कई बार काम या किसी मजबूरी की वजह से पेरेंट्स टीनएजर गर्ल्स को घरवालों के भरोसे छोड़कर बाहर जाते हैं. हालांकि गर्ल्स के मामले में कहा जाता है कि जब तक वे इंडिपेंडेंट न हो जाए, तो उन्हें अपने साथ ही रखना चाहिए, लेकिन आजकल हसबैंडवाइफ दोनों वर्किंग होते हैं, तो हर टाइम टीनएजर्स के साथ रहना मुश्किल होता है.
एक बार मम्मी ने मुझे अंकल के भरोसे घर पर छोड़कर चली गई, अंकल ने मुझे कुछ सामान देने के बहाने अपने पास बुलाया, लेकिन गलत तरीके से मुझे टच किया. मैं एकदम सन्न रह गई. मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरे साथ क्या हुआ, किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था.
हालांकि जब मम्मी घर आईं, तो उन्होंने इसका कारण भी पूछा. मैंने डरकर अपनी मम्मी को नहीं बताया, कहीं वह उल्टा में मुझे ही डांटने लगेगी.
कई बार टीनएजर्स फैमिली सेक्सुअल एब्यूज का शिकार होती हैं और वो अपनी पेरेंट्स कह भी नहीं पाती हैं. जो मामा या चाचा पेरेंट्स के सामने लड़कियों को गुड़ियागुड़िया कह कर अपने पास बुलाते हैं, उन्हें चौकलेट्स या कोई गिफ्ट देतें हैं, फिर प्यार करने का दिखावा करते हैं. वहीं मामाचाचा पेरेंट्स के पीठ पीछे टीनएजर्स के साथ जो हैवानियत करते हैं, वो दबा दिया जाता है.
क्या है फैमिली सेक्सुअल एब्यूज
फैमिली सेक्सुअल एब्यूज में परिवार के सदस्य किसी बच्चे या एडल्ट मेंबर के साथ आपत्तिजनक हरकत करते हैं. यह जरूरी नहीं है कि ‘परिवार का सदस्य’ सगा ही हो, वह परिवार से किसी भी तरह से जुड़ा हो सकता है या कोई बहुत करीबी दोस्त भी हो सकता है.
टीनएजर्स भी डर से अपने पेरेंट्स से नहीं कह पाती हैं कि उन्हीं के रिश्तेदार ने यौन शोषण किया है. कई बार तो पेरेंट्स के सामने मामा या चाचा की पोलपट्टी भी खुल जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी यह बात दबा दी जाती है कि घर की बात घर में ही रहे. मातापिता सोचते हैं कि बेटी मोलस्टेशन का शिकार तो हुई, लेकिन इसके बारे में लोगों को पता चलेगा, तो हमारी इज्जत जाएगी और रिश्तेदारों को बुरा कहेंगे. यही सोच इस हैवानियत को बढ़ावा देती है.
राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चे का यौन शोषण होता है. ऐसे अपराधों को रोकने का एकमात्र तरीका है, बच्चे खुद को प्रोटेक्ट करना सिखें, लेकिन पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चों के सामने ‘सेक्सुअल एब्यूज’ कहने से कतराते हैं, इस पर चर्चा करना तो दूर की बात है.
पेरेंट्स को लगता है कि टीनएजर्स से कहना आसान है कि भूल जाए, लेकिन कोई भी लड़की यह नहीं भूल सकती कि उसके साथ कैसे अपने ही मामाचाचा ने जबरदस्ती की. इन्हीं हरकतों के कारण लड़कियां अकेले रहने या घर से बाहर जाने से कतराती हैं. कोई एक घटना इतना असर कर जाती है कि उस हादसे की याद जिंदगीभर रहती है और खुद की लाइफ बोझिल लगने लगती है.
अगर फैमिली के किसी मेंबर ने टीनएजर्स के साथ यौन शोषण किया है, तो ऐसे डील करें-
- अगर आप टीनएज की हैं, तो झूठबोल कर भी अपने हक के लिए लड़ें.
- आपको अपने अंकल का टच अच्छा नहीं लगता है, तो उन्हें बेझिझक मना करें.
- बैड टच के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगाी, तो इससे आपकी स्टडी पर असर पड़ेगा.
- शोषण करने वालों के खिलाफ चाहें वो आपके घर का ही सद्स्य क्यों न हो, उसे सजा दिलाने के लिए कानून की मदद लें.
- टीनएजर्स को दोष देना और अपमानित करना बंद करें.
- दुर्व्यवहार के कारण लड़की की आजादी पर रोक न लगाएं.
- अगर आपकी बच्ची छोटी है, तो उसे गुड और बैड टच दोनों के बारे में बताएं.