ईशा एक सुखमय वैवाहिक जीवन बिता रही थी. मगर तभी उस के जीवन में निशांत का आगमन हो गया, जो एक शातिर आदमी था. अब ईशा इस रिश्ते से छुटकारा पाना चाहती थी. क्या इतना आसान था...

‘‘तुम्हीं  मेरे हर पल में, तुम आज में तुम कल में.’’ ‘‘हे शोना, हे शोना,’’ एफएम पर चल रहे गाने के साथ गुनगुनाती ईशा अपने विवाहित जीवन में काफी प्रसन्न थी. कालेज पूरा होतेहोते उस की शादी हो गई. उस ने जैसे जीवनसाथी की कल्पना की, मयूर ठीक वैसा ही निकला. देखने में आकर्षक कहना ठीक होगा. वैसे ईशा के मुकाबले मयूर उन्नीस ही था किंतु वह जानती थी कि लड़कों की सूरत से ज्यादा सीरत परखना आवश्यक होता है. आखिर ताउम्र का साथ है. ईशा ने अपनी पूरी होशियारी दर्शाते हुए मयूर का चयन किया. ईशा जैसी खूबसूरत लड़की के लिए रिश्तों की कमी न थी. कई परिवार के जरीए आए तो कई मजनू जिंदगी में वैसे भी टकराए किंतु वह अपना जीवनसाथी उसी को चुनेगी जो उस के मानदंडों पर खरा उतरेगा.

मयूर अपनी शराफत, प्यार करने की काबिलियत और सचाई के कारण अव्वल आया.

2 वर्ष पूर्व जब मयूर एक कजिन की शादी में उस से टकराया तब उसे पहली नजर में वह एक शांत, सुशील और विनम्र लड़का लगा. फोन नंबर ऐक्सचेंज होते ही कितने अच्छे और मिठास भरे मैसेज भेज कर मयूर ने ईशा का मन पिघला दिया और उस ने इस रिश्ते के लिए जल्द ही हामी भर दी. चट मंगनी पट ब्याह कर ईशा मयूर के घर आ गई.

तब से ले कर आज तक दोनों एकदूसरे के प्यार में डुबकियां लगाते आए हैं. प्रेम का सागर होता ही इतना मीठा है कि चाहे जितनी बार गोते लगा लो यह प्यास नहीं बु?ाती. एकदूसरे के साथ सामंजस्य बैठाते हुए दोनों ने धीरेधीरे अपनी जिंदगी को रोजमर्रा की पटरी पर दौड़ने के लायक बना लिया. मयूर एक प्राइवेट कंपनी में उच्च पदासीन, ईशा की हर चाह को जबान पर आने से पहले ही पूरा कर दिया करता. ईशा पूरे आनंद के साथ घर संभालने लगी. विवाहित जीवन सुखमय था. इस से ज्यादा की कामना भी नहीं थी ईशा को.

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