भारत अस्पताल के पार्किंग एरिया में अपनी कार रोक कर वामनमूर्ति नीचे उतरे. ब्रीफकेस खोल कर नैशनल इंश्योरैंस द्वारा दी गई हैल्थ पौलिसी के कार्ड को अपनी जेब में रखा और शान से अस्पताल में प्रवेश किया.
भारत अस्पताल का शहर में कौरपोरेट अस्पताल के रूप में अच्छा नाम है. 20 एकड़ क्षेत्र में ऊंचे पहाड़ों पर फूलों के बगीचे के बीच बना भारत अस्पताल आधुनिकता दर्शाता एक फाइव स्टार होटल सा दिखाई पड़ता है.
वामनमूर्ति अस्पताल में प्रवेश करते ही कुछ देर तो आश्चर्यचकित हो कर अस्पताल को देखते रह गए. फिर अपने इंश्योरैंस कार्ड को देखते हुए, खुशी से रिसैप्शन रूम में दाखिल हुए और दीवार पर टंगे बोर्ड पर स्पैशलिस्ट डाक्टरों के नाम और उन की शैक्षणिक योग्यताओं को देख कर खुशी से झमते हुए वे मन ही मन बुदबुदाए, ‘वाऊ, क्या अस्पताल है.’
रिसैप्शन पर एक खूबसूरत युवती कंप्यूटर पर काम कर रही थी. उन्हें देख कर वह बोली, ‘‘आप का नाम क्या है?’’
‘‘वामनमूर्ति,’’ हौले से मुसकराते हुए उन्होंने कहा.
‘‘अच्छा नाम है.’’
‘क्या है इस में अच्छा होने के लिए,’ वे मन ही मन बुदबुदाए.
युवती बोली, ‘‘उम्र?’’
वामनमूर्ति बोले, ‘‘45 वर्ष.’’
‘‘प्रोफैशन.’’
‘‘कालेज लैक्चरर.’’
‘‘इंश्योरैंस है क्या?’’
‘‘हांहां है,’’ वामनमूर्ति खुशी से बोले.
‘‘क्या हैल्थ प्रौब्लम है?’’
‘‘हां सिर चकरा रहा है.’’
‘सिर चकराने से ही यहां आते हैं?’ वे फिर से बुदबुदाते हुए मन ही मन गुस्सा जाहिर करने लगे.
युवती बोली, ‘‘आप जनरल फिजीशियन, डायबिटीज स्पैशलिस्ट, हृदय रोग विशेषज्ञ किस से मिलेंगे?’’
‘‘जनरल फिजीशियन से,’’ वामनमूर्ति बोले.
‘‘ठीक है.’’
‘‘दाहिनी तरफ के कौरिडोर में दूसरा कमरा है डाक्टर नित्यानंद का, आप वहां जाइए.’’
वामनमूर्ति 500 रुपए फाइल के दे कर डाक्टर नित्यानंद से मिलने पहुंचे. वहां आधा घंटा इंतजार करने के बाद उन की डाक्टर नित्यानंद से मुलाकात हुई. डा. नित्यानंद की उम्र लगभग 50 वर्ष थी और सिर गंजा था. उन के पास स्पैशलाइजेशन की 4-5 मैडिकल डिग्रियां भी थीं.