Best Love Stories In Hindi : प्यार की कहानियां शायद ही कोई हो, जिसे पढ़ना पसंद न हो. इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Best Love Stories in Hindi 2024. इन कहानियों में प्यार और रिश्तों से जुड़ी कई दिलचस्प बातें हैं जो आपके दिल को छू लेगी. इन कहानियों में आपको कई दिलचस्प बातें जानने को मिलेंगी. तो अगर आपको भी है लव स्टोरीज पढ़ने का शौक, तो गृहशोभा पर पढ़ें ये कहानियां…
1. सयाना इश्क: क्यों अच्छा लाइफ पार्टनर नहीं बन सकता संजय
इक्कीस वर्षीया पीहू ने जब कहा, ”मम्मी, प्लीज, डिस्टर्ब न करना, जरा एक कौल है,” तो नंदिता को हंसी आ गई. खूब जानती है वह ऐसी कौल्स. वह भी तो गुजरी है उम्र के इस पड़ाव से.”हां, ठीक है,” इतना ही कह कर नंदिता ने पास में रखी पत्रिका उठा ली. पर मन आज अपनी इकलौती बेटी पीहू में अटका था.पीहू सीए कर रही है. उस की इसी में रुचि थी तो उस ने और उस के पति विनय ने बेटी को अपना कैरियर चुनने की पूरी छूट दी थी. मुंबई में ही एसी बस से वह कालेज आयाजाया करती थी. पीहू और नंदिता की आपस की बौन्डिंग कमाल की थी. पीहू के कई लड़के, जो स्कूल से उस के दोस्त थे, के घर आनेजाने में कोई पाबंदी या मनाही नहीं रही. अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था कि नंदिता को यह लगा हो कि पीहू की किसी विशेष लड़के में कोई खास रुचि है. उलटा, लड़कों के जाने के बाद नंदिता ही पीहू को छेड़ती, ‘पीहू, इन में से कौन तुम्हें सब से ज्यादा अच्छा लगता है?’
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2. एक अधूरा लमहा: क्या पृथक और संपदा के रास्ते अलग हो गए?
जिंदगी ट्रेन के सफर की तरह है, जिस में न जाने कितने मुसाफिर मिलते हैं और फिर अपना स्टेशन आते ही उतर जाते हैं. बस हमारी यादों में उन का आना और जाना रहता है, उन का चेहरा नहीं. लेकिन कोई सहयात्री ऐसा भी होता है, जो अपने गंतव्य पर उतर तो जाता है, पर हम उस का चेहरा, उस की हर याद अपने मन में संजो लेते हैं और अपने गंतव्य की तरफ बढ़ते रहते हैं. वह साथ न हो कर भी साथ रहता है.
ऐसा ही एक हमराही मुझे भी मिला. उस का नाम है- संपदा. कल रात की फ्लाइट से न्यूयौर्क जा रही है. पता नहीं अब कब मिलेगी, मिलेगी भी या नहीं. मैं नहीं चाहता कि वह जाए. मुझे पूरा यकीन है कि वह भी जाना नहीं चाहती. लेकिन अपनी बेटी की वजह से जाना ही है उसे. संपदा ने कहा था कि पृथक, अकेले अभिभावक की यही समस्या होती है. फिर टिनी तो मेरी इकलौती संतान है. हम एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते. हां, एक वक्त के बाद वह अकेले रहना सीख जाएगी. इधर वह कुछ ज्यादा ही असुरक्षित महसूस करने लगी है. पिछले 2-3 सालों में उस में बहुत बदलाव आया है. यह बदलाव उम्र का भी है. फिर भी मैं यह नहीं चाहती कि वह कुछ ऐसा सोचे या समझे, जो हम तीनों के लिए तकलीफदेह हो.
