आरती ने जब कार से उतरने के लिए पैर बाहर निकाला तो अचानक पूरे बदन में सिहरन सी हुई. उसे लगा कि वापस चली जाए और दावत को टाल दे, मगर फिर उस ने दोबारा कुछ सोचा और कार लौक कर के फटाफट आयोजनस्थल की तरफ चल दी.
आरती को उस की एक परिचिता ने इस आयोजन का कार्ड दिया था. मगर अभीअभी उस की परिचिता ने फोन कर उसे बताया कि उसे अचानक शहर से बाहर जाना पड़ रहा है. मगर आरती तब तक तैयार हो कर घर से निकल चुकी थी. आयोजनस्थल में काफी रौनक थी. गेट पर
2 युवतियों ने स्वागत किया और आरती को गुलाब का एक ताजा फूल दिया. गेट से समारोहस्थल के हौल में भीतर आते ही 2 सेवक कुरसी ले कर उस के समीप आ गए. एक सेवक ट्रे में शीतल पेय ले आया और दूसरा सनैक्स.
आरती को यह आवभगत बेहद अचछी लगी. अब उस ने चारों तरफ नजर घुमा कर गौर से छानबीन की. कोई भी जानपहचान वाला नहीं दिखा यानी आरती को पूरा समय यहां बिलकुल अकेले ही बैठना था.
यह दावत किसी रियल स्टेट वालों ने अपनी फर्म की प्रमोशन के लिए रखी थी. बड़ीबड़ी स्क्रीन्स पर उन का प्रचार स्वत: हो रहा था. अब 2 गायक मंच पर आए और गीतसंगीत आरंभ हो गया. इसी गहमागहमी और मधुर संगीत के आनंद में सिर हिला कर सहज ?ामती हुई आरती की नजर अचानक किसी से टकराई. पहले कभी इस नैनमटक्का की आदत नहीं थी सो आरती एकदम सकपका सी गई. वह घबरा कर अपनी जगह से उठी और फट से बाहर आ गई. उस ने कार स्टार्ट की और घर चल दी. वैसे भी उसे वहां 1 घंटा हो ही गया था.