अवधिः 2 घंटे 30 मिनट
रेटिंगः एक स्टार
Stree 2 Review : 2018 में हौरर कौमेडी फिल्म ‘स्त्री’ प्रदर्शित हुई थी, जिसे अच्छी सफलता मिली थी.पर तब इस के निर्माण से दिनेश वीजन व निर्देशक अमर कौशिक के साथ ही राज एंड डीके और लेखक के तौर पर सुमित अरोड़ा जुड़े हुए थे.अभिनेता राज कुमार राव की इस फिल्म के बाद प्रदर्शित कोई भी फिल्म सफलता नही बटोर पाई. लेकिन निर्माता दिनेश वीजन और निर्देशक अमर कौशिक अब 6 वर्ष बाद ‘स्त्री’ का ही सिक्वअल ‘स्त्री 2’ ले कर आए हैं, जिस के लेखन की जिम्मेदारी नितिन भट्ट ने संभाली है. ‘स्त्री 2’ में तमन्ना भाटिया का आइटम डांस नंबर ‘आज की रात..’ (इस आइटम डांस नंबर में तमन्ना भाटिया ने जिस्म की नुमाइश  की सारी हदें पार कर दी हैं. ) फिल्म के रिलीज से पहले ही इस कदर लोकप्रिय हो गया था कि निर्माताओं ने इसी डांस नंबर के आधार पर ऐसा गिमिक रचा कि आज इस फिल्म से जुड़े लोगों के चेहरों पर मुस्कान नजर आ रही है. निर्माताओं ने इस फिल्म की टिकट की दरें दोगुनी से भी अधिक कर दी है. मुंबई के मल्टीप्लैक्स मेें 600 रुपए से 2 हजार रुपए तक की टिकट दर हैं. फिल्म 15 अगस्त को सिनेमाघरों पहुंची, मगर इस की एडवांस बुकिंग एक सप्ताह पहले ही शुरू कर दी गई. इतना ही नहीं निर्माताओं ने 14 अगस्त की रात साढ़े नौ बजे देश के लगभग हर शहर में इस फिल्म के ‘पेड प्रिव्यू शो ’ भी रख दिए. निर्माताओं का दावा है कि 14 अगस्त को ‘पेड प्रिव्यू’ से ‘स्त्री 2’ ने 8 करोड़ रुपए कमाए, जबकि 15 अगस्त के दिन इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर 45 करोड़ रुपए कमा लिए. यानी कि फिल्म 53 करोड़ रुपए कमा चुकी है. इस में से निर्माता के हाथ में लगभग 25 करोड़ रुपए आने चाहिए. मजेदार बात यह है कि 3 घंटे बाद फिल्म के पीआरओ ने पत्रकारों के पास संदेश भेजा कि फिल्म ‘स्त्री 2’ ने पहले ही दिन 76 करोड़ 50 लाख रुपए इकट्ठे कर लिए हैं. यह आंकड़े कितने सही व कितने गलत हैं, इस पर चर्चा करना बेकार है. जहां कौरपोरेट जुड़ा हो, वहां कई निराले खेल होेते ही रहते हैं. 2024 में जब सात माह बीत जाने के बाद भी किसी फिल्म को सफलता न मिली हो, तब अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में धमाल मचाने के लिए कौरपोरेट का कमर कसना अनिवार्य सा हो जाता है. अतीत में भी देख चुके हैं कि किस तरह कौरपोेरेट बुकिंग के माध्यम से सब से अधिक कमाई वाली फिल्म का नाम घोषित किया जा चुका है. वैसे भी ‘स्त्री 2’ के निर्माण के साथ मुकेश अंबानी की कंपनी ‘जियो स्टूडियो’ भी जुड़ा हुआ है.
बहरहाल,अगर ‘स्त्री 2’ ने वास्तव में निर्माताओं या पीआरओ के दावे के अनुरूप कमाई की है तो यह बौलीवुड इंडस्ट्री के लिए सुखद एहसास है. वह भी उस वक्त जब चार दिन पहले ही खबर आई हो कि बौलीवुड के मशहूर निर्माता व निर्देशक करण जोहर की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ‘धर्मा प्रोडक्शन’बिक गया. ‘स्त्री 2’की सफलता से सब से ज्यादा खुश  अभिनेता राज कुमार राव हुए है, जिन की 2018 से एक भी फिल्म सफल नहीं हो रही थी. और तो और अब राज कुमार राव के नजदीकी सूत्र दावा कर रहे हैं कि फिल्म ‘स्त्री 2’ के पहले दिन का कलेक्शन देखते ही राज कुमार राव हवा में उड़ने लगे हैं. उन्होंने अपनी पारिश्रमिक राशि सीधे दोगुनी करते हुए 30 करोड़ रुपए प्रति फिल्म कर दी है, यह तब है जबकि बौलीवुड के हर तब के से मांग उठ रही है कि कलाकारों को अपनी फीस घटानी चाहिए. फिल्म की लागत में कटौती की जानी चाहिए.
