महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ऐसी शख्सियत हैं, जिनके बारे में सिर्फ भारत ही नहीं विदेशों में भी उनके बारे में अध्ययन किया जाता है. दुनियाभर में गांधीजी बापू के नाम से प्रसिद्ध हैं. इस दुनिया में जीवित न रहते हुए भी गांधीजी हमेशा के लिए अमर हैं. कल देशभर में महात्मा गांधी का जन्मदिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन हर साल पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है.

किसी से ये बात छिपी नहीं है कि देश को आजाद कराने में महात्मा गांधी का कितना बड़ा योगदान था. देश की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा को भी हथियार बनाया जा सकता है, ये बात कोई इस महापुरुष से सिखें. अंग्रेजों के चंगुल से देश को आजाद कराने में गांधीजी ने जो भूमिका निभाई, इस बात को भारत कभी नहीं भुला सकता है.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था. 78 साल की उम्र में नाथूराम गोडसे ने गोली चलाकर उन्हें मार दिया. बताया जाता है कि जब उनकी हत्या हुई तो उनके साथ कुछ महिलाएं भी थीं. महात्मा गांधी हमेशा अपने करीबियों से घिरे रहते थे. इस भींड़ में कुछ महिलाएं भी शामिल थीं. जो गांधीजी की विचारों से बेहद प्रभावित थीं. इनकी जिंदगी में महात्मा गांधी के विचारों ने गहरा असर किया. ये महिलाएं भी गांधीजी के उसी रास्ते पर चलीं. आइए जानते हैं. गांधी जयंती के मौके पर बापू के जीवन से जुड़ी महिलाओं के बारे में…

मनु गांधी

कहा जाता है कि बहुत कम उम्र में ही मनु महात्मा गांधी के रास्ते पर चल पड़ी थीं. वह बापू के दूर की रिश्तेदार थीं. जब मनु उनके पास गई थीं तो महात्मा गांधी काफी बूढ़े हो चुके थे. तब मनु ने बापू के बूढ़े शरीर को सहारा दिया. उन दिनों बापू मनु के कंधे का सहारा लेकर चलते थे. गांधीजी के साथ मनु साल 1928 से लेकर उनके आखिरी दिनों में भी साथ रही थीं.

मीराबेन

मेडेलीन यानी मीराबेन ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी थीं. एक अफसर की बेटी होने के नाते उनकी जिंदगी अनुशासन में गुजरी. उनका संगीत में बहुत दिलचस्पी था. उन्होंने कई संगीतकारों पर लिखा. वह महात्मा गांधी से इतनी प्रभावित थीं कि उन्होंने बायोग्राफी भी लिख डाली.

मेडलीन ने महात्मा गांधी को चिट्ठी लिखकर अपने अनुभवों के बारे में बताया और गांधीजी के आश्रम जाने की इच्छा जाहिर की. वह अक्टूबर 1925 में मुंबई के रास्ते अहमदाबाद पहुंचीं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेडेलीन ने गांधीजी से अपनी पहली मुलाकात के बारे में इस तरह बताया- ‘जब मैं वहां दाखिल हुई तो सामने से एक दुबला शख्स सफेद गद्दी से उठकर मेरी तरफ बढ़ रहा था. मैं जानती थी कि ये शख्स बापू थे. मैं हर्ष और श्रद्धा से भर गई थी. मुझे बस सामने एक दिव्य रौशनी दिखाई दे रही थी. मैं बापू के पैरों में झुककर बैठ जाती हूं. बापू मुझे उठाते हैं और कहते हैं- तुम मेरी बेटी हो.’ मेडेलिन को नाम मीराबेन के नाम से जाना जाता है.

सरला देवी चौधरानी

सरला देवी रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी भी थी. वह भी गांधीजी के बेहद करीब थीं. सरला देवी संगीत और लेखन प्रेमी थीं. गांधी और सरला ने खादी के प्रचार के लिए देशा का दौरा किया. एक रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि लाहौर में गांधीजी सरला के घर पर रुके थे. उस समय सरला के स्वतंत्रता सेनानी पति रामभुज दत्त चौधरी जेल में थे. ये वो दौर था जब गांधीजी और सरला दोनों एकदूसरे के बेहद करीब रहें. लेकिन बाद गांधीजी ने सरला से खुद दूरी बना ली. दोनों के रिश्तों की खबर बाहर आने लगी. गांधी सरला को अपनी ‘आध्यात्मिक पत्नी’ भी बताते थे. सरला गांधीजी के साथ 1872 से लेकर 1945 तक रहीं थीं.
सुशीला प्यारेलाल की बहन थीं. महादेव देसाई के बाद गांधी के सचिव बने प्यारेलाल पंजाबी परिवार से थे.

डा सुशीला नय्यर

महात्मा गांधी के सचिव महादेव देसाई के बाद प्यारेलाल बने. जो पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते थे. सुशीला प्यारेलाल की बहन थीं. दोनों भाईबहन गांधीजी के बहुत बड़े समर्थक थे. उनकी मां ने इस बात को लेकर विरोध भी किया था लेकिन इसके बावजूद भी दोनों महात्मा गांधी के पास आए थे. बाद में इनकी मां भी गांधीजी से जुड़ गई.

सुशीला ने डौक्टरी की पढ़ाई की थीं. इसके बाद वह महात्मा गांधी की निजी डौक्टर बनीं. गांधीजी के आखिरी दिनों में सुशीला भी उनके साथ रहीं थीं. मनु और आभा के अलावा अक्सर गांधी जिसके कंधे पर अपने बूढ़े हाथ रखकर सहारा लेते, उनमें सुशीला भी शामिल थीं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...