हर किसी व्यक्ति को अपने जीवन में कभी न कभी हार का सामना करना ही पड़ता है फिर हार चाहे कैरियर में हो, बिजनैस में हो, किसी रिश्ते में हो या जीवन की किसी भी परिस्थिति में, लेकिन यह हार हमें कुछ न कुछ नया सबक अवश्य सिखाती है और अकसर वही लोग अधिक कामयाब होते हैं जो अपनी हार से सीख लेते हैं न कि अपनी किस्मत को कोसते हैं. वृंद सतसई का दोहा, करतकरत अभ्यास के जड़मति होत सुजान. रसरी आवत-जात ते सिल पर पड़त निशान.
इस बात के लिए बिलकुल सटीक है कि यदि हम असफलता के बाद भी निरंतर प्रयास करते हैं तो कठिन से कठिन कार्य भी आसान बन जाता है इसलिए जरूरी है कि अपनी गलतियों से सीख लें और जीवन में सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहें क्योंकि आप की सही सोच आप के लक्ष्य को पाने में मदद करती है.
तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स ऐंड ट्रिक्स जो आप को सफल बनाने में मदद करते हैं:
गलतियों से लें सीख
यदि हम अपनी हार को खुद पर हावी कर लेते हैं तो हमें सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है, लेकिन यदि अतीत में की गई गलती से हम सबक लेते हैं तो निश्चित ही एक न एक दिन कामयाबी हमारे कदम चूमती है. इसलिए अतीत में की गई गलती का पछतावा न करें बल्कि अपनी खामियों और खूबियों को जान कर उन पर और काम करें व सकारात्मक बदलाव के साथ आगे बढ़ें.
डरना मना है
एक मूवी का बहुत ही फेमस डायलौग है ‘जो डर गया सो मर गया’ और यह सही भी है. जो इंसान डर के सामने घुटने टेक देता है और पीछे हट जाता है वह अपना आत्मविश्वास बिलकुल खो देता है. रोजमर्रा के कामकाजों तक में निर्णय लेने में वह असहज महसूस करता है इसलिए जरूरी है कि असफलता से डरें नहीं बल्कि डट कर सामना करें और सफल बनें.
अपने सपने का पीछा करें
परिस्थिति कोई भी हो लेकिन असफलता मिलने पर हमें अपने सपनों को बिखरने नहीं देना चाहिए बल्कि अपने अनुभवों से सीख लेनी चाहिए क्योंकि दोबारा प्रयास करते समय आप की शुरुआत शून्य से नहीं बल्कि अनुभव से होती है. इसलिए अपने सपने को पूरा करे बिना हार न मानें.
कंफर्ट जोन से हट कर कुछ नया करो
असफलता हमें सिखाती है कि हमें अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर कुछ अलग, कुछ नया करना है. कुछ लोग किसी भी काम को करने से पहले ही उस से डरने लगते हैं. लेकिन हमें नकारात्मक विचारों को त्याग कर सकारात्मक सोच के साथ कुछ नया करने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जब तक नया करने की कोशिश नहीं करेंगे तब तक हम आगे नहीं बढ़ सकते. साथ ही हमें कभी भी किसी और के जीवन से खुद की तुलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि हर किसी व्यक्ति की क्षमता अलग होती है.
अक्षरज्ञान ही नहीं जनून भी है जरूरी
हमें सफल बनने के लिए केवल डिगरी की आवश्यकता नहीं होती बल्कि जनून की आवश्यकता होनी बेहद जरूरी है. कुछ लोग बिना किसी डिगरी के भी कामयाब होते हैं तो कुछ लोग पढ़ेलिखे होने के बाद भी नाकामयाब रहते हैं. सफलता के लिए इंसान के अंदर जनून और आगे बढ़ने की भूख होनी चाहिए. फिर कामयाबी आप के कदम अवश्य चूमेगी.