stree 2
फिल्म ‘स्त्री 2’ के निर्माता व पीआरओ ‘समोसा क्रिटिक’ की मदद से लगातार प्रचारित कर रहे हैं कि ‘स्त्री 2’ का वीकेंड बौक्स औफिस कलेक्शन 300 करोड़ रुपए से अधिक होगा. निर्माता अपनी तरफ से सही या गलत आंकड़े दने के लिए स्वतंत्र है,क्योंकि मीडिया के पास इतनी ताकत नहीं है कि वह निर्माता से पूछ सके कि जीएसटी कितनी भरी? हो सकता है कि यह सच भी हो. मगर जब हम ने फिल्म ‘स्त्री 2’ देखी तो हमें यह फिल्म विषयवस्तु और कला दोनों ही स्तर पर घटिया फिल्म लगी. यहां तक इस का वीएफएक्स भी काफी कमजोर है. फिल्मकार ने इसे पितृसत्तात्मक सोच का महिमामंडन करने के एजेंडे के साथ बनाया है, जिस में  धर्म व अंधविश्वास का तड़का है तो वहीं द्विअर्थी संवाद और महाभारत व दुर्गा सप्तसती के एक अध्याय को भी पिरो दिया है. यह फिल्मकार वर्तमान आधुनिक पीढ़ी को कितना मूर्ख समझते हैं, यह तो वही जाने.
इस फिल्म की एडवांस बुकिंग में कुछ योगदान तमन्ना भाटिया के आइटम डांस नंबर ‘आज की रात..’ का भी है,जो काफी लोकप्रिय हो गया था. लेकिन इस गाने के आधार पर जिन दर्शकों ने टिकट खरीदे हैं, उन के साथ तो सीधे धोखा किया गया. जी हां, फिल्म के अंदर इस गाने को पूरा नहीं रखा गया है, सिर्फ गाने की झलक है. इतना ही नहीं गाने के बीच में श्रृद्धा कपूर को कहीं ‘सरकटा’ की तलाश करते हुए दिखा कर गाने की उस झलक का भी मजा खराब कर दिया गया.
कहानीः
फिल्म ‘स्त्री 2’ की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां ‘स्त्री’ की कहानी खत्म हुई थी. पहले भाग में  एक अनाम रहस्यमयी युवती ने असीमित शक्तियां पाने के लिए ‘स्त्री’ की चोटी काट कर अपनी चोटी में मिला ली थी, इसी रहस्यमयी अनाम लड़की को विक्की चाहने लगा था.वह अब भी उसे चाहता है. उस के सपने भी देखता है और इस चक्कर में इतना पिट चुका है कि असल में उस के सामने आने पर भी उसे यकीन नहीं होता. पर पहले भाग में स्त्री बस में बैठ कर चली गई थी. उस के जाने के बाद से चंदेरी की दीवारों पर लिखा है, ‘ओ स्त्री रक्षा करना’.
पहले भाग में स्त्री अपना बदला लेने के लिए पुरुषों का अपहरण किया था पर सच जानने के बाद उस ने ‘चंदेरी’ के निवासियों की रक्षा करने का वादा किया था. लेकिन इस बार ‘सरकटा’ नामक दानव उन युवा महिलाओं का अपहरण कर रहा है जो कि स्वतंत्र व आधुनिक जीवन जीने में यकीन करती हैं. फिल्म की शुरुआत होती है कि चंदेरी गांव में सब कुछ ठीक ही चल रहा है. विक्की (राजकुमार राव) को आज भी उस अनाम रहस्यमयी लड़की (श्रद्धा कपूर) का इंतजार है. इसीलिए वह किसी अन्य लड़की से विवाह नहीं करना चाहता. अचानक एक दिन पोस्टमैन रूद्र को एक चिट्ठी दे जाता है, जिस में किसी ने चंदेरी पुराण के कुछ फटे हुए पन्ने भेजा है. तभी अचानक बाजार में विक्की के सामने ही बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) की गर्लफ्रेंड चिठ्ठी को ‘सरकटा’ तबाही मचा कर अपने साथ ले कर चला जाता है. तभी वहां रूद्र (पंकज त्रिपाठी) पहुंच कर उस चिट्ठी के बारे में बताते हैं. इस चिट्ठी में चंदेरी पुराण के फटे पन्नों के साथ विक्की एक दूसरा कागज भी निकालता है. जिस से निष्कर्ष निकलता है कि दिल्ली में रहने वाले जना (अभिषेक बनर्जी) की मदद से सरकटा का पता लगाया जा सकता है. यह लोग जना के माध्यम से कोशिश करते हैं पर जना असफल हो जाता है. इसी बीच रहस्यमयी अनाम लड़की (श्रद्धा कपूर) भी चंदेरी वापस आ जाती है. मगर जब सरकटा रूद्र की नर्तक प्रेमिका शमा (तमन्ना भाटिया) का भी अपहरण कर लेता है और गांव के बिट्टू सहित कई मर्दों को अपने वश में कर के महिलाओं की आजादी पर बंदिश लगवा देता है. तब रूद्र, श्रद्धा, विक्की और जना सरकटा के संहार के लिए कमर कस लेते हैं. अब यह चौकड़ी चंदेरी को दानव से सुरक्षा देने में सफल होगी या नहीं, इस के लिए फिल्म देखनी  पड़ेगी. वैसे फिल्म खत्म होने के बाद भी खत्म नहीं होती है. क्योंकि जब आप सोचते हैं कि फिल्म खत्म हो गई, तब फिल्म में दो गाने आते हैं. एक गाने में परदे पर श्रद्धा कपूर,राज कुमार राव के साथ गाती दिखती हैं, तो दूसरे में वह वरुण धवन के साथ नजर आती हैं. इस का रहस्य भी फिल्म देख कर ही समझा जा सकता है.
