आज संडे है और बैंक कर्मी 45 वर्षीया सबीना जी सुबह से ही बहुत जल्दी जल्दी घर का सारा काम निबटा रहीं है क्योकिं हर रविवार को सुबह 12 बजे से लेकर 2 बजे तक का समय उनका अपना होता है जिसमें वे अपनी हम उम्र 6 महिलाओं के साथ बैठकर बुनाई करतीं है और साथ में गप्पें भी लगातीं हैं. वे कहतीं हैं, " पूरे सप्ताह तक काम करने के बाद हम सन्डे का इंतजार करते हैं ताकि परस्पर मिलकर कुछ अपनी कह सकें और दूसरे की सुन सकें. हम साथ बैठकर बुनाई करते हैं जिससे हमें खाली गप्पें मारने का गिल्ट नहीं रहता. "

युवावस्था में ही कुछ परिस्थितियों के कारण आजीवन अकेले रहने का निर्णय ले लेने वाली अबीरा जी कहतीं हैं," पूरे सप्ताह ऑफिस में व्यस्त रहने के बाद वीकेंड पर अकेला घर खाने को दौड़ता था...इस समस्या से बचने के लिए हम 8 महिलाओं ने अपना एक क्लब बनाया है जिसमे हम सब मिलकर घूमने जाते हैं और एक दूसरे के साथ गप्पें लगाकर खुद को हल्का कर लेते हैं."

पहले की तुलना में आज अकेली रहने वाली महिलाओं की संख्या निरन्तर बढ़ती ही जा रही है. पहले जहां घरेलू परिस्थितियों वश या कुछ जिम्मेदारियों के चलते महिलाओं को एकाकी जीवन जीना पड़ता है वहीं आज महिलाएं स्वेच्छा से अकेले रहकर जीवन जीना चाहतीं हैं. कामकाजी अकेली महिलाओं का पूरा सप्ताह तो काम करते निकल जाता है परन्तु वीकेंड पर उन्हें खुद को व्यस्त रखना काफी मुश्किल हो जाता है. 45 वर्षीया प्राप्ति कहती है, "मुझे कभी लाइफ भर अकेले रहने के अपने निर्णय पर पछतावा नहीं होता बल्कि ऐसा लगता है कि मनमाफिक और बंदिश फ्री जीवन जीने का श्रेष्ठत्तम तरीका है अकेले रहना पर हां वीकेंड पर मौज मस्ती के लिए फ्रेंड्स का साथ होना भी बहुत जरूरी है. यदि आप कामकाजी हैं और सिंगल हैं तो निम्न उपाय वीकेंड पर आपको व्यस्त रखने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं-

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