इतनी गरमी में अपर्णा को किचन में खाना पकाते देख शिव को अपनी पत्नी पर प्यार हो आया. वह पास पड़ा तौलिया उठा कर उस के चेहरे का पसीना पोंछने लगा तो अपर्णा मुसकरा उठी.
‘‘मुसकरा क्यों रही हो? देखो, गरमी कितनी है? मैं ने कहा था बाहर से ही खाना और्डर कर मंगवा लेंगे. लेकिन तुम सुनती कहां हो.
चलो, अब लाओ, सब्जी मैं काट देता हूं, तुम जा कर थोड़ी देर ऐसी में बैठो,’’ उस के हाथ से चाकू लेते हुए शिव बोला.
‘‘अरे नहीं, इस की कोई जरूरत नहीं है पति देव. मैं कर लूंगी,’’ शिव के हाथ से चाकू लेते हुए अपर्णा बोली, ‘‘आप दीदी को फोन लगा कर पूछिए वे लोग कब तक आएंगे. अच्छा, रहने दीजिए. मैं ही पूछ लेती हूं. आप एक काम करिए, वह हमारे घर के पास जो ‘राधे स्वीट्स’ की दुकान है न वहां से
1 किलोग्राम अंगूर रबड़ी ले आओ. ‘राधे स्वीट्स’ की मिठाई ताजा होती है. और हां बच्चों के लिए चौकलेट आइसक्रीम भी लेते आइएगा.’’
‘‘राधे स्वीट्स से मिठाई पर उस की दुकान की मिठाई तो उतनी अच्छी नहीं होती. एक काम करता हूं बाजार चला जाता हूं वहीं से मिठाई लेता आऊंगा मैं,’’ शिव ने कहा. लेकिन अपर्णा कहने लगी कि क्यों बेकार में उतनी दूर जा कर टाइम बेस्ट करना, जब यहीं घर के पास ही अच्छी मिठाई की दुकान है.
‘‘कोई अच्छी दुकान नहीं है उस की. पिछली बार याद नहीं, कितनी खराब मिठाई दी थी उस ने? फेंकनी पड़ी थी.’’
‘‘अब एक ही बात को कितनी बार रटते रहोगे तुम? मैं कह रही हूं न अच्छी मिठाई मिलती वहां,’’ अपर्णा थोड़ी इरिटेट हो गई.
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