Writer- कुमसुम वर्मा

सुमन अपनी बादामी आंखों में मोटेमोटे मोतियों से आंसू लिए मु?ो अपनी दर्दभरी दास्तान सुना रही थी. उस समय उस के सांवलेसलोने मुखड़े पर निराशा एवं उदासी की स्याही फैली हुई थी.

सुमन का रवि के साथ लंबे समय से अफेयर चल रहा था. 6 महीने से वे लिव इन में एक रूम में ही रह रहे थे. दोस्तों को यह बात पता थी पर दोनों के मातापिता को नहीं. घर में चहलपहल होती थी. लेकिन उस रोज घर में एकांत कोना तलाश कर वहां बैठ कर वह किसी गहरे सोच में डूबी थी.

कभी सुमन अपने पार्टनर की मधुर कल्पनाओं में डूबी हुई होती तो कभी उस के होंठ उस के जोक्स पर मुसकराहट से फैल जाते, कभी रात के पैशन का सोच कर चेहरा लाज के मारे गुलनार हो जाता और वह अपना सांवला मुखड़ा हथेलियों में छिपा लेती. तभी उस की फ्रैंड ने उस के कंधे पर हाथ रखा.

सुमन की कल्पनाओं का महल टूट गया. उस के पास मधुरी खड़ी थी. आसमानी रंग की अमेरिकन जौर्जेट की औफशोल्डर ड्रैस पहने थी. गालों पर रूज, आंखों में तिरछा काजल और पतलेपतले नाजुक होंठों पर लिपस्टिक लगा रखी थी. वह अपनी शरारतपूर्ण नजरों से उस की तरफ देख कर बोली, ‘‘क्या सोच रही थी? क्या काम है जो तूने मु?ो यहां बुलाया?’’

‘‘कुछ नहीं.’’

‘‘मु?ा से छिपाने की कोशिश कर रही हो? ओ मेरी जान, हमें भी तो बताओ अपने मन की बात?’’

‘‘कहा न कुछ भी नहीं.’’

‘‘मुंह से कह रही हो कुछ भी नहीं लेकिन मन में शायद किसी याद का दीपक जल रहा है. क्या तुम्हारा पार्टनर शहर से बाहर गया हुआ है?

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