवर आशिकमिजाजी उभारने का आधार बना लेते हैं.
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