समीक्षाः
असम में जन्में अमर कौशिक ने 2008 में राज कुमार गुप्ता के साथ बतौर सहायक निर्देशक ‘नो वन किल्ड जेसिका’ की थी. फिर स्वतंत्र निर्देशक के रूप में 2018 में उन्होंने फिल्म ‘स्त्री’ निर्देशित की थी, जिस के लेखन व निर्माण से राज एंड डीके और सुमित अरोड़ा जुड़े हुए थे और उस वक्त ‘स्त्री’ की सफलता का श्रेय राज एंड डीके के सिर ही गया था. फिर अमर कौशिक ने 2019 में फिल्म ‘बाला’ और 2022 में फिल्म ‘भेड़िया’ निर्देशित की थी. इन दोनों फिल्मों ने बौक्स औफिस पर पानी तक नहीं मांगा था. अब असफलता का दंश झेल रहे अमर कौशिक ने 2018 की ‘स्त्री’ का सिक्वअल ‘स्त्री 2’ निदेशित की है, जिस में राज एंड डीके व सुमित अरोड़ा का कोई जुड़ाव नहीं है. लेखक के तौर पर इस बार नरेन भट्ट जुड़े हैं, जिन्होंने एक एजेंडे को ही पिरोने का पूरा प्रयास किया है. नरेन भट्ट का ज्ञान कितना कम है, इस का एहसास इस बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म में संवाद है कि अगर ‘सरकटा’ पर जल्द काबू  पाया गया तो यह ‘चंदेरी’ को दो सौ वर्ष पीछे ले जाएगा. नरेन भट्ट को पता ही नहीं है कि दो सौ वर्ष पहले भी भारतीय नारी सशक्त थीं. अहिल्याबाई होल्कर से ले कर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सहित तमाम वीरांगनाएं इसी देश की हैं. लेकिन फिल्म ‘स्त्री 2’ के सर्जकों ने फिल्म में पितृसत्तात्मक सोच के तहत ही ‘सरकटा’ को रचा है. सरकटा उन युवा महिलाओं का अपहरण कर अपने अड्डे पर बंदी बना कर रख रहा है जो कि मौडर्न हैं, पढ़ीलिखी हैं, आधुनिक पोशाक पहनती हैं और आधुनिक यानी प्रगतिशील सोच रखती हैं. ‘सरकटा’ के आतंक के चलते पुरूषों ने घर की महिलाओं को घर के अंदर कैद कर दिया है. औरतों ने अपने खुले गले के ब्लाउज में कपड़ा जुड़वा कर को बंद गले का करवा दिया. लड़कियों का स्कूल जाना बंद कर दिया गया है. अब मंदिर में पूजा व आरती भी सिर्फ पुरूष ही करते हैं. यानी महिलाओं को पूूरी तरह से चौकाचूल्हे तक सीमित कर दिया गया. इस तरह जम कर पितृसत्तात्मक सोच का महिमामंडन किया गया है. फिल्म में सैकड़ों पुरूष मिल कर आरती करते हैं, इस तरह के दृश्य कई बार दिखा कर धर्म का महिमामंडन किया गया है. दुर्गा सप्तषती के एक अध्याय में रक्तबीज नामक राक्षस को दुर्गा देवी मारने आती है तो उस पर जितनी बार वार किया जाता है,जितना खून उस के शरीर से गिरता है, उतने ही ही असुर पैदा होते रहते हैं. फिल्मकार ने फिल्म ‘स्त्री 2’ में दिखाया है कि विक्की जितनी बार ‘सरकटा’ के हाथ में मौजूद ‘सिर’ के दो टुकड़े करता है, उतनी ही बार उस से कई गुना ज्यादा ‘कटे हुए सिर’ पैदा हो जाते हैं. और तो और जब ‘स्त्री’ चंदेरी को बचाने के लिए ‘सरकटा’ का विनाश करने के लिए आती है,जो कि हकीकत में भूत है तो वह भी लाल रंग की साड़ी में ‘देवी’ की ही तरह आती है. इस बार फिल्मकार ने ‘महाभारत’ को भी नहीं छोड़ा. जना के पास