आज के समय में महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं है, लेकिन समाज में कुछ लोगों की सोच महिलाओं को लेकर नहीं बदली है. देश के ऐसे कई जगह हैं, जहां महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी है, शिक्षा तो बहुत दूर की बात है.

भारतीय संविधान में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में महिलाएं अपनी हक के लिए नहीं लड़ पाती हैं और उनकी जिंदगी बोझ बन जाती है. इस आर्टिकल में हम आपको कुछ अधिकारों के बारे में बात करेंगे, जो हर महिला के लिए जरूरी है.

United Front Women Empowering Communities

रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार

हर महिला को ये बात पता होना चाहिए कि दोषी होने के बाद भी सूरज डूबने के बाद और सूर्योदय से पहले उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. कानून यह भी है कि पुलिस आरोपी महिला से पूछताछ महिला कांस्टेबल और परिवार के सदस्यों या दोस्तों की मौजूदगी में ही कर सकती है.

निःशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार

अगर किसी महिला के साथ रेप हुआ है, तो उसे मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है. SHO के लिए जरूरी है कि Legal Services Authority को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करें ताकि मुश्किल समय में महिलाओं को कानूनी सहायता और प्रतिनिधित्व प्राप्त हो.

Young activists taking action

घरेलू हिंसा

अगर कोई महिला के साथ आर्थिक, फिजिकली, इमोशनल ब्लैकमेल या अन्य कोई भी Harassment करता है, तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है. अपराधी जेल भी भेजा जा सकता है. इसलिए महिलाओं को डोमेस्टिक वॉयलेंस के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए साल 2005 में कानून बनाए गए. इसके आधार पर हर महिला को डोमेस्टिक वायलेंस के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का हक है.

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