वैवाहिक जीवन (Married Life) को खुशहाल बनाने के लिए जरूरी है कि आप का रिलेशन विश्वास, अंडरस्टैंडिंग, केयरिंग की नींव पर टिका हो। फिर चाहे आप ने परिवार की सहमति से शादी की हो या अपनी पसंद के पार्टनर को अपना जीवनसाथी चुना हो.

हालांकि जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह शादीशुदा जीवन के भी दो पहलू होते हैं। कभी प्यार होता है तो कभी टकराव। जो रिश्ते को मजबूती भी देता है लेकिन लंबा चलने वाला टकराव रिश्ते में दरार डाल देता है तो भूल कर भी कलह को ज्यादा लंबा न चलने दें जिस से आप के रिश्ते का स्पार्क कम नहीं होगा.

इस के लिए जरूरी है कि कुछ बातों का ध्यान रखें :

अनदेखा करना

साथ होते हुए भी एकदूसरे को नजरंदाज करना, कौल मैसेज का रिप्लाई करने की जरूरत न समझना, किसी भी काम में एकदूसरे की सहमति लेने की कोशिश तक न करना इशारा करते हैं कि दोनों के बीच में दूरी गहरा गई है. इसलिए समय पर ही बात को समझें और दूरियों को नजदीकियों में बदलने की कोशिश करें.

भावनात्मक जुड़ाव न होना

किसी भी परेशानी या खुशी को एकदूसरे से साझा न करना, पता होने पर भी एकदूसरे के प्रति कोई रिएक्शन न दिखाना, बिना लड़ाईझगड़े के ऐसी बेरुखी इशारा करता है कि रिश्ते में दूरियां आ चुकी हैं.

फिजिकल इंटिमेसी से दूरी बनाना

एक घर में, एक कमरे में रहते हुए भी दोनों के बीच में फिजिकल इंटिमेसी की कमी होना रिश्ते को खत्म होने की कगार पर ले आता है क्योंकि दांपत्य जीवन में भावनात्मक व फिजिकल रिलेशन होना पहचान होता है एक स्वस्थ रिश्ते की क्योंकि किसी भी रिश्ते में हर तरह से एकदूसरे की जरूरत को समझना और उन उम्मीदों पर खरा उतरना आवश्यक होता है. जरूरतें फिजिकल भी हो सकती हैं और इमोशनल भी.

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