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3. नाइट फ्लाइट : ऋचा से बात करने में क्यों कतरा रहा था यश
मुंबई का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा. अभी शाम के 5 भी नहीं बजे थे. यश की फ्लाइट रात के 8 बजे की थी. वह लंबी यात्रा में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता था. सो, एयरपोर्ट जल्दी ही आ गया था. उस ने टैक्सी से अपना सामान उतार कर ट्रौली पर रखा. हवाईअड्डे पर काफी भीड़ थी. वह मन ही मन सोच रहा था, आजकल हवाई यात्रा करने वालों की कमी नहीं है. यश ने अपना पासपोर्ट और टिकट दिखा कर अंदर प्रवेश किया.
यश ने एयर इंडिया के काउंटर से चेकइन कर अपना बोर्डिंग पास लिया. उस ने अपने लिए किनारे वाली सीट पहले से बुक करा ली थी. उसे यात्रा के दौरान विंडो या बीच वाली सीट से निकल कर वौशरूम जाने में परेशानी होती है. उस के बाद वह सुरक्षा जांच के लिए गया. सुरक्षा जांच के बाद टर्मिनल 2 की ओर बढ़ा जहां से एयर इंडिया की उड़ान संख्या ए/314 से उसे हौंगकौंग जाना था. वहां पर वह एक किनारे कुरसी पर बैठ गया. अभी भी उस की फ्लाइट में डेढ घंटे बाकी थे. हौंगकौंग के लिए और भी उड़ानें थीं पर उस ने जानबूझ कर नाइट फ्लाइट ली ताकि रात जहाज में सो कर गुजर जाए और सारा दिन काम कर सके. उस की फ्लाइट हौंगकौंग के स्थानीय समय के अनुसार सुबह 6.45 बजे वहां लैंड करती.
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4. पराकाष्ठा: एक विज्ञापन ने कैसे बदली साक्षी की जिंदगी
आज भी मुखपृष्ठ की सुर्खियों पर नजर दौड़ाने के पश्चात वह भीतरी पृष्ठों को देखने लगी. लघु विज्ञापन तथा वर/वधू चाहिए, पढ़ने में साक्षी को सदा से ही आनंद आता है.
कालिज के जमाने में वह ऐसे विज्ञापन पढ़ने के बाद अखबार में से उन्हें काट कर अपनी सहेलियों को दिखाती थी और हंसीठट्ठा करती थी.
शहर के समाचार देखने के बाद साक्षी की नजर वैवाहिक विज्ञापन पर पड़ी जिसे बाक्स में मोटे अक्षरों के साथ प्रकाशित किया गया था, ‘30 वर्षीय नौकरीपेशा, तलाकशुदा, 1 वर्षीय बेटे के पिता के लिए आवश्यकता है सुघड़, सुशील, पढ़ीलिखी कन्या की. गृहकार्य में दक्ष, पति की भावनाओं, संवेदनाओं के प्रति आदर रखने वाली, समझौतावादी व उदार दृष्टिकोण वाली को प्राथमिकता. शीघ्र संपर्र्ककरें…’
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5. प्रेम तर्पण: क्यों खुद को बोझ मान रही थी कृतिका
डाक्टर ने जवाब दे दिया था, ‘‘माधव, हम से जितना बन पड़ा हम कर रहे हैं, लेकिन कृतिकाजी के स्वास्थ्य में कोईर् सुधार नहीं हो रहा है. एक दोस्त होने के नाते मेरी तुम्हें सलाह है कि अब इन्हें घर ले जाओ और इन की सेवा करो, क्योंकि समय नहीं है कृतिकाजी के पास. हमारे हाथ में जितना था हम कर चुके हैं.’’
डा. सुकेतु की बातें सुन कर माधव के पीले पड़े मुख पर बेचैनी छा गई. सबकुछ सुन्न सा समझने न समझने की अवस्था से परे माधव दीवार के सहारे टिक गया. डा. सुकेतु ने माधव के कंधे पर हाथ रख कर तसल्ली देते हुए फिर कहा, ‘‘हिम्मत रखो माधव, मेरी मानो तो अपने सगेसंबंधियों को बुला लो.’’ माधव बिना कुछ कहे बस आईसीयू के दरवाजे को घूरता रहा. कुछ देर बाद माधव को स्थिति का भान हुआ. उस ने अपनी डबडबाई आंखों को पोंछते हुए अपने सभी सगेसंबंधियों को कृतिका की स्थिति के बारे में सूचित कर दिया.
