आप क्या खा रहे हैं, कब खा रहे हैं और किस तरह खा रहे हैं यह न केवल आप के संपूर्ण स्वास्थ्य बल्कि मूड और प्रोडक्टिविटी को भी प्रभावित करता है इसलिए कुछ भी खाने से पहले 2 बार सोचना चाहिए कि आप क्या खाएं और क्या नहीं और कब इस के लिए आप माइंडफुल ईटिंग कर सकते हैं, यह आप को आप के संपूर्ण स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने के लिए प्रोत्साहित करती है.

माइंडफुल ईटिंग यानी सोच-समझकर खाने का मतलब है कि आप अपने द्वारा चुने गए भोजन का अनुभव करने और उस का आनंद लेने के लिए अपनी सभी शारीरिक और भावनात्मक इंद्रियों का उपयोग कर रहे हैं ताकि आप अधिक आनंददायक भोजन का अनुभव और खाने के माहौल की समझ को बढ़ावा दें.

आजकल भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल में अकसर हम जल्दी-जल्दी भोजन करते हैं. हम भोजन को अच्छी तरह चबा कर नहीं खाते हैं और साथ ही टीवी या मोबाइल देखते हुए खाना खाते हैं जिस के चलते कई बार हमें यह भी पता नहीं चलता है कि हम ने क्याक्या खाया, कितना खाया और उस का टेस्ट कैसा है. परिणाम यह होता है कि हम न सिर्फ मोटे होते जाते हैं बल्कि किसी काम को करने में ऐनर्जेटिक भी महसूस नहीं करते हैं जिस के कारण पाचन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है और हम अस्वस्थ महसूस करते हैं.

माइंडफुल ईटिंग क्या है

माइंडफुल ईटिंग एक तरह का डाइट स्टाइल है. इस डाइट का मुख्य उद्देश्य खाने के साथ एक बेहतरीन रिश्ता बनाना है. जैसाकि हम सभी जानते हैं खाना हम सभी के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है जिस का असर पूरे शरीर पर पड़ता है. जब हम मैडिटेशन को शामिल करते हुए अपनी डाइट लेते हैं यद्घा कुछ भी खाते हैं तो ऐसा करने को माइंडफुल ईटिंग कहा जाता है. इस ईटिंग स्टाइल को शरीर के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. यह विशेष डाइट ईटिंग स्टाइल डिसऔर्डर, डिप्रैशन और ऐंग्जाइटी जैसी समस्याओं को ठीक करने में बहुत लाभदायक माना जाता है.

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