देश में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी इंफोसिस के मालिक नागवार रामाराव नारायणमूर्ति ने अपील की है कि अगर हमें भारत को चीन और जापान से बेहतर देश बनाना है तो हर युवा को सप्ताह में 30-40 घंटे वाली नौकरी नहीं, 70 घंटे काम करने वाली नौकरी ढूंढ़नी चाहिए. नारायणमूर्ति ने खुद इस से ज्यादा घंटे काम कर के इंफोसिस को बनाया, यह सच है. पर हर जना 70 घंटे काम करे, इस के लिए जो संस्कृति देश में चाहिए वह है कहां. नारायणमूर्ति अपनी असली संस्कृति के बारे में कुछ कहेंगे, यह असंभव है.
सब से बड़ी बात यह है कि हमारी संस्कृति तो निठल्ले बनाने का उपदेश देती है. सूरजपुर के भृगु ज्योतिष रिसर्च सैंटर से हर रोज दिन का पंचांग जारी होता है, जो साफ कहता है कि 70 घंटे काम न करो, पूजापाठ करो. 29 अक्तूबर, 2023 के पंचांग का उपदेश देखिएर्
- यह कार्तिक मास है जो पापनाशक है. इस का बड़ा दिव्य प्रभाव होता है. यह भगवान विष्णु की कृपा से मोक्षरूपी फल प्रदान करने वाला है. इस का अर्थ है, जब मास कार्तिक हो और मोक्ष मिल ही रहा हो, तो 70 क्या, 40 घंटे भी काम करने की जरूरत क्या है.
- कार्तिक मास के 5 नियम हैं- प्रतिदिन विष्णु के समीप रात्रि में जागरण, तुलसी सेवा, उद्यापन करना, दीपदान करना और फिर शास्त्रानुसार स्नान करना. ये सब तय हैं. सप्ताह के 72 घंटे काम में से 10-20 घंटे तो इसी में निकल जाएंगे, तो क्या कल्याण होगा?
- इस में कृच्छ व्रत करना होता है. इस व्रत के नाम का मतलब जो भी हो पर इस में एक दिन निराहार रहो, फिर पंचगव्य जिस में गौमूत्र आदि शामिल हैं, लो. अब भूखे पेट क्या इंफोसिस में काम कर पाओगे? नारायणमूर्ति संस्कारों के समर्थक हैं तो इस को भी मानते होंगे. वे तय करें कि जो एक दिन भूखा रहेगा और दूसरे दिन गौमूत्र आदि का पंचगव्य ग्रहण करेगा, वह उन के दफ्तर में क्या काम करेगा. 70 घंटे यानी 10-20 घंटे रोज तो भूल जाओ, ऐसे में तो 2 घंटे भी काम रोज नहीं हो पाएगा.
- इस पूरे माह कौपर के यूटैंसिल वर्जित हैं. अब किचन में किस बरतन में लोहे के साथ कौपर भी है, यह भी ढूंढ़ें और फिर शुद्ध लोहे या मिट्टी के बरतनों में पका खाना खाएं. यह निर्देश है. पत्नी या स्त्री के साथ पूरे माह सोने पर भी पाबंदी है. ज्योतिषीजी बिस्तर में भी.
- मुख्य काम इस माह जो करना होता है वह ब्राह्मणों को पृथ्वीदान होता है. अब इस पृथ्वी को दान में कैसे दिया जाता है, यह तो सनातनी संस्कारी लोग जानते हैं पर जो लोग 70 घंटे सप्ताह में काम करना चाहते हैं, वे अपने पर खर्च करेंगे, ब्राह्मणों पर नहीं.
- इस माह का संस्कारी निर्देश यह भी है कि ब्राह्मण पतिपत्नी को भोजन कराएं, उन्हें कंबल, बिछौना, रत्न, वस्त्र, जूते, छाते भी दान करें. 70 घंटों के काम के जो पैसे मिलेंगे वे इस दान को पूरा कर पाएंगे, इस में संदेह है.
- तुलसीपूजन भी करें. यह भी सैकंडों का काम नहीं होता. हिंदू विधि के अनुसार तुलसी पूजा की प्रक्रिया में घंटों लग सकते हैं. पता नहीं नारायणमूर्ति 70 घंटों में इन घंटों को गिनते हैं या नहीं, पर वे हैं संस्कारी, यह मालूम है.
- व्हाट्सऐप मैसेज के माध्यम से ये निर्देश दिए गए हैं जिन में यह भी कहा गया है कि अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य व संपत्ति प्राप्त करनी है तो संध्या में भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीया जलाएं. इस के लिए आप को संध्या के समय दीपदान के निकट रहना होगा. अगर घर में नहीं, तो दफ्तर में कंप्यूटरों की जगह तीनों की व्यवस्था की सलाह नारायणमूर्ति ने दी है या नहीं, हम नहीं जानते पर 70 घंटे सप्ताह में काम करना है तो संस्कार छोड़ने होंगे ही.
बातें तो और भी बहुत हैं पर ये कुछ नमूने हैं उन सनातनी संस्कारों के जिन की पोलपट्टी इंफोसिस कंपनी के संस्थापक को पहले खोलनी चाहिए और फिर 70 घंटे काम करने की सलाह देनी चाहिए. देश निकम्मा है, निठल्ला है, गरीब है, पिछड़ा है, भूखा है, बेकार है तो इसलिए कि हम इन संस्कारों के पीछे पड़े हैं. नरेंद्र मोदी से ले कर नारायणमूर्ति तक वैज्ञानिक बातें करते हैं पर फिर पाखंड भरे पूजापाठ में लग जाते हैं. जनवरी में नरेंद्र मोदी देश की जनता के काम के हजारोंलाखों घंटे बरबाद करने वाले एक और तीर्थ रामलला के मंदिर के उद्घाटन से करेंगे.
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