भारत के संविधान को निर्वाचित संविधान सभा द्वारा आकार दिया गया था। इसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह वर्ष भारत के संविधान को अपनाने का 75 वां वर्ष है. कर्नाटक पोस्टल सर्कल संविधान सभा की उन 15 महिला सदस्यों के योगदान को पहचान देना चाहता है जो इसके निर्माण का हिस्सा थीं. 8 मार्च 2024 को सुबह 10.30 बजे बेंगलुरु जीपीओ में महिला दिवस के अवसर पर हमारे संविधान की इन संस्थापक माताओं पर क्यूआर कोड के साथ 15 पिक्चर पोस्टकार्ड का एक सेट जारी किया गया.
हालाँकि 389 सदस्यों वाली संविधान सभा में महिलाएँ केवल 3.85% थीं. फिर भी उन का गुणात्मक योगदान सराहनीय रहा है. वे अलग अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से थीं. उनमें से चार उत्तर प्रदेश से थीं, तीन केरल से और एक-एक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश), पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, हरियाणा और पंजाब से थीं. अम्मू स्वामीनाथन, दक्षिणायनी वेलायुधन, बेगम ऐज़ाज़ रसूल, दुर्गाबाई देशमुख, हंसा जीवराज मेहता, कमला चौधरी, लीला रॉय, मालती चौधरी, पूर्णिमा बनर्जी, राजकुमारी अमृत कौर, रेणुका रे, सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, विजलक्षमी पंडित और एनी मैस्करीन को संविधान की पंद्रह 'संस्थापक माताओं' के रूप में माना जाता है.
क्यूआर कोड के साथ 15 पिक्चर पोस्टकार्ड का सेट रिलीज के बाद फिलाटेलिक ब्यूरो, बीजी जीपीओ और बाद में अन्य सभी फिलाटेलिक ब्यूरो में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा.
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