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6. खरीदी हुई दुल्हन: क्या मंजू को मिल पाया अनिल का प्यार
38 साल के अनिल का दिल अपने कमरे में जाते समय 25 साल के युवा सा धड़क रहा था. आने वाले लमहों की कल्पना ही उस की सांसों को बेकाबू किए दे रही थी, शरीर में झुरझुरी सी पैदा कर रही थी. आज उस की सुहागरात है. इस रात को उस ने सपनों में इतनी बार जिया है कि इस के हकीकत में बदलने को ले कर उसे विश्वास ही नहीं हो रहा.
बेशक वह मंजू को पैसे दे कर ब्याह कर लाया है, तो क्या हुआ? है तो उस की पत्नी ही. और फिर दुनिया में ऐसी कौन सी शादी होती होगी जिस में पैसे नहीं लगते. किसी में कम तो किसी में थोड़े ज्यादा. 10 साल पहले जब छोटी बहन वंदना की शादी हुई थी तब पिताजी ने उस की ससुराल वालों को दहेज में क्या कुछ नहीं दिया था. नकदी, गहने, गाड़ी सभी कुछ तो था. तो क्या इसे किसी ने वंदना के लिए दूल्हा खरीदना कहा था. नहीं न. फिर वह क्यों मंजू को ले कर इतना सोच रहा था. कहने दो जिसे जो कहना था. मुझे तो आज रात सिर्फ अपने सपनों को हकीकत में बदलते देखना है. दुनिया का वह वर्जित फल चखना है जिसे खा कर इंसान बौरा जाता है. मन में फूटते लड्डुओं का स्वाद लेते हुए अनिल ने सुहागरात के लिए सजाए हुए अपने कमरे में प्रवेश किया.
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7. सुख की गारंटी
एकदिन काफी लंबे समय बाद अनु ने महक को फोन किया और बोली, ‘‘महक, जब तुम दिल्ली आना तो मुझ से मिलने जरूर आना.
‘‘हां, मिलते हैं, कितना लंबा समय गुजर गया है. मुलाकात ही नहीं हुई है हमारी.’’
कुछ ही दिनों बाद मैं अकेली ही दिल्ली जा रही थी. अनु से बात करने के बाद पुरानी यादें, पुराने दिन याद आने लगे. मैं ने तय किया कि कुछ समय पुराने मित्रों से मिल कर उन
पलों को फिर से जिया जाए. दोस्तों के साथ बिताए पल, यादें जीवन की नीरसता को कुछ कम करते हैं.
शादी के बाद जीवन बहुत बदल गया व बचपन के दिन, यादें व बहत कुछ पीछे छूट गया था. मन पर जमी हुई समय की धूल साफ होने लगी…
कितने सुहाने दिन थे. न किसी बात की चिंता न फिक्र. दोस्तों के साथ हंसीठिठोली और भविष्य के सतरंगी सपने लिए, बचपन की मासूम पलों को पीछे छोड़ कर हम भी समय की घुड़दौड़ में शामिल हो गए थे. अनु और मैं ने अपने जीवन के सुखदुख एकसाथ साझा किए थे. उस से मिलने के लिए दिल बेकरार था.
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8. प्यार है: लड़ाई को प्यार से जीत पाए दो प्यार करने वाले
हाइड पार्क सोसाइटी वैसे तो ठाणे के काफी पौश इलाके में स्थित है, यहां के लोग भी अपनेआप को सभ्य, शिष्ट, आधुनिक और समृद्ध मानते हैं, पर जैसाकि अपवाद तो हर जगह होते हैं, और यहां भी है. कई बार ऊपरी चमकदमक से तो देखने में तो लगता है कि परिवार बहुत अच्छा है, सभ्य है पर जब असलियत सामने आती है तो हैरान हुए बिना नहीं रह सकते. ऐसे ही 2 परिवारों के जब अजीब से रंगढंग सामने आए तो यहां के निवासियों को समझ ही नहीं आया कि इन का क्या किया जाए, हंसें या इन्हे टोकें.
