मानसी की समीर से लैंडलाइन फोन पर रविवार की सुबह 11 बजे बात हुई. दिल्ली से मेरठ आए समीर को अपने घर का रास्ता समझने में मानसी को ज्यादा कठिनाई नहीं हुई. मानसी के मम्मीपापा उस के बीमार मामाजी का हाल पूछने गए हुए थे. उस ने अपने पापा से उन के मोबाइल पर बात कर के उन्हें समीर के आने की सूचना दे दी.

‘‘हमें लौटने में अभी करीब घंटा भर लग जाएगा. तब तक तुम समझदारी से उस के साथ बात करो और उसे नाश्ता भी जरूर करा देना,’’ हिदायत दे कर उस के पापा ने फोन काट दिया.

मानसी की मम्मी की बचपन की सहेली शीला का बेटा है समीर, जो उसी से मिलने आ रहा था. अगर वे इस पहली बार होने वाली मुलाकात में एकदूसरे को पसंद कर लेते हैं, तो यह रिश्ता पक्का होने में कोई और रुकावट नहीं आने वाली थी.

समीर 10 मिनट बाद उस के घर पहुंच गया. अपने सामने 2 सुंदर, स्मार्ट लड़कियों को देख समीर सकुचाया सा नजर आने लगा.

‘‘मैं मानसी हूं और यह है मेरी सब से अच्छी सहेली शिखा,’’ दरवाजे पर अपना व अपनी सहेली का परिचय दे कर मानसी उसे ड्राइंगरूम में ले आई. उन के बीच कुछ देर मामाजी की बीमारी, मौसम व ट्रैफिक की बातें हुईं और फिर मानसी उठ कर चाय बनाने चली गई.

शिखा ने मुसकराते हुए उसे ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा और फिर हलकेफुलके लहजे में कहा, ‘‘जोड़ी तो तुम दोनों की खूब जंचेगी.

तुम्हें कैसी लगी पहली नजर में मेरी सहेली?’’

‘‘मैं तो कहूंगा कि तुम दोनों सहेलियां एकदूसरे से बढ़चढ़ कर सुंदर और स्मार्ट हैं,’’ समीर ने लगे हाथ दोनों सहेलियों की तारीफ कर डाली.

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