हरेक के सामने शादी करने का सवाल कभीनकभी आता ही है. आजकल की भागती जिंदगी और कैरियर की आपाधापी में यह सवाल और भी अहम हो गया है कि शादी करने की उम्र क्या हो.

शादी करने की सरकारी और कानूनी उम्र के इतर हमारे देश में आमतौर पर 20 से 25 साल की उम्र को शादी करने के लिए सही समझ जाता है. बदलती सोच के मद्देनजर जहां कुछ लोग 25 से 30 साल की उम्र को सही उम्र बताने लगे हैं, वहीं 27 साल के बृजेश का कहना है कि अब पैमाना कुछ और हो गया है. वह कहता है कि लोग सोचते हैं कि 32 से 35 साल के बीच शादी कर लेंगे. दरअसल, 20 से 30 साल की उम्र तक तो इंसान अपने कैरियर को सैट करने में ही लगा रहता है. तब शादी के लिए सोच पाना उस के लिए मुश्किल होता है.

सोचने का तरीका सब का अलग होता है. एक प्राइवेट फर्म में जौब करने वाले सिबेस्टीन का कहना है कि कैरियर की महत्त्वाकांक्षा खत्म नहीं होती. ऐसे में शादी के लिए सही उम्र वही है, जब इंसान मानसिकरूप से उस के लिए तैयार हो. समाज ने या फिर आप के पेरैंट्स ने शादी के लिए क्या उम्र तय कर रखी है, इस से कोई मतलब नहीं. बात यह है कि जब तक कोई मानसिकरूप से इस के लिए तैयार न हो शादी नहीं करनी चाहिए.

अपनी सोच के मुताबिक बिंदेश्वर कुमार, जो कालेज में लैक्चरर हैं, ने 34 साल की उम्र में शादी की. अब उन की एक बेटी है और खुशहाल छोटा सा परिवार है, लेकिन वे मानते हैं कि देर से शादी करने में कभीकभी वह नहीं मिल पाता जो शायद आप ने सोचा होता है. कई बार अच्छे विकल्प मिल जाते हैं, तो कई बार ठीकठाक विकल्प भी मिलना मुश्किल हो जाता है. मेरे कई दोस्त हैं, महिला भी और पुरुष भी, जिन्हें अब सही मैच नहीं मिल पा रहा है.

जरूरत नए नजरिए की

नई पीढ़ी कुछ भी सोचे, लेकिन समाज इस मामले में थोड़ा अलग है. यहां वक्त से शादी न हो, तो लोग बातें बनाने लग जाते हैं. ऐसे में मातापिता कितनी भी नई सोच के और व्यावहारिक क्यों न हों, उन्हें आखिरकार रहना तो समाज में ही है. मुंबई में एक मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम कर रहे अनीस अहमद कहते हैं, ‘‘मैं जब भी औफिस से घर जाता हूं तो लगता है कि कहीं आज फिर शादी को ले कर नई टैंशन न खड़ी हो. इस से घर के सुकून में खलल पड़ता है, साथ ही मातापिता की सेहत पर भी असर पड़ता है. उन्हें चिंता रहती है कि बच्चों की शादी नहीं हो रही है. गाहेबगाहे उन्हें लोगों की बातें सुनने को मिलती हैं.’’

इस तरह शादी लायक उम्र होने के बाद इंसान पर शादी के लिए भावनात्मक रूप से भी काफी दबाव होता है.

औप्शन शादी का

वैसे शादी की बहस के बीच आजकल एक और चलन परवान चढ़ रहा है और वह है लिवइन रिलेशनशिप का यानी शादी से पहले साथसाथ रहना, बृजेश जैसे जवानों का इस चलन में चाहे ज्यादा विश्वास न हो, लेकिन यह उसी माहौल में हो रहा है जिस का वे भी हिस्सा हैं.

बृजेश कहता है, ‘‘शहरों में ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें लिवइन रिलेशनशिप का चलन पसंद आ रहा रहा है. न सिर्फ यह ट्रैंडी है, बल्कि शादी जैसी बाध्यता भी इस में नहीं है. लेकिन भारतीय समाज में इस की स्वीकार्यता एक बड़ा मुद्दा है.’’

लिवइन रिलेशन, दरअसल शादी का एक प्रारूप जैसा है, जिस में शादी का बंधन नहीं, बल्कि गठबंधन होता है, जिसे कोई पार्टनर जब चाहे तोड़ दे.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...