कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिन के जवाब न तो समाज के पास होते हैं और न ही कानून के पास. ऐसे प्रश्नों के जवाब प्रकृति के पास अवश्य होते हैं. ऐसा ही एक सवाल है वैवाहिक बलात्कार का. क्या वैश्विक रूप से उठते समाज के इस गूढ़ प्रश्न का जवाब मनुष्य के ही पास है?

कैसे सुलझेगी गुत्थी

दरअसल, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वैवाहिक बलात्कार के मामलों में पतियों को दी गई 'छूट' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को को 4 सप्ताह के लिए टाल दिया. प्रधान न्यायाधीश 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. ऐसे में स्पष्ट हो जाता है कि अब भारत के नए प्रधान न्यायाधीश ही वैवाहिक बलात्कार की गुत्थी को सुलझाएंगे.

आइए, आप को बताते हैं कि देश के सब से बड़े न्यायालय में 23 अक्तूबर, 2024 को वैवाहिक बलात्कार के मसले पर क्या संवाद हुआ :

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकीलों से पूछा कि अलगअलग दलील पेश करने के लिए उन्हें कितना वक्त चाहिए?

यह कि पीठ ने याचिकाओं पर 17 अक्तूबर, 2024 को अंतिम सुनवाई शुरू की थी. एक पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गोपाल
शंकरनारायण ने कहा,"उन्हें अपनी दलीलें पूरी करने के लिए कम से कम 1 दिन का वक्त लगेगा क्योंकि इस तरह के महत्त्वपूर्ण विषय में जरूरी विस्तृत दलीलों को वह संक्षिप्त नहीं करना चाहते."

दूसरी तरफ केंद्र की ओर से सौलिसिटर जनरल तुषार मेहता, महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और एक महिला की पैरवी कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन में से प्रत्येक को दलील पूरी करने के लिए 1-1 दिन का वक्त चाहिए.

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