बिल्डिंग नंबर 9 के फ्लैट 804 में रहते हैं रोहित, उन की पत्नी सुधा और बेटियां सोनिका और मोनिका. इन के सामने वाले फ्लैट 805 में रहते हैं आलोक, उन की पत्नी मीरा और बेटा शिविन. कभी दोनों परिवारों में अच्छी दोस्ती थी, दोनों के बच्चे एक ही स्कूलकलेज में पढ़ते रहे.
दोनों दंपत्ति बहुत ही जिद्दी, घमंडी और गुस्सैल हैं. जो भी इन परिवारों के बीच दोस्ती रही, वह सिर्फ इन के प्यारे, समझदार बच्चों के कारण ही. अब 1 साल के आगेपीछे शिविन और सोनिका दोनों आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए हैं. मोनिका मुंबई में ही फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही है. सब ठीक चल ही रहा था कि सोसाइटी में कुछ लोगों ने आमनेसामने के खाली फ्लैट खरीद लिए और अब उन का बड़ा सा घर हो गया, तो इन दोनों दंपत्तियों के मन में आया कि उन्हें भी सामने वाला फ्लैट मिल जाए तो उन का भी घर बहुत बड़ा हो जाएगा.
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9. परिंदा : अजनबी से एक मुलाकात ने कैसे बदली इशिता की जिंदगी
‘‘सुनिए, ट्रेन का इंजन फेल हो गया है. आगे लोकल ट्रेन
से जाना होगा.’’
आवाज की दिशा में पलकें उठीं तो उस का सांवला चेहरा देख कर पिछले ढाई घंटे से जमा गुस्सा आश्चर्य में सिमट गया. उस की सीट बिलकुल मेरे पास वाली थी मगर पिछले 6 घंटे की यात्रा के दौरान उस ने मुझ से कोई बात करने की कोशिश नहीं की थी.
हमारी ट्रेन का इंजन एक सुनसान जगह में खराब हुआ था. बाहर झांक कर देखा तो हड़बड़ाई भीड़ अंधेरे में पटरी के साथसाथ घुलती नजर आई.
अपनी पूरी शक्ति लगा कर भी मैं अपना सूटकेस बस, हिला भर ही पाई. बाहर कुली न देख कर मेरी सारी बहादुरी आंसू बन कर छलकने को तैयार थी कि उस ने अपना बैग मुझे थमाया और बिना कुछ कहे ही मेरा सूटकेस उठा लिया. मेरी समझ में नहीं आया कि क्या कुछ क हूं.
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10. प्यार उसका न हो सका
‘‘कौन है?’’ दरवाजे पर कई बार दस्तक देने के बाद अंदर से आवाज आई पर अब भी दरवाजा नहीं खिड़की खुली थी.
‘‘मैं, नेहा. दरवाजा खोल,’’ नेहा बोली, ‘‘कब से दरवाजा खटखटा रही हूं.’’
‘‘सौरी,’’ प्रिया नींद से जाग कर उबासी लेते हुए बोली, ‘‘तू और कहीं कमरा तलाश ले.’’
‘‘कमरा तलाश लूं,’’ नेहा ने हैरानी से प्रिया की ओर देखा व बोली, ‘‘कमरा तो तुझे तलाशना है?’’
‘‘अब मुझे नहीं, कमरा तुझे तलाशना है,’’ प्रिया बोली.
‘‘क्यों?’’ नेहा ने पूछा.
‘‘मैं ने और कर्ण ने शादी कर ली है.’’
‘‘क्या?’’ नेहा ने आश्चर्य से प्रिया को देखा. उस के माथे की बिंदी और मांग में भरा सिंदूर इस बात के गवाह थे.