अचानक ऐसी ताकत आ जाती है कि वह ‘महाभारत’ के संजय की तरह ‘सरकटा’ की गुफा के बाहर बिट्टू व रूद्र के पास बैठे हुए गुफा के अंदर जो कुछ हो रहा होता है, उस का आंखों देखा हाल बताता रहता है. फिल्मकार का मन इतने से भी नहीं भरा तो रहयस्मयी लड़की से ‘काला जादू’ की बात भी करवा डाली. इस तरह के मनगढ़ंत व अविश्वसनीय दृश्यों का महिमामंडन कर फिल्मकार समाज व देश के साथ ही हमारी युवा पीढ़ी को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं? यह सब लेखक व निर्देशक का दिमागी दिवालियापन के अलावा कुछ नहीं है.
लेखन व निर्देशन में इतनी गलतियां है कि क्या कहा जाए. फिल्म की सब से बडी कमजोर कड़ी इस की पटकथा हैं. इंटरवल तक लगता है कि फिल्म की कहानी को लेखक व निर्देशक जबरन खींचने का प्रयास कर रहे हैं,जिस के चलते यह फिल्म सिरदर्द बन जाती है. निर्देशक ने पटकथा पर ध्यान देने की बजाय साउंड इंजीनियर की मदद से अति लाउड साउंड परोस कर लोगों को जबरन हंसने पर मजबूर करते हुए नजर आए हैं. ‘स्त्री’ के मुकाबले ‘स्त्री 2’ में ठहराव और नेचुरल हंसी का भी अभाव है. लेखक ने ‘सरकटा’ की बैकग्राउंड कहानी को ठीक से नहीं गढ़ा.फिल्म ‘स्त्री 2’ देखते समय ‘मुंज्या’ के घने जंगल और ‘लौर्ड औफ द रिंग्स’ की गुफाओं की याद आती है. इसी तरह अचानक भेड़िया कैसे ‘सरकटा’ की गुफा में पहुंच जाता है, जहां जाने का रास्ता किसी के पास नहीं है. वीएफएक्स काफी कमजोर है. ‘सरकटा’ अपहृत महिलाओं के सिर मुंडवा कर उन्हें सफेद साड़ी पहना कर रखता है. पहली बात तो यह सब उसके पास आया कहां से? दूसरी बात  गुफा में जिस तरह से अपहृत औरतों को दिखाया गया है, यह आपत्तिजनक है. मूल फिल्म ‘स्त्री’ में जो आकर्षक मासूमियत थी, साथ ही चीजों को चित्रित करने के तरीके में एक मूल लकीर भी थी, वह सब ‘स्त्री 2’से गायब है.फिल्म में पागलखाना के अंदर रहने वालों का चित्रण अत्यंत आपत्तिजनक है. फिल्म के चारों पुरूष किरदारों को अस्थिर दिमाग वाले व मूर्ख दिखाने के पीछे फिल्मकार की क्या सोच है, यह तो वही जाने.
अभिनयः
इस फिल्म में किसी भी कलाकार का अभिनय स्तरीय नहीं है. पंकज कपूर और राज कुमार राव अपने चिरपरिचित लहजे में ही नजर आए हैं. दोनों अपनेआप को दोहराते नजर आते हैं. पंकज त्रिपाठी व राज कुमार राव दोनों बेहतरीन कलाकार हैं पर इस फिल्म में जो कुछ किया है, उसे देख कर आश्चर्य ही हुआ. अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी को मान लेना चाहिए कि उन्हें अभिनय नहीं आता है. श्रृद्धा कपूर की प्रतिभा को जाया किया गया है.
निर्माताःदिनेश विजन और ज्योति देशपांडे
लेखकः निरेन भट्ट (राज और डीके के ‘स्त्री’ में रचे किरदारों पर आधारित)
निर्देशक: अमर कौशिक
कलाकारः श्रद्धा कपूर , राज कुमार राव,पंकज त्रिपाठी, अपारशक्ति खुराना, अभिषेक बनर्जी,वरुण धवन और अक्षय कुमार

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