अब स्कूल और कालेजों में लड़केलड़कियां साथसाथ पढ़ रहे हैं. वे स्कूलकालेजों तक से नौकरी तक का सफर तय कर रहे हैं. अब वे 2 भागों में बंट चुके समाज का हिस्सा मात्र नहीं हैं बल्कि साथ मिल कर समाज के रूप को गढ़ रहे हैं. ऐसे में रोजमर्रा के जीवन में नजदीकियां और गलतफहमियों का बढ़ना लाजिमी सी बात है. चाहेअनचाहे कभी न कभी यह सिचुएशन आप के सामने भी आई होगी और ऐसा ज्यादातर लड़कियों के साथ होता है, इस बात से तो आप भी सहमत होंगे. उन की चंचलता ओवरफ्रैंडली व केयरिंग नेचर अकसर उन्हें ऐसी सिचुएशन में डाल देता है.

स्कूलकालेज और वर्कप्लेस में लड़केलड़कियां अच्छे दोस्त बन जाते हैं और अपोजिट सैक्स की तरफ अट्रैक्ट भी आसानी से हो जाते हैं. कई बार उन का बिहेवियर सिबलिंग जैसा होता है जिस में हंसीमजाक, एकदूसरे को हाथ मारना आम सी बात हो जाती है. एडल्ट जोक्स, एकदूसरे की टांग खींचना और गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड के नाम ले कर एकदूसरे का मजाक बनाना जेन जी के लिए सामान्य सा हो गया है. ऐसे में अकसर लोग गलतफहमियों का शिकार हो जाते हैं.

ये दोस्ती की हदों को नहीं स्वीकारते और न ही कोई मानमर्यादा का ध्यान रखते हैं, जिस के नैगेटिव इफैक्ट उन्हें कभी न कभी देखने को मिलते ही हैं और एक वक्त ऐसा भी आता है कि नजदीकियां अकसर गलतफहमियां पैदा कर देती हैं और रिश्तों में दरार आने लगती है.

कितनी ही बार ये गलतफहमियां इस हद तक बढ़ जाती हैं कि एकदूसरे की मौजूदगी तक अखरने लगती है. इस स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि वक्त रहते इन संकेतों को पहचान लें और अगर आप नहीं चाहते कि संबंधविच्छेद हो तो वक्त रहते रिश्तों को खराब होने से रोका जा सकता है.

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