कोविड अब ओवर हो चुका है, इस के बाद से लोगों ने स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. इस में सब से जरूरी सुकून भरी नींद लेने को माना जाने लगा है और इस में विकसित हुआ है स्लीप टूरिज्म, जिस में व्यक्ति रात के 8 बजे सोने चला जाता है. वहां उसे शहर की भागदौड़ और शोरशराबे से दूर शांत जगह मिलती है. इतना ही नहीं इस पर्यटन में काम से थोड़े दिन की छुट्टी ले कर अकेले कहीं घूमने का शौक पूरा होने के साथसाथ तरोताजा होने का भी अवसर मिल जाता है.
दरअसल, यह स्लीप टूरिज्म रिलैक्स होने की एक तकनीक है, जो विदेशों में अधिक पौपुलर है. इस में शांत वातावरण होने की वजह से स्ट्रैस को कम करने में मदद मिलती है, साथ ही स्लीप क्वालिटी को बूस्ट करने का भी अवसर मिलता है क्योंकि ऐसा माना गया है कि अगर व्यक्ति की नीद पूरी होती है, तो उस का स्ट्रैस लैवल भी कम हो जाता है.
इस का क्रेज अधिकतर बड़े शहरों में रहने वालों में बड़ा है, जहां काम के प्रैशर के साथसाथ ट्रैवलिंग भी अधिक होती है. इसलिए स्लीप टूरिज्म का विकास भी तेजी से होने लगा है. अधिकतर होटल्स और रिजोर्ट्स स्लीप टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए तरहतरह के लुभावने औफर आजकल टूरिस्ट को देने लगे हैं.
महाराष्ट्र के तपोला के ओंकार रिजोर्ट के गणेश उतंकर कहते हैं कि टूरिज्म के लिए लोग हर जगह से आते हैं, लेकिन वही भीड़, वही आवाज, शोर सब होता है. वे घूमने तो जाते हैं, लेकिन उन्हें शांति नहीं मिलती है. ऐसे में आजकल लोग केवल सोने के लिए भी मेरे पास आते हैं, जिस में दिन में 2 वक्त का खाना खाने के बाद खुद को रिलैक्स करना होता है. वे अधिकतर अकेले आते हैं. इस में मूड को अच्छा बनाने के लिए वे वैली व्यू, रिवर व्यू, घने जंगल आदि को अधिक महत्त्व देते हैं क्योंकि वहां केवल एक चिडि़या की आवाज से ही उन की नींद खुलती है. वहां उन्हें पूरी शांति मिलती है.